मूल्य आधारित शिक्षा आज के समय की मांग- श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Friday, 3 February 2023

मूल्य आधारित शिक्षा आज के समय की मांग- श्री विमल कुमार "विनोद"

आज का समय जब कि मनुष्य  आधुनिकता की ओर अग्रसर है तथा बच्चों में पश्चिमी सभ्यता हावी होता जा रहा है वैसी स्थिति में हमारा किशोरावस्था चिन्तनीय तथा सोचनीय बनकर रह गई है। ऐसी स्थिति में मूल्य आधारित  तथा नैतिक शिक्षा बहुतआवश्यक हो गई है।

  "मूल्य एक अर्जित व्यवहारात्मक पैटर्न" होता है तथा इसका बीजारोपण सामान्य व्यक्ति के आरंभिक सामाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान हो जाती है।बच्चों के मूल्य के विकास में माता पिता,पास पड़ोस एवं शिक्षकों की अहम भूमिका होती है।जिन बच्चों को मूल्य आधारित शिक्षा मिल पाती है,वे एक श्रेष्ठ एवं उत्तम व्यक्तित्व विकसित कर पाते हैं और समाज एवं परिवार दोनों के लिए धरोहर साबित होते हैं ।

     शिक्षा मनोविज्ञानिकों का यह सोच है कि मूल्यों को सिखलाया जा सकता है और मूल्य आधारित शिक्षा बच्चों के व्यक्तित्व के सर्वांगिण विकास के लिये महत्वपूर्ण होते हैं।ऐसा माना जाता है कि जब छात्रों को स्कूली।जिंदगी में संतुष्टि होता है तो,उससे छात्रों में मूल्य का निर्माण होता है।बच्चों के मूल्य का विकास करने में स्कूल में शिक्षक और छात्र का संबंध घनिष्ठ और दोस्ताना होना आवश्यक है।

        मूल्य आधारित शिक्षा को विकसित करने में माता पिता परिवार,समाज,सभी का महत्वपूर्ण स्थान है ।लेकिन आज।के समय में जब बच्चे आधुनिक बनने की दौड़ में तथा पश्चिमी।सभ्यता के चक्कर में पड़कर सामाजिकता,अनुशासन, नैतिकता बड़े बुजुर्गों के साथ व्यव्हार में परिवर्तन आने के चलते मूल्य में गिरावट देखने को मिलती है।इसके लिये छात्रों में मूल्य के संबंध में मौलिक ज्ञान,छात्रों को भविष्य के परिणामों का मुक्त।अभिव्यक्ति की छूट होनी चाहिए।

        विद्यालय में बच्चों में शैक्षिक अनुभूतियों से मूल्य निर्माण होती है।विद्यालय में छात्रों के लिए तैयार किये गये पाठयक्रम में विविधता हो तथा छात्रों का आपस में मधुर संबंध हो। साथ ही  छात्रों में आत्म सम्मान बढ़ाने के लिए सक्रिय हो।साथ ही मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे जब कक्षा में परिचर्चा करते हैं तो उनसे भी मूल्य विकास की प्रक्रिया प्रभावित होती है ।इसके अलावे बच्चों को स्नेह शर्तहीन  सम्मान दिया जाना चाहिए ।माता पिता के आपसी संबंध से भी बच्चों के मूल्य का विकास प्रभावित होता है।कुछ माता पिता।प्रायः झगड़ते हैं जिससे बच्चों में मानिसक द्वन्द की स्थिति पैदा हो जाती है।

     इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मूल्यों के विकास से व्यक्ति का सर्वांगिण विकास होता है ।इसके लिये माता-पिता,परिवार,शिक्षक, समाज सभी को मिलकर बच्चों में मूल्यों का विकास करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को सुन्दर,सुदृढ़ तथा भविष्य में मिलने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके ।

           आने वाला कल बच्चों में के लिये मंगलमय हो इसकी ढेर सारी शुभकामनायें।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद" शिक्षाविद,भलसुंधिया,गोड्डा 

(झारखंड)।

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