किसी भी व्यक्ति के विकास में कार्य के प्रति विश्वास,लगन,काम करने की क्षमता के साथ-साथ कार्य के प्रति समर्पण की भावना होनी चाहिये,तभी वह सफल हो सकता है।
एक बालक प्रतिदिन सुबह उठकर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर अपने पढ़ाई में लग जाता है।समय पर विद्यालय चला जाता है,विद्यालय में कक्षा नहीं चलने के बाबजूद भी वह शिक्षक से अपने विषय वस्तु के संबंध में पूछताछ करता है।दूसरों के यह कहने पर भी कि निजी संस्थानों में जाकर कुछ सीखने का प्रयास करो तो भी वह विद्यालय में ही शिक्षा प्राप्त करने जाता है।इस प्रकार वह अपने जीवन की तरक्की के चरम शिखर पर पहुँच जाता है।व्यक्ति को अपने कार्य के प्रति समर्पण की जरूरत होती है।
जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह शिक्षक,किसान,अविभावक, प्रतिभागी जो भी हो उसको अपने जीवन में तरक्की करने के लिये समर्पण करने की जरूरत होती है। कोई भी मनुष्य जीवन में सफल यदि नहीं होता है तो उसके पीछे काम के प्रति समर्पण के भावना की कमी होती है और जब आप काम के प्रति समर्पित होंगे तो आपको प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होगी,इसलिये लोगों को सच्ची लगन के साथ काम करने में सफलता प्राप्त होगी।
एक किसान जो कि लगातार अपने जीवन में सुबह से शाम तक लगातार अपने कार्य के प्रति व्यस्त रहता है।रात दिन अपने कृषि कार्य को पूर्ण समर्पण के साथ करता ही रहता है,जिसके कारण से उसे उसके कृषि कार्य में सफलता प्राप्त होती है।समर्पण के साथ काम करने से लोगों को कार्य के मार्ग में आने वाले रोड़ा दूर हो जाती है।
समर्पण के बिना हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं।किसी भी कार्य के प्रति जब कोई व्यक्ति समर्पित हो जाता है तो वह अपने जीवन में सफल हो जाता हो।इसलिये हर व्यक्ति को सबसे पहले ईष्ट के प्रति अपने आप को समर्पित कर देने की जरूरत है तभी वह जीवन में सफल हो सकता है।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा, बांका(बिहार)।

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