एक पर्यावरणीय लेख।
जल एक अत्यंत महत्वपूर्ण विशिष्ट एवं साधारण यौगिक है। इसके विशिष्ट भौतिक एवं रासायनिक गुणों जैसे-उच्च विशिष्ट उष्मा,उच्च वाचन उष्मा, द्रव की तुलना में ठोस अवस्था में कम सघन,उच्च संसजन व आसंजन तीनों अवस्थाओं,अर्थात ठोस,द्रव और गैस में उपलब्धता, सर्वात्रिक विलायक,प्रकृति में अतुलनीय बाहुल्यता,4°C पर उच्च घनत्व उदासीन(PH) डाइलेट्रिक स्थिरांक आदि के कारण जल का विशेष महत्व है।
जीवन विभिन्न पादक एवं जैविक क्रियाओं में अनिवार्य रूप से संबद्ध है।जीवन का सर्वप्रथम प्रादुर्भाव जल में ही हुआ था।सजीव कोशिका में 90-95% भाग जल से ही निर्मित होता है, "इसलिये जल को जीवन द्रव अथवा जीवन का सुरक्षित रस कहा जाता है।जल जीवन का आधार माना जाता है।
विश्व का 97% जल महासागरों और समुद्रों के खारे व लवणीय जल के रूप में पृथ्वी के दो तिहाई भाग को घेरे हुये है।यह जल दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अनुपयुक्त है।शेष एक तिहाई भाग जल,अर्थात 33% जल की 75%मात्रा हिमनदों व बर्फीली श्रेणियों के रूप में है।अलवणीय झीलों, नदियों तथा भूमिगत जल की मात्रा कुल उपलब्ध जल की मात्रा में 0•003% है।पर्यावरण विज्ञान का मानना है कि यदि जल की मात्रा को एक गैलन मान लें तो, इसमें शुद्ध जल की मात्रा एक चम्मच मात्र है। जल प्रकृति से विरासत में मिला वह संसाधन है जो कि ब्राह्मणड में सृष्टि को बनाये रखने में महत्वपूर्ण ही नहीं,बल्कि एक आवश्यक घटक की भूमिका निभाता है।इस संबंध में कहा जा सकता है कि"प्रत्येक वस्तु जल से उत्पन्न हुई है और प्रत्येक वस्तु जल के द्वारा ही जीवित है"।
विश्व के जितने भी जीवधारी हैं, उसकी संरचना में पानी का बड़ा भाग है।मनुष्य के जीवन की बनावट में 65%पानी है।यही नहीं, बल्कि उसकी सभी क्रियाओं में और उसके स्वंय के रखरखाव में भी पानी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।यही नहीं,बल्कि उसके रख रखाव में भी पानी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।यह हड्डियों के बीच के जोड़ों को चिकना बनाये रखता है,ताकि आपस में रगड़ कर एक दूसरे को हानि न पहुँचायें।जल उत्तक और पेशियों को घेरकर उन्हें आपस में चिपकने से रोकता है।शरीर के अत्यंत महत्वपूर्ण अवयव,जैसे- हृदय,मस्तिष्क आदि को पानी से बने द्रव का एक कवच संरक्षण प्रदान करता है।
मनुष्य को पानी की अत्यंत आवश्यकता है।वृक्ष में40%तक पानी होता है।कुछ जलीय पौधे में तो जल की मात्रा90%तक हो सकती है।जैलीफश(समुद्री जानवर) में 95%,अंडे में 74% और ककड़ी में 95%जल की मात्रा होती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जीवन के लिये जल की बहुत ही आवश्यकता है । पर्यावरण में जल के बिना जिंदगी जीना बहुत मुश्किल है, इसके लिये आने वाले समय में जल के लिये तीसरा विश्वयुद्ध का सामना न करना पड़े तथा जल ,जीवन और हरियाली को बनाये रखना है,इसलिये जुलाई-अगस्त में संपूर्ण भारत वर्ष मनाये जाने वाले "वन महोत्सव"कार्यक्रम में शामिल होकर अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने का प्रयास करें,प्रत्येक घर में तथा विद्यालयों में भी पनसोखा का निर्माण कीजिए तभी जल को बचाया जा सकता है तथा इससे ही जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार
"विनोद"प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,बाँका।

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