भगवान श्रीराम के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने शिक्षारंभ के समय कहा था, 'राम! मुझमें जो भी सद्गुण हो, उसे ग्रहण कर लेना और जो भी दुर्गुण हो, उसे वहीं छोड़ देना अर्थात् उसे न तो याद रखना और न ही उसकी कहीं चर्चा करना ।' आदर्श छात्र शिक्षकों की शिक्षा और अच्छाईयों को जीवन-पर्यंत याद रखते हैं, किन्तु उनकी बुराई या निंदा कदापि नहीं करते ।
एक आदर्श छात्र वही है, जो हर स्थिति में सीखने को उद्यत रहता है, जहाँ से भी हो, वह सीखना चाहता है और एक शिक्षक का कर्त्तव्य केवल तथ्यों का संकलन करना नहीं, अपितु छात्रों को सदैव सीखने के लिए प्रेरित करना भी है । एक पदाधिकारी ने मुझसे कहा था, 'पढ़ता कॉलेज नहीं है, प्रोफेसर नहीं है, माहौल नहीं है, पढ़ता है स्टूडेंट ।' एक शिक्षक का कर्त्तव्य यह है कि वे छात्रों को उनके स्तरों से ऊपर ले जाएं, उन्हें नीचे न ले जाएं । उन्हें सदैव ही कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करे ।
गिरीन्द्र मोहन झा, +2 शिक्षक, +2 भागीरथ उच्च विद्यालय, चैनपुर-पड़री, सहरसा
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