उत्कृष्ट विद्यालय की परिकल्पना- श्री विमल कुमार 'विनोद' - Teachers of Bihar

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Tuesday, 20 December 2022

उत्कृष्ट विद्यालय की परिकल्पना- श्री विमल कुमार 'विनोद'

 माता-पिता,अभिभावक,समाज, विद्यालय,शिक्षक आदि किसी भी व्यक्ति के विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इन सारी बातों के अलावे सबसे अहम् बात होती है कि एक अब्बल दर्जे के विद्यालय की परिकल्पना तथा विकास कैसे किया जाय? चूँकि एक विद्यालय प्रधान होने के नाते मुझे लगता है कि अपना विद्यालय को एक उत्कृष्ट दर्जे का विद्यालय बनाया जाय।इस संबंध में मेरे कुछ निजी विचार तथा सुझाव प्रस्तुत हैं। प्रत्येक संस्था तथा विद्यालय का एक प्रधान होता है, जिसके द्वारा उस संस्था तथा विद्यालय की सारी गतिविधियां घूमती रहती है तथा विद्यालय के विकास में उसकी अहम् भूमिका होती है। उत्कृष्ट विद्यालय के निर्माण की परिकल्पना के संबंध में  निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते  हैं,जो इस प्रकार हैं-

(1)समय की पाबंदी-एक उत्कृष्ट विद्यालय के निर्माण करने के लिये सबसे पहली बात यह है कि समय की पाबंदी होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा देखा जाता है कि प्रत्येक विद्यालय चाहे वह सरकारी हो या निजी बच्चे ससमय विद्यालय में आ जाते हैं। इसलिये यह आवश्यक है कि शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को ससमय विद्यालय में उपस्थित होना आवश्यक है, क्योंकि यदि शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारी ससमय विद्यालय में उपस्थित नहीं होंगे तो विद्यालय का विकास संभव नहीं हो पायेगा।

(2)विद्यालय प्रधान की भूमिका- विद्यालय प्रधान किसी भी विद्यालय का प्राण होता है।विद्यालय प्रधान यदि कर्मठ, जागरूक ,चिंतनशील तथा सृजनशील व्यक्तित्व के धनी होंगे तो विद्यालय का विकास संभव हो पायेगा।मुझे ऐसा लगता है कि विद्यालय प्रधान को सबसे पहले विद्यालय आना चाहिए तथा वहाँ पर विद्यालय की सारी गतिविधियों  पर ध्यान देना चाहिये। विद्यालय प्रधान जब लगातार अपने  कर्मभूमि में गतिशील होकर  विद्यालय के कार्यों पर ध्यान देते रहेंगे तो विद्यालय का विकास निश्चित रूप से होगा। जब विद्यालय प्रधान अपने कार्यों तथा विद्यालय की गतिविधियों के प्रति जागरूक होगा तभी विद्यालय का विकास संभव हो पायेगा।

(3)अभिभावकों की सक्रियता- किसी भी विद्यालय के विकास के लिए अभिभावकों की सक्रियता अति आवश्यक है। समाज में  अभिभावकों को विद्यालय तथा अपने बच्चों तथा विद्यालय की गतिविधियों के प्रति सहयोगात्मक एवं सकारात्मक सोच विकसित करना होगा।उनको यह भी देखना होगा कि घर से विद्यालय जाने वाले बच्चे विद्यालय गये हैं या नहीं?अभिभावकों की उत्सुकता एवं जागरूकता बच्चों तथा एक सुन्दर विद्यालय के निर्माण में अहम् भूमिका निभायेगी।

(4)समाज का अपेक्षित सहयोग- विद्यालय समाज का एक आवश्यक अंग है।विद्यालय और समाज के बीच अन्योन्याश्रय संबंध है।विद्यालय समाज की ही देन है तथा विद्यालय का निर्माण समाज के  विकास के लिये ही किया जाता है।समाज के लोगों को विद्यालय के प्रति सकारात्मक सोच रखनी चाहिये।

(5)शिक्षकों के लिये नीति युक्त तथा सम्मानपूर्ण नियमावली-कोई भी शिक्षक जो कि विद्यालय में शिक्षा प्रदान करेंगे उसके लिये एक नीति युक्त तथा सम्मान जनक सेवाशर्त एवं नियमावली होने चाहिये,क्योंकि हम एक शिक्षक हैं,हमारा एक अपना जीवन यापन ,सामाजिकता का स्तर है।साथ ही हमारे साथ परिवार का उत्तरदायित्व भी है। चूँकि शिक्षा एक अतिसंवेदनशील विषय है ,इसलिए शिक्षकों से बंधुआ मजदूरों की तरह दबाव देकर या डंडे के बल पर काम नहीं लिया जा सकता है । शिक्षा को अंतरात्मा की आवाज पर ही प्रदान किया जा सकता है, इसलिये शिक्षकों को एक अच्छा वेतनमान तथा सम्मान दिये जाने से ही उत्कृष्ट विद्यालय की परिकल्पना की जा सकती है।

(6)मानसिक प्रताड़ना से मुक्ति- शिक्षा प्रदान करना एक अति संवेदनशील कार्य मानी जाती है, जिसे दबाव में नहीं कराया जा सकता है।यदि शिक्षक से दबाव में कार्य कराये जाने का प्रयास किया जाता है तो वह गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने में असमर्थ होगा ,और जब गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नहीं दी जायेगी तब तक उत्कृष्ट विद्यालय की परिकल्पना संभव नहीं है।साथ ही जब तक सही ढंग की शिक्षा नहीं दी जायेगी तबतक शिक्षा का विकास संभव नहीं है।

अंत में हम कह सकते हैं कि हम विद्यालय प्रधान हैं तथा हमारे  सहकर्मीं विद्यालय रूपी फुलवारी के माली हैं।जहाँ पर हमलोगों को विद्यालय के नौनिहाल बच्चों को सजाने संवारने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।इन्हीं नौनिहाल रूपी बच्चे-बच्चियों को संवारने के लिए हम लोगों को सरकार तथा समाज के द्वारा नियुक्त किया गया है,जो कि हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है। हमलोगों को अपने पुत्र-पुत्री की तरह इसको सजाने-संवारने का प्रयास करना चाहिए जिससे हमारा विद्यालय परिवार उत्कृष्ट रूप से निखर पायेगा। यही हमारे आने वाले कल का भविष्य है। आज बिहार के बहुत सारे विद्यालय लगातार अपनी अथक परिश्रम से अपने विद्यालय के लगातार विकास कर रहे हैं,हमें भी अपनी सच्ची लग्न से उत्कृष्ट  विद्यालय परिवार की कल्पना करनी चाहिये के शुभ संदेश के साथ आपका ही,


आलेख साभार-श्री विमल कुमार 'विनोद' 

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा बांका(बिहार)।

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