हिन्दी भारत की पहचान - सुरेश कुमार गौरव - Teachers of Bihar

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Saturday 14 September 2024

हिन्दी भारत की पहचान - सुरेश कुमार गौरव

                 


प्रत्येक वर्ष १४ सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। वर्ष १९४९ में इसी दिन संविधान सभा ने हिन्दी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। इस तारीख को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चुना था। 


आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि हिन्दी एक फारसी शब्द है। ऐसा माना जाता है कि हिन्दी भाषा की पहली कविता अमीर खुसरो द्वारा रचित थी। वे एक प्रसिद्ध कवि रहे हैं। फारसी में हिन्दी शब्द का अर्थ 'सिंधु नदी की भूमि' है।। हिन्दी भाषा मंडेरिन, स्पेनिश और अंग्रेजी के बाद दुनिया में चौथी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। 


हिन्दी भाषा का भी अपना एक अलग इतिहास रहा है। तत्कालीन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर हिंदी दिवस पहली बार १९५३ में मनाया गया था। दिन को चिह्नित करने के पीछे का कारण भाषा के महत्व को बढ़ावा देना था। 


हिन्दी दिवस राजेंद्र सिंह की जयंती का दिन भी है। वह एक भारतीय विद्वान, हिंदी-प्रतिष्ठित, संस्कृतिविद्, रामायण-अधिकार, और एक इतिहासकार थे। इसके अलावा, हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने में उनकी अग्रण्य भूमिका थी।


हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा बनाने का विचार पहली बार १९१८ में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान महात्मा गांधी द्वारा लाया गया था। भारत का संविधान अनुच्छेद ३४३ के तहत हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देता है।


भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने १९७७ में वैश्विक स्तर पर हिन्दी में एक अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को संबोधित किया था। उस वक्त वे विदेश मंत्री थे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण दिया था।


इस दिन को चिह्नित करने के लिए,१४ सितंबर से २१ सितंबर तक पूरे सप्ताह को राजभाषा सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान, भाषा को बढ़ावा देने के लिए निबंध लेखन, वाद-विवाद, कविता पाठ जैसी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिताएँ, सेमिनार, संगोष्ठी, विमर्श कई विकर्षण संस्थानों में हर साल आयोजित किया जाता है। 


लेकिन कालक्रम में हिन्दी भाषा की बहुत ही दुर्गति भी होती गई है। हिन्दी दिवस को अंग्रेजियत से जोड़कर इस भाषा को मिश्रित करने की परिपाटी काफी पहले भी शुरु हो चुकी है। जहाँ तक बोलचाल और लेखन की बात की जाए तो बोल चाल और लेखनी में कई भाषाओं का मिश्रण हो चुका है इस हिन्दी भाषा में। इस ओर विशेष ध्यान देने कि आवश्यकता है ताकि हिन्दी का मान और सम्मान दोनों बरकरार रखनी चाहिए।


हिन्दी दिवस के दिन ही "भाषा सम्मान पुरस्कार" की शुरुआत की गई थी। यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने लेखन और अन्य माध्यमों से इस हिन्दी भाषा में अति महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आप सबों को हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!



सुरेश कुमार गौरव, उ. म. वि. रसलपुर फतुहा, पटना (बिहार)

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