भावनात्मक लेख।
ऐसा माना जाता है कि चौरासी लाख योनियों में मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ माना जाता है जिसे पाने के लिये मनुष्य तो मनुष्य देवता लोग भी लालायित रहते हैं।मनुष्य एक सामाजिक तथा विवेकशील प्राणी होने के बावजूद इस संसार का सबसे स्वार्थी मनुष्य माना जाता है।लेकिन मनुष्य एक विवेकशील प्राणी होने के बावजूद भी अपने स्वार्थ के आगे किसी भी प्रकार का अहित करने से नहीं चूकता है।बहुत सारे ऐसे भी जीव इस संसार में आकर किसी दर्द मंद के काम आ,किसी डूबते को उछाल दे। प्रकृतिक रूप से पाये जाने वाले ऐसे जीव जो कि कुछ समय के अपनी लिये अपनी जन्मजात प्रकृति को भूल कर एक दूसरे को सहयोग करने पर जुटे हुये है।यदि कोई जीव डूब रहा है तो दूसरा उसको सहयोग कर रहा है लेकिन मनुष्य जो कि विश्व का एक बहुत ही समझदार प्राणी माना जाता है,फिर भी एक दूसरे की छीना- झपटी करने में,जरा-जरा सी बात पर किसी का भी अहित करने पर अग्रसर रहता है।वाह रे जमाना,तूने कैसी मानव की मूर्ति बना डाली जो कि जरा-जरा सी बात पर अपनों का ही गला घोंटने लगता है।एक भाई,अपने सगे भाई की कत्ल करने के लिये तैयार हो जाता है।जिससे जीवन में सहयोग की बात की जाती है सोची जाती है,वही उसका लूटेरा बन जाता है।ईश्वर क्या तूने यह संसार बनायी है जहाँ पलक झपकते ही लोग किसी को अहित कर देते हैं।
आइये हमलोग भी ऐसे छोटे-छोटे जीवों से सबक सीखे और किसी दर्द मंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे।
श्री विमल कुमार"विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,बांका (बिहार)।
No comments:
Post a Comment