विद्यालयी गुणवत्ता से बच्चों का आकर्षण संभव- श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Tuesday, 6 December 2022

विद्यालयी गुणवत्ता से बच्चों का आकर्षण संभव- श्री विमल कुमार "विनोद"

एक मनोविश्लेषणात्मक लेख।

इस संसार की सृष्टि करते समय ईश्वर ने सभी चीजों को सुन्दर तरीके से बनाने का प्रयास किया है तथा प्रकृति के लिये एक उत्कृष्ट जीव बनाने का प्रयास किये हैं। लेकिन इस धरातल में आकर लोग अपने कर्म के अनुसार अलग-अलग धाराओं में बंट जाते है।साथ ही  बहुत सारे ऐसे चीजों की भी कल्पना की है,जो कि संसार में लोगों के प्रयास से निर्मित होती रहती है।यह प्रक्रिया संसार में  अनवरत चलती रहती है।

इस सृष्टि में लोगों की यह सोच होती है कि लोगों को जीवन में अधिक-से-अधिक सुख चाहिये।साथ ही लोगों की यह मानसिकता होती है कि लोग हमेशा सुन्दर तथा गुणवत्ता पूर्ण चीजों की ओर ही आकर्षित होते हैं तथा नकारात्मक चीजों से दूर भागते रहते हैं। मेरा यह आलेख बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा घर-घर जाकर 

बच्चों का अधिक-से-अधिक नामांकन कराये जाने हेतु "नामांकन पखवारा"चलाये जाने पर आधारित है,जिसको सफल बनाने के लिये अविभावक,समाज विद्यालय प्रधान तथा विद्यालय परिवार के साथ-साथ विद्यालय परिसर को विकसित करने की जरूरत है,तभी विद्यालयी बच्चों के नामांकन  की संख्या में संतोषजनक वृद्धि हो सकती है,जो इस प्रकार है-

(1)परिवार तथा अविभावक-प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के नामांकन की संख्या को बढ़ाने के लिये सबसे पहली तथा आवश्यक बात यह है कि यदि परिवार तथा अविभावक शिक्षा के प्रति जागरूक होगा तभी  वह बच्चों को पढ़ाने- लिखाने के लिये उत्साहित करेगा तथा बच्चों का विद्यालय में नामांकन करायेगा।इसलिये सबसे बड़ी आकर्षण  है परिवार का  पढ़ा लिखा  तथा जागरूक होना चाहिये तभी बच्चे विद्यालय में जायेगें।विद्यालय में छात्र-छात्राओं के नामांकन में वृद्धि कराने के लिये जनसमुदाय की सोच में परिवर्तन लाना जरूरी है।जब लोगों की की सोंच शिक्षा के प्रति आकर्षित होगी तो निश्चित रूप से नामांकन में वृद्धि होगी।

(2)समाज के सदस्यों का जागरूक होना-किसी भी जीव का एक आवश्यक गुण होता है अनुकरण करना। साथ ही बच्चों में गुण आनुवांशिकता तथा वातावरण से आती है। यदि समाज के बच्चे विद्यालय सीखने के लिये जायेंगे तो दूसरे बच्चे भी विद्यालय में नामांकन कराना चाहेंगे।इससे विद्यालय में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या में अपने आप वृद्धि हो जायेगी।

समाज किसी भी मनुष्य के विकास का एक आवश्यक का एक प्रमुख स्तम्भ माना जाता है,क्योंकि समाज से ही लोगों को जीवन के विकास का प्रमुख अवसर मिलता है,इसीलिये समाज के लोगों को चाहिये कि आने वाली पीढ़ी के बच्चों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षण बढ़ाने की कृपा करें।

(3)विद्यालय परिसर-विद्यालय परिसर का विद्यालयी गतिविधियों जैसे-आकर्षक चेतना सत्र,बच्चों का गणवेश में विद्यालय आना, समय की प्रतिबद्धता,खेलकूद तथा कला के साथ जोड़कर शिक्षण को किया जाना,वर्ग  संचालन दैनिक समय सारणी के अनुसार चलाया जाना आदि विद्यालय की खूबसूरती मानी जाती है।ऐसा होने पर ही विद्यालय में बच्चों का नामांकन का आकर्षण बढ़ेगा।इसके अलावे विद्यालय परिसर में बच्चों के मानसिक तथा सांस्कृतिक विकास के लिये संगीत,नृत्य, शिक्षण में कला का समावेश किया जाना आवश्यक है।साथ ही विद्यालय में समय-समय पर विश्व के महापुरुषों की जीवनी के बारे में चर्चा किया जाना नितांत आवश्यक है।

(4)विद्यालय प्रधान की सक्रियता-विद्यालय में नामांकित होने वाले बच्चों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिये विद्यालय प्रधान की सक्रियता बहुत मायने रखती है। विद्यालय प्रधान की सक्रियता का अर्थ हुआ विद्यालय प्रधान का रहन-सहन,समय की पाबंदी, विद्यालयी कार्यों के प्रति जागरूक रहना,विद्यालय तथा वर्ग कक्ष का पर्यवेक्षण तथा मार्गदर्शन करना।

इस तरह की गतिविधि जब विद्यालय प्रधान करेंगे तो बच्चों का विद्यालय में नामांकन बढ़ेगा।विद्यालय प्रधान तथा अन्य शिक्षकों को भी चाहिये कि वह पोषक क्षेत्र के अविभावक से लगातार संपर्क बनाकर लोगों को शिक्षा की विशेषताओं तथा आने वाले भविष्य के निर्माण के लिये शिक्षा की आवश्यकताओं के बारे में जनता को बताने का प्रयास करे तथा लोगों को अपने बच्चे-बच्चियों को विद्यालय जाने के लिये प्रोत्साहित करने की सलाह दें।ऐसा करने से विद्यालय में नामांकन कराने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में स्वतः वृद्धि होगी। इसके अलावे विद्यालय में कभी-कभी कुछ कार्यक्रम कराकर बच्चे-बच्चियों को प्रोत्साहित किये जाने से विद्यालय की ओर अग्रसर होने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि होगी।

(5)पठन-पाठन का सुदृढ़ होना- यदि विद्यालय में पठन-पाठन की स्थिति सुदृढ़ तथा गुणवत्तापूर्ण तरीके से होगी तो उस विद्यालय में बच्चे नामांकन के लिये लालायित होंगे।विद्यालया में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों जैसे उन्नयन बिहार,ऑनलाइन शिक्षा,बच्चों के द्वारा रंगोली बनवाने का प्रयास करना तथा खेल-खेल में बच्चों का मनोगतयात्मक तरीके से मानसिक विकास करवाने की कोशिश करते हुये शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन कराने का प्रयास करने जैसी गतिविधियों की चर्चा दूर-दूर तक होने से बच्चों में विद्यालयी आकर्षण बढ़ेगा।इसके साथ  ही विद्यालय के ससमय संचालन होने से भी विद्यालय में बच्चों का नामांकन बढ़ेगा।

जहाँ तक सरकारी तौर पर घर-घर जाकर बच्चों के"नामांकन पखवारा"चलाकर बच्चों के नामांकन  कराने की सरकार की सोच बहुत अच्छी है,क्योंकि किसी भी कार्य की सफलता के लिये लोगों के बीच जागरूकता आवश्यक है।

बिहार शिक्षा परियोजना के द्वारा शिक्षकों को घर-घर जाकर बच्चों के नामांकन के लिये अधिक-से-अधिक जागरूक किया जाना बहुत आवश्यक है। साथ ही अविभावकों में शिक्षा के मनुष्य जीवन के लिये उपयोगिता को समझाया जाना चाहिये ताकि लोग अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिये इच्छुक हो सके,तभी विद्यालय में बच्चों के नामांकन में अपेक्षाकृत तथा अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने की संभावना होगी।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,बांका(बिहार) 

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