जिस समय अस्पृश्यता जोरों पर थी उस समय इस युगपुरुष का कर्म काल चरम पर था। इनके द्वारा इस मिथक को तोड़ने के भरपूर प्रयास भी किए गए।अपनी जीवटता के चलते समानता, विश्वबन्धुत्व और भाईचारे की भावना को बाबा साहब स्थापित भी कर पाए और जो बरसों से अभिवंचित जीवन जी रहे थे उन लोगों को भी संघर्ष के बलबूते जीवन जीने को बार-बार अभिप्रेरित भी किया और उनके हक प्राप्ति हेतु जीवन जीना सीखलाया।
आईए, हम बाबा साहेब के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर एक नजर डालते हैं;
१.एक ऐसा शिक्षा प्रेमी जिसने अपने घर को ही पुस्तकालय बनाया।
२.विश्व विख्यात विद्वान और 32 डिग्रियों के धारक।
३.मर्मज्ञ और विधि विशेषज्ञ विश्व विख्यात अर्थशास्त्री।
४.रुपए की समस्या पुस्तक लिखने के बाद हिल्टन कमिटी द्वारा रिजर्व बैंक की स्थापना।
५.विश्व प्रसिद्ध उद्धारक और विचारक।६.आधुनिक भारत के निर्माता और संविधान के शिल्पकार।
७.कानूनन हड़ताल के अधिकार पैरोकार।
८.भारत में मजदूर श्रमिक संघ को मान्यता दिलाने वाले।
९.वंचितों के छूआछूत भेदभाव से मुक्ति दिलाने वाले।
१०.महिलाओं के पुरुष समानता या इनके समकक्ष विधि कानून लानेवाले।
११.समता, समानता, बंधुत्व और न्याय दिलाने के पैरोकार।
१२.श्रमिकों के 12 घंटे के बदले 8 घंटे काम के अधिकार दिलाने वाले।
१३.साप्ताहिक अवकाश वेतन सहित दिलवाने वाले।
१४.कर्मचारियों के मंहगाई भत्ता के निर्माता।
१५.केन्द्रीय सिंचाई आयोग की नींव रखनेवाले।
१६.राज्यों के नियोजनालय यानी रोजगार कार्यालय के निर्माता।
१७.कर्मचारी राज्य बीमा के जनक।
१८.स्वास्थ्य बीमा और भविष्य निधि के निर्माता।
१९.श्रमिक कल्याण कोष के निर्माता।
२०.विधि आयोग के जनक।
२१. समानता के अधिकार दिलाने वाले।
२२.भारत के प्रथम डीएससी के डिग्री धारक।
२३.हिन्दू कोड बिल माध्यम महिलाओं के हक में पैरोकारी।
इसके अलावे भी उनके द्वारा किए गए कार्य हैं जो उनके महान व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाता है। ऐसे युगपुरुष के सिद्धांत और विचारों पर चलने की जरूरत है जिन्होंने अकेले इतना कुछ दिया और अपने लिए धन संपत्ति से इतर अपने विचार और सैंकड़ों पुस्तकें छोड़ गए लगता है अपने विचार आधुनिक भारत के लोगों के लिए छोड़ गए हैं।
विश्वरत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी को भारत रत्न मिलने में भी भेदभाव की गई और काफी देरी से उन्हें भारत रत्न मिला। भारत के तल्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के द्वारा देश में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई।
आज की राजनीतिक पार्टियां अंबेडकर के विचारों से चलना तो चाहती है लेकिन इनका महिमा मंडन करने से भी नहीं चूकती। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी के विचारों पर चलकर हम शिक्षा और इसके महत्व को भी दरकिनार नहीं कर सकते। बाबा साहेब ने शिक्षित बनो,संगठित रहो और संघर्ष करो का नारा भी इसीलिए दिया था ताकि समाज में समरसता,विश्वबन्धुत्व और समतामूलक समाज की स्थापना की जा सके।
लेखन: सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक उ.म.वि.रसलपुर,फतुहा,पटना (बिहार).
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