14 नवंबर और 20 नवंबर विशेष
कहते हैं कि बच्चा कल्पनाशीलता, सृजनशीलता और सीखने की असीम क्षमता लेकर इस धरती पर आता है तथा उसमें असीम जिज्ञासा होता है। बच्चे कल [देश] के भविष्य होते हैं, इसलिए हम कह सकते हैं कि जो बच्चे से लगाव रखते हैं वो अपने देश से भी लगाव रखते हैं। यहां लगाव का तात्पर्य है कि अपने कार्य को बेहतर ढंग से करना हम शिक्षक हैं और हमारी दुनिया बच्चों के इर्द-गिर्द ही रहती है इसलिए बच्चों से लगाव हमारा स्वाभाविक गुण है। हम सभी सदैव यह प्रयास करते हैं कि या इस तरह की गतिविधि आयोजित करते हैं कि बच्चों का स्वाभाविक गुण उभरकर सामने आये तथा साथ ही साथ उसका सर्वांगीण विकास हो इसलिए समय दर समय विद्यालय में विभिन्न दिवस विशेष का आयोजन किया जाता है। इस दिवस विशेष के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुखद स्मृति भी है अपने विद्यालय के प्रति। बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा या प्रारंभिक बाल्यावस्था उसके जीवन का सबसे सुखद दौर होता है और उसकी यादें हमें जीवन भर गुदगुदाने का अवसर देती है। विद्यालय में अनेक दिवस मनाएं जाते हैं और सबका अपना-अपना महत्व होता है, लेकिन एक ऐसा दिवस जिसका इंतजार बच्चे बहुत बेसब्री से करते हैं क्योंकि यह दिवस सभी बच्चों का होता है जी हां बाल दिवस जो 14 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन के हीरो बच्चे होते हैं या अपने शब्दों में कहें तो हम [शिक्षक] मेजबान होते हैं और बच्चे मेहमान और उनके प्रति हमारा अगाध प्रेम और स्नेह मेहमानवाजी होता है।
बच्चे भगवान के रूप होते और हमारे देश के उज्जवल भविष्य के नायक होते हैं ऐसा मानना था हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जिन्हें लोग चाचा नेहरू के नाम से भी जानते हैं और उन्हीं के जन्म के अवसर पर भारतवर्ष में बाल दिवस मनाया जाता है, इसलिए उनके संदर्भ में संक्षिप्त परिचय आवश्यक है इस दिवस के सन्दर्भ में।
चाचा नेहरू [पंडित जवाहरलाल नेहरु]
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जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ ये भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार माने जाते हैं। कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं।
पंडित नेहरू को बच्चों से बेहद लगाव था, बच्चे प्यार से उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे. बच्चों की शिक्षा और बेहतर जीवन के लिए नेहरू जी हमेशा आवाज उठाते थे. केवल इतना ही नहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधकीय संस्थान जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना जवाहरलाल नेहरू ने ही की थी. पंडित नेहरू कहा करते थे कि, 'आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे. जिस तरह से हम उन्हें लाएंगे, उससे देश का भविष्य निर्धारित होगा। यूएन ने 20 नवंबर 1954 को बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी और भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन से पहले 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता था, लेकिन 27 मई 1964 को पंडित जवाहर लाल नेहरु के निधन के बाद बच्चों के प्रति उनके प्यार को देखते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ कि अब से हर साल 14 नवंबर को चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर बाल दिवस मनाया जाएगा, जिसके बाद से ही हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाने लगा।
विश्व बाल दिवस
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दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के सदस्य देशों में 20 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस (International Children's Day) मनाया जाता है सबसे पहले सन 1954 में 20 नवंबर को इस सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाया गया था. इस दिन को बाल अधिकारों (Children’s Rights) को समर्पित दिन के रूप में मनाया गया था. इन अधिकारों में सबसे प्रमुख अधिकार जीवन जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, सहभागिता का अधिकार और विकास का अधिकार माने जाते हैं।
और अंत में बच्चे बगीचे में कलियों की तरह हैं और उनका ध्यान से और प्यार से लालन पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश के भविष्य और कल के नागरिक हैं।
सभी बच्चों को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
आलेखकर्ता
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राकेश कुमार
मध्य विद्यालय बलुआ
मनेर [पटना]

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