हम सभी जानते हैं की साल में 12 महीने, महीने में 28,29,30 और 31 दिन और सप्ताह में 7 ही दिन होते हैं। चंद्रमा के गति से तुलना कर दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष अमावस्या और पूर्णिमा के ख्याल से निर्धारित होते हैं। 12 महीने के दिनों को जोड़ कर एक वर्ष यानी 365 दिन सामान्य वर्ष और प्रत्येक चार वर्ष पर लीप ईयर 366 दिन के निर्धारित होते हैं लीप ईयर में फरवरी माह 29 दिनों के होते हैं.ऐसा हर चार साल पर होता है।
केलैंडर के अनुसार ही सरकार और हम अपने-अपने कार्यक्रम बनाते हैं अथवा सुविधानुसार प्लान करते हैं। लेकिन आखिर ये शुरू कैसे हुआ। आईए इसी से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों की बातें करते हैं।
1.एक हफ्ते में सात दिन की अवधारणा हमारे सात ग्रहों को लेकर बनाई गई है.पुरानी से पुरानी सभ्यताओं में इन सात ग्रहों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
2.प्राचीन बेबीलोन सभ्यता में भी (चंद्रमा) चंद्रकलाओं से प्रेरणा लेते हुए हफ्ते में सात दिनों की गणना की गई। बेबीलोन सभ्यता के निवासी चंद्रकला बढ़ने से लेकर पूरे चांद के दिन तक सात दिन उत्सव के रुप मे़ मनाते थे। धीरे-धीरे बाद में उत्सव के यही दिन सप्ताह में बदल गए।
3.यहूदियों के समय भी यही पैटर्न अपनाया गया और सात ग्रहों के आधार पर सात दिन निर्धारित किए गए।
4.Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday और Saturday सोम,मंगल,वुध, बृहस्पति,शुक्र,शनि और रवि।
5.अपने देश की बात करें तो यही शक संवत को आधार मानकर वार जोड़कर सोमवार से रविवार सप्ताह के सात दिन माने गए।
6.चंद्रमा,सूर्य,ग्रहों के समय सिद्धांत के अनुसार पक्ष,मास और साल निर्धारित किए गए हैं।
अब महीने की बात करते हैं.
जनवरी (January) माह का नाम जानुस (रोमन सभ्यता में उत्पत्ति के देव) के आधार पर रखा गया है जबकि
फरवरी (February) फेबरुसस के सम्मान में रखा गया है।
मार्च (March) मार्स के लिए और
अप्रैल (April) अफ्रोडाइट के आधार पर रखा गया है।
मई (May) माया के नाम पर जबकि
जून (June) जूनों से प्रेरित है।
जुलाई (July) का महीना जूलियस सीजर और
अगस्त (August) माह आगस्टस सीजर के नाम पर रखा गया है।
सितंबर (September) माह लेटिन भाषा के सेवन शब्द से लिया गया है।
अक्तूबर (October) लेटिन के एट से,
नवंबर ( November) लैटिन भाषा के ही नाइन से और
दिसंबर (December) लैटिन भाषा के टैन शब्द से प्रेरित है।
एक चीनी कलैंडर भी मान्यताओं पर आधारित है.2637 BCE में बना था. इसमें नाम भी 12 चीनी जोडियाक जानवरों के नाम पर रखे गए हैं। इनमें चूहे-जनवरी, शेर-फरवरी, खरगोश-मार्च, सांप -अप्रैल, ड्रैगन-मई, बैल-जन , घोड़ा -जुलाई, भेड़-अगस्त , बंदर-सित़बर, मुर्गा-अक्टूबर, कुत्ता-नव़बर और सुअर-दिसंबर शामिल हैं। चीनी नए साल पर इस कलैंडर की सबसे लंबी छुट्टी मनाई जाती है।
चीनी मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि साल में एक बार नियान नाम का दानव बाहर निकलेगा और इंसानों पर हमला करेगा।
लेकिन वो दानव आग, लाल रंग और धमाकों से डर जाता है. इसीलिए चीनी नए साल पर खूब पटाखे फोड़े जाते हैं। आतिशबाजी होती है और लाल रंग के कपड़े पहने जाते हैं।
आलेख: सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक ,पटना (बिहार)

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