विज्ञान के अनुसार अनुमानतः एक बड़ा पेड़ औसतन प्रतिदिन 227 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जबकि एक आदमी को प्रतिदिन 550 लीटर ऑक्सीजन (19 क्यूबिक फीट) की जरूरत होती है। हमारे रसोई घर, फैक्ट्रियों, बिजली, खेती, वाहनों उद्योग- धंधों, कल-कारखानों आदि में खपत होने वाली ऑक्सीजन की यदि हम बात करेंगे तो यह आकलन करना ही मुश्किल हो जाएगा कि हमें इसकी प्रतिपूर्ति के लिए प्रतिदिन कितने पेड़ों की जरुरत पड़ेगी।
इसलिए हमें जब भी मौका मिले एक पेड़ अवश्य लगाने चाहिए ताकि हम पर्याप्त मात्रा में सांस ले सकें। और जीवन आक्सीजन के बिना प्रभावित न हो सके। पेड़ है तो जीवन है, पर्यावरण संरक्षित है वर्ना जीवन पर खतरे हमेशा मंडराते ही रहेंगे।
कोविड वैश्विक मारी के चलते अस्पताल में इतने अधिक मरीज भर्ती हो रहे थे कि पूरे भारत के अस्पतालों और मरीजों के लिए आक्सीजन कम पड़ने लगा था। आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों एजेंसियों ने भी लगता उस वक्त हाथ खड़े कर लिए थे। हम सब कोविड-19 का वह भयाभय वाला काल कभी नहीं भूल सकते हैं। इसने भी चेतावनी दे डाली कि प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम कितना घातक होता है। इसलिए हमें पेड़-पौधे का संरक्षण ही नहीं अपितु इनका दोहन करने वालों के विरुद्ध आवाज उठाई जानी चाहिए।
इसके अलावे पेड़-पौधे प्रदूषण नियंत्रण, मिट्टी के कटाव के संरक्षण, तापमान नियंत्रण,भूजल स्तर में वृद्धि देने के साथ-साथ कागज ,फर्नीचर के काम भी आते हैं। बहुत सारे पेड़-पौधे ऐसे होते हैं जिनसे विभिन्न प्रकार की औषधियां,दवाईयां,जड़ी बूटी प्राप्त होती हैं। फल,फूल साक्,सब़्जियां तो इनसे भरपूर मिलती ही हैं।
यदि आप सब भी इस संबध में जानकारी शेयर करना चाहते हैं तो एक दूसरे के साथ अवश्य करें और जहां भी पेड़ की अंधाधुंध कटाई देखें इसका भी पुरजोर विरोध करें और पेड़ों के प्रति अति सजगता दिखाएं।
पर्यावरण संरक्षित तो जीवन सुरक्षित।
लेखन : सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक,
उ.म.वि.रसलपुर,फतुहा,पटना(बिहार)
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