प्लास्टिक प्रदूषण चिंताजनक - आशीष अम्बर 'शिक्षक' - Teachers of Bihar

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Friday, 4 October 2024

प्लास्टिक प्रदूषण चिंताजनक - आशीष अम्बर 'शिक्षक'


आजकल जिधर देखो उधर हर किसी के हाथ में पॉलीथिन की थैलियाँ ही नजर आती हैं। कपड़े और जूट के थैले तो दिखाई ही नहीं देते। यदि किसी के हाथ में कपड़े और जूट के थैले दिखाई भी जाएँ तो बड़ी हैरानी होती है, जबकि सब जानते है कि पर्यावरण के लिए पॉलीथिन का प्रयोग घातक है।

आधुनिक युग में प्लास्टिक ने सबसे अधिक नुकसान पर्यावरण को पहुँचाया है। पॉलीथिन की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह प्राकृतिक रूप से नष्ट नही होता, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है। इसके प्रयोग से साँस और त्वचा संबंधी रोगों तथा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। पॉलीथिन की अधिकता भूमि के जल - स्तर को घटा रही है और उसे जहरीला बना रही है। 

पॉलीथिन कागज या कपड़े की तरह गलता नही है, बल्कि ज़मीन में जाकर उसके उपजाऊपन को नष्ट कर देता है। नदी, नालों में जाकर उसके बहाव में अवरोध उत्पन्न करता है, जिसके कारण गंदगी व बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। कई बार तो महामारी का कारण भी बन जाता है। नदी, नालों और तालाबों में जब इसकी परत बिछ जाती है, तो विषाक्त गैस उत्पन्न होती है, जो पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य के लिए भी घातक है। 

आज चारों ओर प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह है कि हर जगह प्लास्टिक का कचरा फैला हुआ नजर आता है। इसका प्रमुख कारण है कि प्लास्टिक सस्ता और टिकाऊ होता है। धूप, सर्दी तथा बरसात का इस पर कोई प्रभाव नहीं होता है। यही कारण है कि लोग प्लास्टिक को अधिक पसंद करने लगे हैं, परंतु इसकी दिनोंदिन बढ़ते उपयोग चिंताजनक है। यह पृथ्वी के वातावरण और उसके परिवेश को दूषित कर रही है। यदि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो वह दिन दूर नहीं जब मनुष्य अपने कर्मों पर पछताएगा। 



आशीष अम्बर 'शिक्षक'

उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी 

प्रखंड-केवटी

जिला-दरभंगा

बिहार

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