"जीर्णोधार की आस लगाये तालाब"
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इस संसार में लगभग74 से77% भाग में जल है जिसमें से 1•5से2% जल ही मनुष्य के प्रयोग के लिए है ।इसमें से यदि पृथ्वी के संपूर्ण जल को आधा गैलन मान लिया जाय तो मीठा जल मात्र आधा चम्मच यानि 0•02% है ।
साथ ही पृथ्वी में वर्षा के जल चक्र का अध्ययन करने पर पता चलता है कि वर्षा के जल का लगभग 77% महासागरों में चला जाता है,16%जल पहाड़ पर्वत मैदानी भागों के द्वारा पृथ्वी के अंदर जाता है,7%जल पुनः नदी नालों के द्वारा महासागरों में जला जाता है तथा 7% जल चक्रण में रहता है ।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ है यानि वर्षा हुई तो खेती होगी और कम वर्षा हुई तो सूखा पड़ जायेंगे ।इसलिए सरकार को तथा किसान को भी चाहिए की तालाब का
संरक्षण हो सके।
इसके अलावा वर्षा की कमी होने पर पानी की समस्या से निजात पाने के लिए वर्षा के जल का संरक्षण करने के लिए तालाब ,कूप,चेकडेम इत्यादि बनाने की बात भी इस पर्यावरण में पायी जाती है ।किसी पर्यावरणविद ने कहा है"नदी, जलाशय,कूप,तालाब रखना होगा पास ,वरना भावी पीढ़ी नहीं करेगी माफ "।मनुष्य पर्यावरण से सिर्फ पाने की कामना करता है ,पर्यावरण को देने का नहीं ।आप लगातार कंक्रीट का जंगल बनाते जा रहे हैं, जल संरक्षण का प्रयास ही नहीं करते हैं ऐसे में जल की कामना मनुष्य की नासमझी ही होगी ।
चूंकि वर्षा के जल के संरक्षण का एक प्रमुख साधन तालाब भी है ,इसलिए बंगाल में आकाल आने के बाद बहुत ज्यादा संख्या में तालाबों की खुदाई की गई थी ताकि बर्षा के जल को संरक्षित किया जा सके ।बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि तालाब की खुदाई कराने की अच्छी सोच पैदा करके तालाब का जीर्णोद्धार कराना चाहिए। इस क्षेत्र में पद्म श्री से विभूषित श्री सिमोन ऊरांव के द्वारा वर्षा जल संरक्षण से संबंधित डोभा खुदाई का एक संदेश देकर एक उत्कृष्ट कार्य किया है।
तालाब जो कि खेल का मैदान का रूप धारण करते जा रहे हैं, उसकी खुदाई कराने का प्रयास करना चाहिए ताकि इसमें जल संरक्षण हो सके तथा क्षेत्र का चहोन्मुखी विकास किया जा सके।इस कार्यक्रम के प्रथम दिन लग रहा था कि इस पंचायत के सभी तालाबों का जीर्णोद्धार होगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ ।इसके बाद इधर हाल के दिनों में अखबार के माध्यम से पता चला कि जिला प्रशासन के द्वारा के तालाबों खुदाई की जानी चाहिए।
अंत में ,मैं जिला प्रशासन से अनुरोध करता हूँ कि अगर कुओं तथा कुछ बड़े बड़े तालाबों का जीर्णोद्धार कर दिया जाए तो जल संरक्षण भी होगा , किसान भी लाभान्वित होंगे ,बड़े बड़े तालाब मैदान बनने से रूक जायेंगे तथा आने वाले कल का भविष्य भी मंगलमय होगा ।
उम्मीद के साथ आस लगाये हुए
आपका ही
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"शिक्षाविद,भलसुंधिया,गोड्डा
(झारखंड)।

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