समुद्री प्रदूषण के कारण तथा निदान के उपाय- श्री विमल कुमार " विनोद" - Teachers of Bihar

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Wednesday, 18 January 2023

समुद्री प्रदूषण के कारण तथा निदान के उपाय- श्री विमल कुमार " विनोद"

वर्त्तमान समय में वायु,जल,मृदा , ध्वनि प्रदूषण की तरह ही समुद्री प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या का रूप लेता जा रहा है।अन्य प्रदूषण की तरह सागर के जल  प्रदूषण का भी असर मानव पर पड़ता है।इससे तटीय भाग की मछलियों का प्रजनन प्रभावित होता है,क्योंकि संसार के एक बड़ी जनसंख्या का यह  विकल्प है। इससे समुद्री व्यापार भी प्रभावित होता है।तटीय भाग के अन्य जीव तथा वनस्पतियों पर भी प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है।

  आखिर इस प्रदूषण का क्या कारण है?-जैसा कि हमलोग जानते हैं कि विश्व की लगभग आधी जनसंख्या समुद्र के तटीय भाग में निवास करती है तथा समुद्र के संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग करती है,जिसके कारण अनेक नगर बसती जा रही है तथा पुराने नगरों का विस्तार होता जा रहा है।इन नगरों के मलवे का निष्पादन समुद्रों में होता है।ये मलवे लहरों,ज्वार- भाटाओं तथा समुद्री धाराओं के कारण पूरे समुद्र तल पर फैला दिए जाते हैं।इसके अलावे समुद्री परिवहन तथा तेल द्वारा संचालित जलयान तथा तेल ढोने वाले टैंकरों से जो तेल का रिसाव होता है वे भी जल को प्रदूषित करते हैं तथा समुद्री जीवों को भारी हानि पहुँचाते हैं।साथ ही समुद्र तटीय भाग में तेल की खोज तथा खनिज आदि निकालने के क्रम में भी समुद्री जल प्रदूषित हो जाता है।

समुद्री प्रदूषण का प्रभाव-

समुद्री जल के प्रदूषण से न केवल समुद्री जीवों का नाश बल्कि जैव- अवशिष्ट की बड़ी मात्रा में उपस्थिति के कारण लाल ज्वर यानि प्रदूषित जल के ज्वार का विकास होता है।इतने गहनता वाले फायटापलैकटन की रंग उभरता है जिसके कारण पूरे जल का रंग ही बदल जाता है।

  समुद्र के जल के उपर तेल फैल जाने से जल के उपर उसकी पतली परत बन जाती है।तेल के ऐसे आवरण समुद्री जीवों को भारी क्षति पहुँचाते हैं।तेल के आवरण से पौधों में न तो फूल उगते हैं और न ही फल जिसके कारण नये पौधे नहीं उगते। खुदाई के क्रम में निकले पदार्थ समुद्र तल पर जमा कर दिए जाते हैं तथा वे जहरीले हो जाते हैं।

निदान के उपाय-

संसार के 177 राष्ट्र की सीमा समुद्र से लगी हुई है, परन्तु इनमें से केवल 92 देश ही ऐसे हैं जिनके पास तटीय प्रबंधन योजनायें हैं।विश्व स्तर पर प्राकृतिक एवं विश्व संरक्षण संघ ने तटीय क्षेत्र के प्रबंधन के लिये 6 नियम निर्धारित किये हैं-

(1)समुद्री जैव-विविधता को संरक्षण की योजना।

(2)समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के विषय मेंशिक्षित करना तथा उससे होने वाली लाभ से परिचित कराना।

(3)तटीय समुद्र के संसाधन, उसकी सुरक्षा तथा उसके प्रबंधन में स्थानीय लोगों को सम्मिलित करना।

(4)समुद्री संसाधन के सतत् उपयोग तथा संरक्षण के लिये  सामाजिक तथा आर्थिक प्रलोभन देना।

(5)राष्ट्रों के द्वारा निर्धारित नीति में इस बात को ध्यान में रखा जाना कि सभी देश समुद्र से जुड़े हुए हैं तथा संबंधित हैं तथा

(6)सरकार अपने समुद्री जल का स्वंय प्रबंधन करें तथा अन्य समुद्र से जुड़े राष्ट्रों को सहयोग प्रदान करें।

  इन सबके के अलावे इस बात की आवश्यकता है कि समुद्र जल का संरक्षण आपसी मेल-मिलाप से किया जाय।इस कार्य में स्थानीय लोगों की सहभागिता भी बहुत जरूरी है।इसके प्रबंधन में काफी खर्च भी होते हैं।अतःविश्व आर्थिक समुदाय को इसके लिये आगे आने की आवश्यकता है।

    आपका ही शुभचिंतक


आलेख साभार -श्री विमल कुमार

" विनोद" शिक्षाविद,भलसुंधिया,गोड्डा 

(झारखंड

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