आध्यात्मिक अनुभूति- श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Thursday, 1 December 2022

आध्यात्मिक अनुभूति- श्री विमल कुमार "विनोद"

 "आध्यात्म"का साधारण अर्थ आत्मा या परमात्मा के साथ-साथ जीवन में शांति प्राप्ति के लिये चिंतन करना है।

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सुख- चैन,समृद्धि,शांति चाहता है।इसी सुख की प्राप्ति के लिये वह  जीवन भर भटकता रहता है,क्योंकि वह जीवन में अधिक से अधिक प्राप्त करने की ललक लिये रहता है।इसी संदर्भ में महान दार्शनिक हाॅबस ने लिखा है कि"सभी लोग स्वभाव से स्वार्थी होते हैं और जीवन में अधिक-से-अधिक प्राप्त करने के लिये परेशान रहते हैं।लोग जीवन में जबअधिक-से-अधिक परेशान होता है तथा जब कहीं भी उसको शांति नहीं मिलती है तो वह मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारे की ओर शांति की खोज में भटकने लगता है,जहाँ जाने के बाद कुछ देर के लिये मन में शांति,सुकून,चैन मिलती है, भले ही वहाँ से निकलने के बाद पुनः दूसरे के निर्मम हत्या,लूट,बलात्कार तथा अन्य कुकृत्यों को करने की बात सोचने लगता है।

जहाँ तक आध्यात्मिक अनुभूति की बात है वह किसी अदृश्य शक्ति के बारे में महसूस करने की बात है।जहाँ तक मेरे द्वारा इस संबंध के बारे में सोचने की बात है वह सिर्फ महसूस करने की चीज है। जीवन में जब आप  तनाव में रहेंगे उस समय आप यदि किसी एकांत जगह में जाकर ध्यान लगाकर बैठ जाइये तो आपको अपने आप में बहुत आराम मिलेगा।आप जब किसी धार्मिक जगह में जाकर पूजा-अराधना करते हैं या किसी तीर्थ स्थल में जाकर आस्था प्रकट करते हैं तो आपको मानसिक रूप से बहुत शांति मिलेगी।साथ ही आपको यह महसूस होगा कि मैंने जो कुछ भी अपने ईष्ट देव से मांगा वह मुझे प्राप्त हो गया।मुझे लगता है कि इसके लिये उस ईष्ट के चरणों में आपके समर्पण की जरूरत है।हम किसी देवस्थल में जाकर यदि सच्चे दिल से जिस भी चीज के बारे में सोचते हैं,जिस चीज की कामना करते हैं,उसकी तभी प्राप्ति हो सकती है जब आप दूसरों के हित की बात सोचते हैं।मुझे अपने जीवन में जो महसूस हुआ कि यदि भक्त को आंतरिक शक्ति हो तो वह अपने ईष्ट के कागज की तस्वीर को भी चलते-फिरते हुये देख सकता है।मैंने जो महसूस किया कि खाली पेट ही ईश्वर की अराधना करनी चाहिये या किसी खास दिन या खास समय में ही अपने देव की अराधना की जानी चाहिये इन सभी बातों के बारे में बहुत विश्वास नहीं करता हूँ। आध्यात्म के बारे में मैं अपने कर्म के ऊपर सबसे अधिक विश्वास करता हूँ। मुझे जीवन में एक देवस्थल में लगातार कई वर्षों तक माथ टेकने जाने का सुअवसर मिला,जहाँ मुझे सुख-चैन, आत्मविश्वास,आगे बढ़ने का अवसर,जीवन में संघर्ष करने की शक्ति तथा जीवन को विकास करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।अगर आपमें अपने अराध्य देव पर विश्वास करने की शक्ति हो तो आपको जीवन में उस अराध्य देव से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।आप जब जीवन में जप- तप,ध्यान करेंगे तो आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिये रास्ता दिखलायी देगी,आपके अंदर अपनी समस्याओं से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी,जीवन में अनवरत आगे बढ़ने की राह प्रशस्त होती हुई दिखेगी।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा, बांका(बिहार)।

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