सुकरात ने कहा है, 'स्मार्ट लोग हर चीज हर किसी से सीखते हैं, औसत लोग अपने अनुभवों से सीखते हैं, वेवकूफ के पास पहले से ही सभी उत्तर होते हैं ।' निरंतर सीखना और संघर्ष करना ही जीवन का चिह्न है । स्वामी विवेकानंद ने कहा है, 'जब तक जीना, तब तक सीखना। जो व्यक्ति या राष्ट्र ने सीखना बन्द कर दिया, वह तो पहले से ही मृत हो चुका है, किन्तु सीखना अपने ही भावों से, अपने वैशिष्ट्य की रक्षा करते हुए ।' किसी भी उम्र के पड़ाव पर कुछ नया सीखने और जानने की प्रवृत्ति व्यक्ति को सक्रिय और प्रसन्न रखता है । आपमें all positive, no negative होना चाहिए । जैसा कि नया सीखने से, सीखते रहने से आपके व्यवहार में निरंतर परिवर्तन होता है । हनुमानजी से रावण ने कहा कि अब मुझे तुझ तुच्छ वानर से शिक्षा लेनी पडेगी, तो हनुमान जी ने कहा, 'अच्छी शिक्षा जहाँ से भी मिले, अवश्य ग्रहण करनी चाहिए ।' सीखना, सीखते रहना, जानने की अभिलाषा रखना आपकी प्रगति के सभी शुभ लक्षणों में से एक शुभ लक्षण है ।
.....'जीत आपकी' नामक पुस्तक में लेखक श्री शिव खेड़ा ने लिखा है कि जिनके पास कई डिग्रियाँ हैं, वह सब काम नहीं कर सकता है । जिनके पास एक भी डिग्री नहीं वह सब काम कर सकता है ।' डिग्री के साथ-साथ व्यक्ति को कौशल का निरंतर विकास करना चाहिए और सब काम करने का हुनर भी सीखना चाहिए । रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा है, कोई भी चीज हम तक तबतक नहीं पहुंचती है, जब तक हम उसे प्राप्त करने के लिए योग्यता विकसित नहीं कर लेते हैं ।' एक विद्यार्थी को निरंतर पढ़ने की क्षमता, पढ़ाई के लिए बैठने की क्षमता को निरंतर बढ़ाते रहना चाहिए । स्वामी विवेकानंद के शब्दों में, 'हम जितना ही अध्ययन करते हैं, हमें अपनी अज्ञानता का आभास होता है ।'
गिरीन्द्र मोहन झा
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