राम महिमा - सुधीर कुमार - Teachers of Bihar

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Thursday 14 December 2023

राम महिमा - सुधीर कुमार

 राम महिमा 

-- राम , जो सबमें रमे है ।  

--- राम , जिनके स्मरण मात्र से ही सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति का तन मन पवित्र हो जाता है 

-- राम , जिन्होंने मर्यादा स्थापित करने के लिए जीवन भर दुख झेला और चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया ।

--- राम , जिन्होंने विश्वामित्र के पास रहकर दानवों का संहार किया और हमें यह बताया कि धर्म की रक्षा के लिए अधर्मियों और पापियों का नाश करना आवश्यक है । 

--- राम , जिन्होंने पैर के स्पर्श मात्र से ही वर्षों से पत्थर बनी अहिल्या को तार दिया और उसे विष्णु लोक पहुँचा दिया ।

--- राम , जिन्होंने भगवान शंकर के धनुष को एक तिनके के समान तोड़ दिया जिसे त्रिलोक विजेता रावण उठा भी नहीं पाया था । 

--- राम , जिन्होंने पिता का वचन पालन करने के लिए हँसकर चौदह वर्ष का वनवास ले लिया । 

--- राम , जिन्होंने स्वयं क़ो वनवास देनेवाली कैकेयी और मंथरा से भी प्रेम किया तथा उन्हें माता कहकर उनका सम्मान किया । 

--- राम , जिन्होंने भरत के लाख समझाने पर भी राजपाट वापस नहीं लिया और यह दिखा दिया कि जो सुख त्याग में है वह ग्रहण में नहीं ।  

--- राम , जिन्होंने केवट की नाव पर चढ़ने के बाद उसका ऋण चुकाने के लिए उसे भवसागर से तार दिया ।

--- राम , जिन्होंने सीता के लिए दर दर की ठोकरें खाकर यह सिद्ध कर दिया कि विवाह दिल से दिल का अटूट बंधन है और यदि जीवन संगिनी पर आँच आए तो उसके लिए महायुद्ध भी किया जा सकता है ।

--- राम , जिन्होंने प्रेम के वश में होकर शबरी के जूठे बेर भी खुशी खुशी खा लिए थे । 

--- राम , जिन्होंने सिद्ध कर दिया था कि मन में अटल निष्ठा और विश्वास हो तो भगवान स्वयं चलकर भक्त (शबरी) के पास भी आ सकते हैं । 

--- राम , जिन्होंने यह सिखाया कि शाशक जब तक स्वयं चलकर समाज के सबसे निचले वर्ग के पास नहीं जायेगा तब तक राम राज्य आ ही नहीं सकता है । 

--- राम , जिन्होंने जटायु का अंतिम संस्कार कर यह संदेश दिया कि हमें सिर्फ मनुष्य से ही नहीं वरन पशु पक्षियों से भी अटूट प्रेम करना चाहिए । 

--- राम , जिन्होंने हनुमान और अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजकर यह साबित कर दिया कि युद्ध को हर हाल में टालना चाहिए । समाज में शांति आवश्यक है युद्ध नहीं । 

--- राम , जिन्होंने विभीषण से मैत्री कर यह बताया कि यदि शत्रु पक्ष मित्रता के लिए हाथ बढ़ाये तो आगे बढ़कर उसे तुरत थाम लेना चाहिए । 

--- राम , जिनके नाम से पत्थर भी पानी पर तैर जाते थे और समुद्र पर पुल बन जाता था ।

--- राम , जिन्होंने समुद्र पर पुल बाँधकर यह सिद्ध कर दिया कि मन में दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन हो तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है ।

--- राम , जिन्होंने यह समझाया कि शत्रु यदि महाज्ञानी और विद्वान हो तो उससे भी ज्ञान लिया जा सकता है । 

--- राम , जिन्होंने रावण के मरने के बाद भी उसका अंतिम संस्कार करवाते हुए यह कहा कि शत्रुता केवल जीवन भर ही करनी चाहिए मरने के बाद नहीं । 

--- राम , जिन्होंने जीतने के बाद भी सोने की लंका का लोभ नहीं किया और उसे प्रेमपूर्वक विभीषण को दे दिया । 

--- राम , जो यह अच्छी तरह जानते थे कि सीता गंगा जैसी पवित्र है फिर भी अग्निपरीक्षा लेकर ही उसे अपनाया और समाज में एक नया आदर्श स्थापित किया ।  

--- राम , जिन्होंने चौदह वर्ष पूरा होते होते आत्मदाह के लिए तत्पर भरत के पास पहुँचकर उसे बचा लिया और यह संदेश दिया कि भाई को हर हाल में बचाया जाय क्योंकि उससे प्यारा इस संसार में कुछ भी नहीं है ।

--- राम , जिन्होंने सीता की अग्निपरीक्षा लेने के वावजूद एक धोबी के कहने पर उसका परित्याग कर दिया ताकि समाज में आदर्श और मर्यादा सदैव बनी रहे ।

--- राम , जिनका नाम अगर उल्टा भी लिया जाय तो व्यक्ति का कल्याण हो सकता है और रत्नाकर भी वाल्मीकि बन सकता है । 

राम , जिनका ध्यान मनुष्य तो क्या भगवान भोलेनाथ भी करते हैं और अखंड समाधि में लीन हो जाते हैं ।  

राम , जिसे सिर्फ दो बार बोलकर ही एक सौ आठ बार मंत्र जप के तुल्य फल प्राप्त किया जा सकता है । 

और अंत में राम राम , जिसे बोलकर किसी को भी अपनी श्रद्धा और प्रणाम निवेदित किया जा सकता है ।  



सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार

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