असली आजादी के मायने आजादी का मतलब है स्वछंदता, जहाँ सभी को राष्ट्र के बनाएँ नीति नियमन के अनुसार एक समान अधिकार एवं कर्तव्यों का निर्वहन करना है।पर ज्ञातव्य है कि आज का समाज विभिन्न दुष्प्रवृत्तियों से ग्रसित है।हम पिंजरे में बंद पक्षी की तरह हीं फरफराते रहते हैं।जो दिए गए भोजन को खा लेता है और जो सिखाया जाता है वैसी हीं वाणी बोलने पर मजबूर होता है। आजादी का मतलब स्वछंद वातावरण में विचरण,चिंतन मनन एवं विविध अनुष्ठान एवं कर्तव्यों का निस्पादन करना है।पर हम ऐसे शोषित, दमित, कुत्सित, कुंठित मानसिकता वाले माहौल मे जी रहे हैं जो विषधर की भांति विशाक्त हो चुका है।पाशविक मानसिकता, वैचारिक मतभेदों की प्रवृत्ति से समाज व्यथित है।
हमारी मातृभूमि पर विविध सल्तनत, अंग्रेजों की हुकूमत की तनाशाही रही।पर वतन की की रक्षा के लिए एकता के आदर्श पर कितने हीं वीर शहीद हो गए। महात्मा गांधी, भगतसिंह, सुभाष,आजाद, लक्ष्मीबाई आदि ने अपने प्राणों को बलिदान कर दिया। स्वाधीनता संग्राम में आजादी की चिंगारी का अलख जगाने वाले वीरों की भूमि आज चीख चीखकर पुकारती है कि क्या हम गुलामी की दासता से मुक्त हो चुके हैं? हमारा समाज कुत्सित मानसिकता व्याभिचार,सम्प्रदायिकता, जातियता के भेदभाव, छुआछूत, अस्पृश्यता आदि का शिकार नहीं है? क्या गुलाम बनाने वाले सरकारी चोंचले नहीं है?प्रजातांत्रिक राष्ट्र में क्या शोषण नहीं है? नौकरी में नियोजन विद्या के मंदिर म़ें अंडे का वितरण,गाय के माँस खाने का प्रचलन लडकियों के साथ दुष्कर्म एवं व्यक्ततयो की हत्या करनेवाले संगठन इतने सक्रिय रहते हैं जिसे सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता है। क्या यही आजादी है? गांधी जी ने दलित शोषित को हरिजन की संज्ञा दी। फिर विद्यालय की सूची में डोम,दुसाध, मोची, चमार की व्याख्या क्यों की जाती है? हमारे वीर बलिदानी ने ऐसे समाज की कल्पना की थी?
हमारा लोकतंत्र आस्तीन में छुपे साँपों अथवा देश के गद्दारों से अक्षुण्य है?
जब देश के पिछड़े वर्ग सामान्य जीवन यापन करने लगे?भीमराव अम्बेडकर ने जातीयता आधारित संविधान बनाया?तमाम प्रश्नों से घिरा भारत वाकई स्वतंत्र हो गया है?स्वतंत्र भारत की कल्पना हम तभी कर सकते है जब कृषि प्रधान देश की आबादी भूखे जीने पर मजबूर न हो। जब गाय हाथी अन्य जीव या व्यक्ति की जघन्य हत्या जैसे दुस्कृत्य पर कानून कि शिकंजा हो,मातृ पितृदेवों भव,वृक्षमित्र जैसी दिव्य वाणी का प्रचलन हो।देश में कहीं भी रहने में भय का माहौल न हो तभी असल आजादी के मायने सफलीभूत होंगे।आजादी की अभिलाषा लिए सोने की चिडिय़ा कहलाने वाला यह देश चहक पाएगा।शहीदों की परिकल्पना का भारत आजाद और सौहार्दपूर्ण होगा।
रचनाकार,
अश्मजा प्रियदर्शिनी
मिडिल स्कूल डुमरी ,फतुहा, पटना, बिहार
No comments:
Post a Comment