सपने वे नहीं होते जो हम सोते हुए देखते हैं, बल्कि सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देती। ये उक्ति है हमारे देश के महान रत्न कलाम साहब का जो हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है और इसे आत्मसात कर अगर हम कोई कार्य की शुरुआत करते हैं तो सफ़लता निश्चित रूप से मिलती है और रास्ते खुद व खुद तय होते जाते हैं। आज से तीन वर्ष पूर्व बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में एक शैक्षिक क्रांति की शुरुआत हुई और उस शैक्षिक क्रांति की संकल्पना थी या कहें की मूर्त रूप में हमारे सामने आई टीचर्स ऑफ बिहार जिसका सपना देखा हमारे फाउंडर महोदय ने उनकी जिद [सकारात्मक] थी हम बिहार के टीचर्स को उनकी मेहनत को, उनकी कार्यकुशलता को, उनकी गतिविधि को एक ऐसा प्लेटफॉर्म देंगे जिसे बिहार ही नहीं बल्कि पूरा भारत देखेगा। आज बिहार के विद्यालयों में हो रही गतिविधि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में हैं।
एक सामान्य सी मान्यता है कि हम जो कार्य करते हैं उसे लोग देखे इसके दो पहलू होते हैं पहला अच्छे कार्य को लोग प्रोत्साहित करते हैं दूसरा लोग अच्छे कार्य से प्रेरित होते हैं। आज टीचर्स ऑफ बिहार के माध्यम से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी बिहार के सरकारी विद्यालयों की क्रियाकलापों को देख रहे हैं और उनके मन में जो बिहार की सरकारी विद्यालयों की जो नकारात्मक छवि थी वो अब दूर हो रही है। आज शिक्षक अपने आपको ICT के क्षेत्र में अपने आपको ढाल रहे हैं। आज हर विद्यालय व शिक्षक एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की दौर में है अपने-अपने विद्यालयों में हो रही गतिविधि को इस मंच के माध्यम से सामने ला रहे हैं शिक्षक अपने नवाचारों से लोगों को एक नई शिक्षण की राह दिखा रहे हैं। हम सभी शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा व बच्चों की प्रति जिम्मेवारी ही थी कि कोरोना काल में इस मंच से एक ऐतिहासिक शुरुआत की गई जिसका नाम था SoM [School on Mobile] जी हां मोबाइल पर स्कूल। कोरोना के दौर में इस कार्यक्रम ने हम सबके सामने एक नई सोच को जन्म दिया कि शिक्षण में ICT का कितना महत्व है। इस मंच के द्वारा समय-समय पर ToB ज्ञान के माध्यम से शिक्षकों को तकनीकी रूप से सशक्त करने की कोशिश की जाती है। इस मंच के द्वारा सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न कार्यक्रमों NMMS, INSPIRE AWARD इत्यादि का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाता है ताकि अधिक से अधिक बच्चे लाभान्वित हो। अक्सर हम इस मनोवृत्ति से सशंकित रहते हैं की कोई भी नया कार्य बहुत मुश्किल होता है लेकिन कार्य कहता है कि मैं मुश्किल नहीं हूँ शुरुआत तो करो, सोचो तो सही 12 नवंबर 2022 का दिन बिहार के शैक्षिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में याद रखा जायेगा। इस दिन टीचर्स ऑफ बिहार की सोच या कहे सपना की सप्ताह का एक दिन ऐसा हो जो पूरी तरह से बच्चों का दिन हो वो बिना बस्ते के विद्यालय आयें और अपनी नैसर्गिक प्रतिभा को प्रदर्शित करें इस सोच को ध्यान में रखते हुए बिहार के विद्यालयों में बैगलेस सुरक्षित शनिवार की शुरुआत की गई। इस मंच की सबसे बड़ी खासियत है कि यह मंच पूरी तरह से सरकारी विद्यालयों एवं सरकारी शिक्षकों का मंच है। आज हर शिक्षक टीचर नहीं बल्कि टीचर्स ऑफ बिहार है । आज हम सभी [शिक्षक] को मिलकर ये संकल्प लेना है कि अपना बिहार हो एक शिक्षित बिहार। तो आइये न सभी शिक्षक इससे जुड़ते हैं और अपनी लेखनी से, अपने नवाचारों से, अपने विचारों से, अपने नये-नये आइडिया से बिहार के सरकारी विद्यालयों को उच्चतम बुलंदियों तक पहुंचाने में अपनी सहभागिता प्रदान करें और सभी एक दूसरे को कहें कि आओ टीचर्स ऑफ बिहार बनें।
आलेखकर्ता
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राकेश कुमार
मध्य विद्यालय बलुआ मनेर [पटना]
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