शिक्षा_और_व्यवहार - राहुल कुमार रंजन - Teachers of Bihar

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Sunday 18 August 2024

शिक्षा_और_व्यवहार - राहुल कुमार रंजन


निपुण भारत, मिशन दक्ष कार्यक्रम में आज बच्चे को उसकी रूचियों, रूझानों, सम्भावनाओं तथा व्यक्तित्व का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके शिक्षा दी जाती है। शिक्षा तथा मनोविज्ञान एक दूसरे के पूरक है। 

स्किनर का मानना है कि ‘‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का एक आवश्यक तत्व है। इसकी सहायता के बिना शिक्षा की गुत्थी सुलझाई नहीं जा सकती। शिक्षा तथा मनोविज्ञान दोनों का संबंध व्यवहार के साथ है। मनोविज्ञान की खोजों की शिक्षा के दूसरे पहलुओं पर गहरी छाप है।’’

शिक्षा तथा मनोविज्ञान सिद्धांत तथा व्यवहार का समन्वय है, शिक्षा तथा मनोविज्ञान का पारस्परिक संबंध का ज्ञान मानव के समन्वित संतुलित विकास के लिये आवश्यक है। शिक्षा के समान कार्य, मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है। 

क्रो एण्ड क्रो के अनुसार ‘‘मनोविज्ञान, वातावरण के सम्पर्क में होने वाले मानव व्यवहारों का विज्ञान हैं।’’ मनोविज्ञान सीखने से संबंधित मानव विकास की व्याख्या करता है। शिक्षा, सीखने की प्रक्रिया को करने की चेष्टा प्रदान करती है। शिक्षा मनोविज्ञान सीखने के क्यों और कब से संबंधित है।’’

शिक्षा और मनोविज्ञान को जोड़ने वाली कड़ी है ‘‘मानव व्यवहार’’। इस संबंध में दो विद्वानों के विचार दृष्टव्य है:

ब्राउन- ‘‘शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है।’' 



पिल्सबरी- ‘‘मनोविज्ञान मानव व्यवहार का विज्ञान है।’’

इन परिभाषाओं से स्पष्ट है कि शिक्षा और मनोविज्ञान दोनों का संबंध मानव व्यवहार से है। शिक्षा मानव व्यवहार में परिवर्तन करके उसे उत्तम बनाती है और मनोविज्ञान मानव व्यवहार का अध्ययन करता है। इस प्रकार शिक्षा और मनोविज्ञान के संबंध होना स्वाभाविक है पर इस संबंध में मनोविज्ञान को आधार प्रदान करता है। शिक्षा को अपने प्रत्येक कार्य के लिए मनोविज्ञान की स्वीकृति प्राप्त करनी पड़ती है। 

बी.एन. झा ने ठीक ही लिखा है- ‘‘शिक्षा जो कुछ करती है और जिस प्रकार वह किया जाता है उसके लिये इसे मनोवैज्ञानिक खोजों पर निर्भर होना पड़ता है।’’

मनोविज्ञान को यह स्थान इसलिए प्राप्त हुआ है क्योंकि उसने शिक्षा के सब क्षेत्रों को प्रभावित करके उनमें क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया है। इस संदर्भ में रायन के सारगर्भित वाक्य उल्लेखनीय है-

आधुनिक समय के अनेक विद्यालयों में हम भिन्नता और संघर्ष का वातावरण दखते है। अब इनमें परम्परागत, औपचारिकता, मजबूर, मौन, तनाव और दण्ड की अधिकता दर्शित नहीं होती है।

यह सब शिक्षा मनोविज्ञान के उपयोग के कारण ही संभव हुआ है जो समाज को एक नई दिशा प्रदान करता है।

राहुल कुमार रंजन 

उत्क्रमित उच्च विद्यालय ओरलाहा, बड़हरा कोठी, पूर्णिया

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