राष्ट्रीय गणित दिवस: सूक्ष्म अवलोकन - देव कांत मिश्र 'दिव्य' - Teachers of Bihar

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Saturday 23 December 2023

राष्ट्रीय गणित दिवस: सूक्ष्म अवलोकन - देव कांत मिश्र 'दिव्य'


आज राष्ट्रीय गणित दिवस है। सम्पूर्ण राष्ट्र में गणित से रुचि रखने वाले छात्रों, व्यक्तियों एवं विशेषज्ञों के लिए हर्ष की बात है। आखिर क्यों न? गणित एक रोचक व रचनात्मक विषय है। साथ ही साथ एक प्रकार से पहेलियों का पिटारा भी। कुछ लोग इसे कठिन विषय मानते हैं। 'गणित' नाम सुनते ही मन में उसके प्रति भय व्याप्त हो जाते हैं। उससे दूर भागने लगते हैं, लेकिन जो इसे अपना मित्र बना लेते हैं, पसंद करते हैं, उनके लिए इससे आसान विषय कुछ नहीं होता। वर्तमान में सिर्फ भारत ही नहीं विश्व स्तर पर शैक्षिक, आर्थिक, तकनीकी एवं

वैज्ञानिक प्रगति का आधार गणित ही है। यों कहा जाए शिक्षा के तो प्रत्येक क्षेत्र में गणित के किसी न किसी रूप का प्रयोग अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।

            आज भारत देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म दिवस है। इनका जन्म तमिलनाडु के इरोड शहर में २२ दिसम्बर,१८८७ को हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी थे। एक बार इनके मित्र ने इनसे गणित के बारे में पूछा- मित्र! गणित तो उलझा हुआ एवं कठिन विषय है, समझ में नहीं आता। कैसे इसमें उत्तीर्ण करूँगा? रामानुजन ने कुछ पल चिंतन करने के पश्चात् अपने मित्र से कहा- मित्र! भोजन कैसे करते हो। तो उन्होंने कहा- हाथ से। फिर इन्होंने कहा- अपने हाथ में कलम पकड़ो और गणित की ओर बढ़ो, चिंतन करो, उसके रस में डूब जाओ और उसे अपना सच्चा मित्र बना लो। सारी समस्या समाधान हो जाएगी और उस दिन से गणित तुम्हें आसान लगने लगेगा। इनकी बातों का गहरा प्रभाव पड़ा। उसके बाद से गणित विषय उन्हें रुचिकर और आसान लगने लगा। उन्होंने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत और निरंतर भिन्न अंशों के लिए आश्चर्यजनक योगदान दिया और अनेक समीकरण व सूत्र पेश किये। उनके प्रयासों व योगदान ने गणित को नया अर्थ दिया। गणितीय क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण खोज 'रामानुजन थीटा' तथा 'रामानुजन प्राइम' है। इस खोज को आधार बनाकर विश्व के तमाम गणितज्ञ अभिप्रेरित हुए हैं और अनेक शोध व विकास हेतु प्रयत्नशील हैं। शायद कम ही लोगों को पता होगा कि पाश्चात्य गणितज्ञ जी एस हार्डी ने रामानुजन को यूलर, आइजक न्यूटन तथा आर्किमिडीज जैसे विशेषज्ञों की कोटि में रखा था। मात्र ३२ वर्ष के जीवनकाल में इन्होंने गणित को रोचक ढंग से जिया। इनके निधनं के पश्चात् ५००० से अधिक प्रमेय छपवायी गयीं। इनमें अधिकांश ऐसी थीं, जिन्हें कई दशक बाद तक सुलझाया न जा सका। सच पूछा जाए तो

गणित के क्षेत्र में इनके द्वारा की गई खोजें आधुनिक गणित और विज्ञान का मूल आधार बनकर उभरा है। उन्हें 'गणितज्ञों का गणितज्ञ' और 'संख्याओं का जादूगर' कहा जाता है। यह संज्ञा उन्हें संख्या सिद्धांत पर उनके योगदान हेतु दी जाती है। गणित के महत्व के विषय में उनके विचारों को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत रखा जा सकता है:


* गणित के प्रयोग के बिना किसी भी कार्य को करना असंभव ही नहीं अपितु दुर्लभ है।

* दैनिक जीवन से लेकर प्रौद्योगिकी, कृषि अभियंत्रण, जैव प्रौद्योगिकी तथा चिकित्सा का क्षेत्र गणित के बिना अधूरा है।

* भौगोलिक सर्वेक्षण, व्यवसाय, बीमा और उद्योगों से जुड़े सभी कार्य गणित पर ही आश्रित है।

* भौतिकी में क्वांटम यांत्रिकी को समझने के लिए मैट्रिक्स विश्लेषण जरूरी है।

* गणित प्रकृति की सबसे बड़ी विशेषता, परिवर्तन व विचरण है।

* गणित एक अमूर्त, निराकार तथा निगमनात्मक प्रणाली है।

इसके साथ-साथ संगीत में स्वर, लय, संवादी और प्रतिबिंदु के सिद्धांत गणित पर ही आधारित होते हैं।

यानि हम कह सकते हैं कि प्रायः सभी क्षेत्र गणित के बिना अधूरा है। कोठारी आयोग ने भी गणित के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा था-" सभी छात्रों को अनिवार्य रूप से सामान्य शिक्षा के भाग के रूप में प्रथम १० वर्षों तक गणित पढ़ाई जानी चाहिए।" प्रसिद्ध गणितज्ञ व वैज्ञानिक गाउस के शब्दों में, " गणित सभी विज्ञानों की रानी है।" गौरतलब है कि गणित की समझ रखने वालों ने देश व दुनियाँ को नयी दिशा प्रदान की है। इसके माध्यम से समाज की दशा व दिशा को बदला जा सकता है। भारत गणितीय क्षेत्र में महान है। इसकी एक गौरवशाली इतिहास है, परंपरा है। इसे कायम रखने की जरूरत है। यहाँ प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। यहांँ के छात्र प्रतिभाशाली हैं। हमें बस जरूरत है रामानुजन के नक्शे कदम पर चलने की।

अतः भविष्य की आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए छात्रों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने हेतु गणित विषय के प्रति अभिरुचि व सतत जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। गणित के छात्रों में डर बनाने की बजाय व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है। आज गणित हमारे परित: वातावरण में किसी न किसी रूप में व्याप्त है। अतः इसके महत्व व अन्वेषण की जरूरत है।



देव कांत मिश्र 'दिव्य' 

मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज,' 

भागलपुर, बिहार

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