समय की पाबंदी- श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Friday, 6 January 2023

समय की पाबंदी- श्री विमल कुमार "विनोद"

समय,काल ,अवधि जो कि लगातार तथा अनवरत चलती रहती है।यह संसार का शाश्वत नियम है , जिसे प्रत्येक जीव को समझना ही  होगा।एक शिक्षक होने के नाते  इसे अपनी लेखनी से जीवंत रूप  प्रदान करने का प्रयास कर रहा हूँ

     बालक जब माता के गर्भ में आता है उसी समय से परिवार वालों के द्वारा उस गर्भवती महिला के प्रति समय के अनुसार चिकित्सकीय परीक्षण तथा परामर्श लेने का प्रयास किया जाता है ताकि आने वाला वह बालक स्वस्थ एवं शारीरिक रूप से मजबूत  हो।इसके बाद लगातार उसकी समय-समय पर देखभाल करने की पाबंदी लगी हुई रहती है।धीरे-धीरे वह बड़ा होता जाता है और उसके परिवार वाले उसका समय के अनुसार देखभाल करते रहते हैं। समय की पाबंदी प्रत्येक व्यक्ति के लिये आवश्यक है क्योंकि समय की पाबंदी नहीं होने से मनुष्य स्वेच्छाचारी होने के साथ-साथ अराजकता का भी शिकार होता चला जायेगा। आज के समय में जब संपूर्ण विश्व में कोरोना वायरस का प्रकोप  फैला हुआ है वैसी स्थिति में सरकारी तंत्र के द्वारा अराजकता तथा मनमानी करने वालों पर कानून की सख्त पाबंदी होनी चाहिये।साथ ही विकट परिस्थिति में जब लोग सरकारी आदेश की अवहेलना करने लगे वैसी स्थिति में कड़ी-से-कड़ी पाबंदी लगाया जाना जरूरी है।

समय की पाबंदी के बिना किसी भी चीज में बदलाव तथा तरक्की हो पाना असंभव है ,लेकिन समाज में विकृत मानसिकता वाले लोग अपना तथा विश्व का हित नहीं समझ कर संपूर्ण भारत वर्ष को काल के गाल में धकेलने लगते हैं,क्योंकि सबसे पहले राष्ट्र की एकता,अखंडता तथा सुरक्षा आवश्यक है।दुःख की बात तो तब होती है जब लोग राष्ट्र हित की परवाह किये बगैर धर्म के नाम  पर हजारों हजार लोगों को बुलाकर संपूर्ण देश के लिये संकट की स्थिति पैदा करने से भी बाज नहीं आते हैं। 

समय की पाबंदी सभी के लिये आवश्यक है।इसी संबंध में विश्व के जाने-माने आदर्वादी विचारक  'हीगेल' ने अपने द्वन्दात्मक विचार में कहा है कि सभी जीवों को समय को पहचाना चाहिये,जो समय को नहीं पहचानता है वह समय की चक्की में पिसा जाता है,जैसे कि"चींटी जो कि खेत में रहता है तथा बरसात के समय को नहीं पहचान पाता है, फलस्वरूप हल जोतने वाला उसके घर को ध्वस्त कर देता है।इस प्रकार समय की पाबंदी होनी चाहिये। हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने निर्णय के बहुत मजबूत और दृढ़ निश्चयी भी हैं तथा भारतवर्ष के लोगों की सेवा करने के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं,जैसा कि 2013 का आपदा प्रबंधन कानून कहता है कि "अगर राज्य सरकार राष्ट्रीय आपदा के समय शासन करने तथा आपदा को नियंत्रित करने में विफल हो जाती है,वैसी परिस्थति में राष्ट्रपति उस राज्य में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।इसके बाबजूद भी यदि स्थिति में सुधार नहीं होगा तो कानून का उल्लंघन करने वालों को गोली मारने के आदेश दे सकती है।इसलिये राष्ट्रीय विपदा की घड़ी में भारतीय नागरिकों को सरकार के आदेशों का अक्षरशः पालन करना चाहिये,तभी भारत तथा विश्व जन समुदाय का कल्याण होगा वरना कोई भी धर्म, संप्रदाय आपको कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के खतरे से बचाने में असमर्थ नजर आयेगा।

इसलिये यदि अपने आप को,विश्व जन समुदाय को संकट की घड़ी से उबारना है तो "समय की पाबंदी" को समझने का प्रयास कीजिये नहीं तो कालिया तेरे सिर पर मौत नाच रही है वाली बात  घटित होगी। इसलिये आइये हम सभी मिलकर विपदा की घड़ी में देश को संकट से उबारने का प्रयास करते हुये राष्ट्रहित की बात सोचने की कोशिश करें।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"शिक्षाविद।

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