तर्पण की भूमि- रणजीत कुशवाहा - Teachers of Bihar

Recent

Thursday 15 August 2024

तर्पण की भूमि- रणजीत कुशवाहा

 यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है.

 इसका कंकर-कंकर शंकर है, 

इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है.

 हम जिएंगे तो इसके लिए, 

मरेंगे तो इसके लिए.” 


हमारा देश जितना महान है उतना ही इसके अनेकों नाम है। आइऐ हम जानते हैं कि हमारे गौरवशाली देश के दस नामकरण के बारे में।


1जम्बू द्वीप:- हमारे देश का नाम देवताओं के जन्म के समय जम्बू द्वीप बताया गया है। आज भी जब पंडित मंत्र बोलते समय या आचमन के समय जंबू द्वीपे भारत खंडे शब्द का प्रयोग करते हैं। माडर्न साईंस के अनुसार करोड़ों साल पहले हमारा देश यूरोप के पास तैरता हुआ एक खंड था, जो टेथिस सागर में हिमालय के पास आ कर ज़मीन से टकरा गया, जिस से धरती की प्लेटें टकराने से हिमालय तथा शिवालिक की पहाडियों का जन्म हुआ। इस प्रकार हमारे देश का सबसे पुरातन नाम जम्बू द्वीप है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि जामुन फल की अधिकता के कारण इस द्वीप का नाम जम्बूद्वीप पड़ा।


2आर्यावर्त:- हमारे पूर्वजों को आर्य कहा जाता था, उनके द्वारा शासित भूमि को आर्यावर्त कहा जाने लगा, ये नाम लगभग साढ़े नौ लाख साल पहले (सतयुग के समय) में प्रचलित था। कई पुराने धारावाहिकों में आप इस नाम का संबोधन सुन सकते हैं।


3सप्तसिंधु:- हमारा देश मुख्य रूप से सात नदियों का देश था, जो एक ही राज़ा के अधीन था, इस प्रकार इस देश को सप्तसिंधु कहा जाने लगा, जो लगभग दस हज़ार साल पहले तक ‘भारत’ नाम से पहले तक प्रयोग किया जाता था।


4भारत:- लगभग सात से दस हज़ार साल पहले चक्रवर्ती राजा भरत के नाम पर हमारे देश को भारत कहा जाने लगा। ये नाम दो हज़ार साल पहले तक प्रयोग किया जाता था।


5हिंदुस्तान:- मुगल जो सिंधी भाषा का प्रयोग करते थे, ‘स’ शब्द के स्थान पर ज्यादातर ‘ह’ शब्द प्रयोग करते थे, जैसे कि सप्ताह को हफ्ता। वो हमारे पूर्वजों द्वारा शासित जगह को हिंदूओं की धरती हिंदुस्तान कहते थे (सिंधूस्तान की जगह हिंदुस्तान)। इस प्रकार हमारा देश बीसवीं शताब्दी के शुरूआत में हिंदुस्तान था।


6.INDIA:- अंग्रेजों के भारत में शासन के दौरान वे लोग हमारी सभ्यता को इंडस वैली की सभ्यता कहते थे। INDUS LAND को उन्होने INDIA कहना शुरू किया। इसके बाद भारत के सभी करार तथा लिखित समझौते इसी नाम से किए गए। इस प्रकार हमारे देश का सबसे नया नाम INDIA आया।


7 अजनाभवर्ष -भारत का प्राचीन नाम अजनाभवर्ष था,जो जैन तीर्थंकर ऋषभदेव के पिता नाभीराय के समय उनके नाम पर था ।अजनाभवर्ष अर्थात अज यानी माता या भूमि नाभ यानी नाभीराय वर्ष यानी समय तात्पर्य नाभीराय की माता की भूमि अथवा नाभिराय का समय। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम पर बाद में भारतवर्ष पड़ा।


8 मेलुहा -भारतीय उपमहाद्वीप के साथ उपयोग किए जाने वाले सबसे पुराने नामों में से एक मेलुहा था, जिसका उल्लेख सिंधु घाटी सभ्यता को संदर्भित करने के लिए तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में प्राचीन मेसोपोटामिया के ग्रंथों में किया गया था।


9 फगयुल-तिब्बत के लोग भारत को फगयुल नाम से संबोधित करते थे। हालांकि वर्तमान में अब तिब्बत देश अस्तित्व में नहीं है पुराने समय में यह हमारा पड़ोसी देश हुआ करता था। हमारे देश की कोई भी सीमा चीन से नहीं लगती थी बल्कि तिब्बत ही हमारा पड़ोसी देश था।


10यिन तु-प्राचीन चीन के लोग भारत को यिन तू के नाम से पुकारते थे। इसका उल्लेख चीन के इतिहास में मिलता है। हालांकि कहीं कहीं चीनी इतिहास में यिन तु के बदले तियानझु नाम का प्रयोग किया गया है ।

निसंदेह भारत देश प्राचीन काल से ही महान है अतः हमारा परम् कर्तव्य बनता है कि इसकी महानता को हम चिर काल तक क़ायम रखें।



जय हिन्द जय भारत 

रणजीत कुशवाहा 

प्राथमिक कन्या विद्यालय लक्ष्मीपुर रोसड़ा समस्तीपुर

(बिहार)

No comments:

Post a Comment