तकनीकी कृषि- श्री विमल कुमार"विनोद" - Teachers of Bihar

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Tuesday, 28 February 2023

तकनीकी कृषि- श्री विमल कुमार"विनोद"


कृषि जो कि जीवन की अनिवार्य आवश्यकता में एक"भोजन"है,उसकी पूर्ति के लिये अनिवार्य है।आज भारत वर्ष में जिस गति से जनसंख्या वृद्धि होती जा रही है,उस गति से भोज्य संसाधनों की कमी होती हुई नजर आ रही है।एक ओर सरकार के द्वारा अपने वोट बैंक की नीति को बरकरार रखने के लिये मुफ्त में अनाज प्रदान करके लोगों को आलसी बनाकर उसमें अंदर श्रम करने की क्षमता को घटा दिया है,जिससे उत्पादन में लगातार ह्रास होता जा रहा है जो कि आज भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों की चुनौती सी बन गयी है।ऐसी परिस्थित में तकनीकी कृषि किया जाना आवश्यक है,लेकिन लोग अधिक-से-अधिक फसल उपजाने की होड़ में कृषि तथा इससे जुड़े मापदंड को धत्ता बता देते हैं।लोगों के द्वारा अंधाधुंध रासायनिक खाद तथा रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करके जमीन की उर्वरा शक्ति को गर्त में पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।ऐसी परिस्थित में मैंने एक किसान की भूमिका निभाते हुये जो महसूस किया है,वह प्रस्तुत है।

कृषि कार्य करते समय खेतों में कंपोस्ट खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके बाद खेतों की जुताई ट्रैक्टर से अपने सामने रहकर किया जाना चाहिए।खेतों में उन्नत किस्म के प्रायोगिक बीज का प्रयोग करना चाहिए। खेत में कृषि कार्य को करने के समय मानक के मुताबिक खाद का प्रयोग करना चाहिए।मानक से अधिक खाद का प्रयोग किये जाने से खेत की प्रकृति बदलने लगती है तथा अत्यधिक खाद का प्रयोग किये जाने से एक-दो-वर्ष के बाद खेत का उपज भी घटने लगती है।

आज के बदलते हुये परिवेश में किसान बंधु लोग फसल लगाने के पूर्व ही थायमाइट जैसे खतरनाक रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करके भूमि में पाये जाने वाले केंचुआ तथा अन्य मित्र जीवाणु को मार देते हैं क्योंकि केंचुआ एक ऐसा जीव है जो कि लगातार जैविक खाद कि उत्पादन करता ही रहता है।साथ ही भूमि में अत्यधिक रासायनिक खाद एवं कीटनाशक का प्रयोग किये जाने से आज के समय में डायबिटीज, रक्त-चाप,हृदय रोग के साथ-साथ अनेकों प्रकार की बिमारी होने की संभावना बढ़ गयी है।

इन सबसे बचने के लिये लोगों को खेतों में कंपोस्ट खाद,जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए।इन सभी बातों के अलावे भी किसान भाइयों को प्रयास करना चाहिए कि कम-से-कम कीटनाशक तथा रासायनिक खाद का प्रयोग करें ।इसके अलावे प्रत्येक जिले में स्थापित"कृषि विज्ञान केन्द्र तथा उत्तम किस्म के बीज भंडार"वालों की सलाह से अपनी कृषि को विकसित करें।इसके अलावे प्रत्येक किसान को चाहिए कि प्रतिदिन सुबह अपने खेतों की देखभाल करने तथा उसका मुआयना करने की कोशिश की जाय।ऐसा करने से आपको पता चल जायेगा कि आपके खेत को क्या चाहिए तथा कौन सी चीज की कमी है।साथ ही खेत घूमने जाने के समय प्रयास करना चाहिए कि दूसरे किसान को भी साथ ले लें ताकि आपको उनसे भी कृषि संबंधित सलाह मिल सके।


श्री विमल कुमार"विनोद"भलसुंधिया 

गोड्डा (झारखंड)।

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