स्वतंत्रता" यह शब्द स्वयं में एक विलक्षण अनुभूति है स्वयं को सभी जीवों में श्रेष्ठ साबित करने हेतु…..
।सही मायनों में स्वतंत्रता की इस अनुभूति को वहीं अनुभव कर सकता है जिसने कभी गुलामी देखी हो।...
आजकल की पीढ़ी के लिए स्वतंत्रता एवं इसके दिवस को हर्ष उल्लास से मनाने का अभिप्राय केवल अपने मोबाइल के डीपी को तिरंगा से रंगना....,फेसबुक और इंस्टाग्राम पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं वाला स्टीकर चिपकाना...... , तिरंगे के साथ रील बनाकर पोस्ट करना ही रह गया है।.......कानों में इयरफोन ठूस बाइक को लहराते हुए सड़को पर अंधाधुन दौड़ लगाते युवा को ये जरा भी भान नहीं होगा कि इसी सड़क की एक-एक इंच जमीं को हमारे क्रांतिकारियों ने अपने खून से प्राप्त किया है...
हाय ! क्या इसी स्वन्त्रता की खोज में बापू ने स्वदेशी की बात की थी , जहाँ हम अपना वस्त्र भी खुद से बना कर पहनने को क्रांति कह रहे थे,ठीक उसी जगह हमारे बच्चे विदेशी स्टाइल के,विदेशी ब्रांड के कपड़े पहनकर खुद को अर्द्धनग्न रख ब्रांडेड कहते हैं..ये तो आजादी नही है..
कहीं सड़क पर दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति के ऊपर अपने मोबाइल का फ़्लैश चमकाते हुए अपने लाइक्स को बढ़ाने की चिंता में किसी के मरनेके बाद कि 'चिता' को भूल जाते हैं, ये तो आजादी नही है...
सही मायनों में अगर आजादी को जीना है तो हमें वापस से अपनी संस्कृति में जीना सीखना होगा..दूसरों को स्वच्छता का ज्ञान देने से पहले खुद की फैलाई गई गंदगी को कूड़ेदान तक पहुँचाने का जज्बा उठाना होगा... गरीबों के मिलने वाले अनाज के लाइन में से समृद्ध होने के बावजूद लगने वाले लोगों को निकलना होगा....आरक्षण व धर्म के नाम हाय-हाय करने की जगह हर काम को बड़ा ,हर पंथ को महान समझने की समझ लानी होगी... हर व्यक्ति को अपने कर्म ईमानदारी पूर्वक निभाने होंगे....
देशभक्ति वो नही है जो आप भारत-पाकिस्तान के मैच को देखते हुए इंडिया-इंडिया के नारे लगाते हो.... बल्कि वो है जहाँ हम राष्ट्रगान को सुनते ही तन के खड़े हो जाय और मन से स्वतंत्रता सेनानियों के शहादत पर स्वयं आभारी हो जाय...जहां हम जीते जी लोगोँ के जीवन हेतु निःस्वार्थ भाव से खूनदान करें और मरने के बाद अंगदान...
शिक्षा और श्रम से अपने देश को उन ऊंचाइयों पर ले जाए जहाँ से बाकी देश हमसे कम नजर आए।।।
तो आइये हम आज ये शपथ ले कि बदलते समय के साथ हम अपनी स्वन्त्रता के मायनो को बदले और अपने देश,परिवार, समाज को नैतिकता और प्रेम के साथ एक नया आयाम दें...
स्मिता ठाकुर, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय कटहरा,खतबे टोला, छातापुर, सुपौल..
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