भारत के महानतम शासकों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज-सुरेश कुमार गौरव - Teachers of Bihar

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Saturday, 18 February 2023

भारत के महानतम शासकों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज-सुरेश कुमार गौरव

इतिहास में शिवाजी महाराज को तेजस्वी वीर मराठा शासक के रूप में जाना जाता है। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनकी माता जीजाबाई तथा पिता शाहजी भोंसले थे। शिवाजी कई कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की कठिन शिक्षा ली थी।


महज 16 वर्ष की उम्र में 6 जून 1674 को जब मुगलों को परास्त कर रायगढ़ लौटे तो उनका मराठा शासक के रुप में राज्याभिषेक हुआ था। 


माता जीजाबाई धार्मिक प्रवृत्ति की होते हुए भी गुण-स्वभाव और व्यवहार में वीरंगना नारी थीं। उन्होंने अपने बेटे का पालन-पोषण रामायण, महाभारत तथा अन्य भारतीय वीरों की उज्ज्वल कहानियां सुना कर और शिक्षा देकर किया। शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई, 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था।


शिवाजी की पैतृक जायदाद बीजापुर के सुल्तान द्वारा शासित दक्कन में थी। बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों के हाथों सौंप दिया था। 16 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें विश्वास हो गया कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए संघर्ष करके ही देश धर्म को बचाया जा सकेगा। 


शिवाजी ने अपने अति विश्वासपात्रों को एकत्रित कर अपनी ताकत को धीरे-धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई। शिवाजी ने इस मौके का फायदा उठाकर बीजापुर में प्रवेश करने का फैसला लिया। छोटी सी उम्र में ही उन्होंने टोरना किले का कब्जा हासिल कर लिया था। यह उनके जीवन काल की पहली विजय यात्रा थी।


इस बात से गुस्साए और मौके की तलाश में 1659 में आदिलशाह ने अपने सेनापति को शिवाजी को मारने के लिए भेजा। दोनों के बीच प्रतापगढ़ किले पर युद्ध हुआ। इस युद्ध में भी शिवाजी विजयी हुए। शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखते हुए मुगल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिए भेजा। उन्होंने एक समझौते पर शिवाजी से हस्ताक्षर करने को कहा जिसमें उन्हें मुगल शासक को 24 किले देने का जिक्र था।


समझौता हुआ। इसके बाद शिवाजी आगरा के दरबार में औरंगज़ेब से मिलने के लिए गए। वह 9 मई, 1666 ई को अपने पुत्र शम्भाजी एवं चार हजार से अधिक मराठा सैनिकों के साथ मुग़ल दरबार में उपस्थित हुए। परन्तु औरंगज़ेब द्वारा उचित सम्मान नही़ मिलने पर भरे दरबार में औरंगज़ेब को विश्वासघाती कहा। इससे औरंगजेब ने उन्हें एवं उनके पुत्र को 'जयपुर भवन' में क़ैद कर दिया। लेकिन युद्ध कला में माहिर शिवाजी 13 अगस्त, 1666 ईसवी को फलों की टोकरी में छिपकर फ़रार हो गए और को रायगढ़ पहुंचे।


सन 1674 तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था, जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे। इससे भारत के शासकों में शिवाजी की चर्चाएं चारों ओर होने लगी।


उन्होंने मराठाओं की एक विशाल सेना तैयार कर ली थी।उन्हीं के शासन काल में गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू हुआ। उन्होंने नौसेना भी तैयार की थी। भारतीय नौसेना का उन्हें जनक भी माना जाता है। छापामार युद्ध और गुरिल्ला युद्ध में वे माहिर थे।


अप्रैल 1680 को बीमार होने पर उनकी मृत्यु हो गई थी। ऐसे वीर योद्धा को हर भारतवासी याद करते हैं और उनके द्वारा देश के प्रति किए गए महत्त्वपूर्ण कार्यों से प्रेरणा भी लेते है। शत् शत् नमन इस वीर योद्धा को।



लेखन-सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक,

उ.म.वि.रसलपुर,फतुहा,पटना (बिहार)

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