स्वास्थ्य ही धन है - अमरनाथ त्रिवेदी - Teachers of Bihar

Recent

Friday 4 October 2024

स्वास्थ्य ही धन है - अमरनाथ त्रिवेदी


मनुष्य के लिए अच्छे स्वास्थ्य से बढ़कर इस संसार में कुछ भी नही है। स्वास्थ्य जीवन की सबसे सफल पूँजी है। इसके होने पर ही हम अपनी दिनचर्या को सही रूप से संचालित कर सकते हैं। जब मनुष्य के स्वास्थ्य संबंधी चर्चा होती है तब आहार विहार का भी जिक्र आता है। इसके संतुलित रूप से चलते रहने पर ही मनुष्य आयुष्य को प्राप्त कर सकता है। अतः इसका ज्ञान होना अति आवश्यक है कि हम अपनी दिनचर्या को किस प्रकार रखें कि हमारी सेहत ठीक रह सके। इनमें प्रथमतः आहार के रूप में संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है, जिसमें आवश्यक मात्रा में कैल्शियम, विटामिंस, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण और वसा का शरीर को भोजन के रूप में ग्रहण करना नितांत जरूरी होता है। इसके बिना हम अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना तक नहीं कर सकते। भोजन के करीब एक घंटा पश्चात घूँट-घूँट कर जल पीना लाभदायक होता है। अच्छे पाचन के लिए हर निवाले को इतना चबाना चाहिए कि वह लुदगी बन जाए इससे पर्याप्त मात्रा में हर निवाले के साथ लार मिलने से भोजन का पाचन अच्छी तरह से संपन्न होता है तथा उपापचय की क्रिया प्रभावी रूप से संपन्न होती है।


स्वास्थ्य संबंधी संदर्भों पर जब विचार करते हैं तो दूसरा स्थान विहार का आता है। शारीरिक गतिविधियों को चलाने के लिए जिन प्रभावकारी रूप से भोजन के अलावे अन्य कार्य किया जाता है उसे हम विहार की श्रेणी में रखते हैं। इसके अन्तर्गत हमारी दिनचर्या शामिल होती है। सवेरे सोने और जगने से मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए तो कहा गया है " Early to bed and early to rise makes a man healthy, wealthy and wise. " अर्थात् सवेरे सोने और सवेरे जगने से मनुष्य स्वस्थ , धनवान और बुद्धिमान बनता है ।

जितने भी सफल इंसान ने आज तक सफलता पाई है उसने जीवन के इस स्वर्णिम सूत्र को निश्चित रूप से आत्मसात किया है।

शारीरिक स्वस्थता को बनाए रखने के लिए सवेरे टहलना, व्यायाम की प्रक्रिया को और प्राणायाम की विधि को अपनाना अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध होता है।

इससे मनुष्य में अवचेतन मस्तिष्क का निरंतर विकास होता है। मनुष्य में कई ऐसी दुर्लभ शक्तियों का भी प्रादुर्भाव होता है जो इससे वंचित मनुष्य कभी सोच भी नही सकता।

   परंतु यह सब यानी आहार से लेकर विहार तक का सफर देश, काल और पात्र के अनुसार ही होना चाहिए अर्थात सभी व्यक्ति को हम स्वास्थ्य के नाम पर एक ही साँचे में नहीं ढाल सकते। जो नियम बनते हैं वह सामान्य स्थिति के लिए ही प्रभावी माने जाते हैं। स्थिति विशेष पर मनुष्य को अपनी दिनचर्या में परिवर्तन भी करने पड़ते हैं।

  स्वास्थ्य के बगैर मनुष्य का जीवन किसी काम का नहीं। किसी रोगी के पास अपार वैभव हो पर वह उसके किसी काम का नहीं क्योंकि वह चाहकर भी उस वैभव का उपभोग नही कर सकता। अतः स्वास्थ्य वह धन है जिसकी बदौलत खोई संपत्ति पुनः प्राप्त की जा सकती है परंतु स्वास्थ्य खोने पर संपत्ति का अर्जन करना दुरूह ही नही बल्कि असंभव भी है। अतएव स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखते हुए इसकी भली भाँति रक्षा करनी चाहिए।





अमरनाथ त्रिवेदी 

पूर्व प्रधानाध्यापक 

उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा

प्रखंड -बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर

No comments:

Post a Comment