अनुशासन की महत्ता - अमरनाथ त्रिवेदी - Teachers of Bihar

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Thursday, 24 October 2024

अनुशासन की महत्ता - अमरनाथ त्रिवेदी


 अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है शासन के साथ चलना। अर्थात जो व्यक्ति आत्म अनुशासन से ही अपने सारे कर्त्तव्य का निर्वहन करता है, वही अनुशासन के दायरे में आता है और इसका जीवन में सर्वाधिक महत्त्व है । इसके बिना सजग, सफल और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति की कल्पना तक नहीं की जा सकती।

   अनुशासन मानव मन की वह प्रवृति है जिसके सहारे वह दुरूह कार्यों को भी आसान बना लेता है क्योंकि वह इसके सहारे गलत और असभ्य संदर्भों को कदापि अंगीकार नहीं कर सकता।

     हम ज्यों- ज्यों बाल्यावस्था से आगे बढ़ते जाते हैं अनुशासन के अमूल्य स्वरूप का पता और व्यापक होते जाता है। जीवन को व्यवस्थित और प्रतिभासंपन्न बनाने के लिए हरेक मोड़ पर अनुशासन की आवश्यकता होती है। 

 अनुशासन मानो एक ऐसा अमोघ मंत्र है जो इसका पालन कर ले तो वह गलत रास्ते पर कदापि नहीं जा सकता। जीवन में संगीत सजाने के लिए जिन सुर ताल की आवश्यकता होती है उनमें अनुशासन का सर्वोपरि स्थान है।

      बच्चे घर से ही अनुशासन का पाठ सीखते हैं। अतः माता-पिता को चाहिए कि अपने वचन और कर्म से कभी भी अनुशासन की मर्यादा को भंग न किया जाए। वस्तुतः जैसा अभिभावक आचरण करेंगे वैसा ही बच्चे भी उसका अनुसरण करेंगे। एक जिम्मेवार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व के निर्माण के लिए व्यक्ति में अनुशासन का होना अत्यावश्यक है ।

   सड़क पर यदि अनुशासन न रखा जाए तो परिणाम कितने बुरे हो सकते हैं, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है । 

  खेल-कूद के भी नियम होते हैं उसके भी अनुशासन के विशिष्ट मानदंड होते हैं जिसका परिपालन सभी खिलाड़ियों को करना पड़ता है। यदि कोई इसके खिलाफ जाता है तो उसे दंड भी भुगतने पड़ते हैं।

      किसी कार्यालय या प्रतिष्ठान में बिना अनुशासन के सही संचालन की कल्पना नहीं की जा सकती। बड़ों की बातों पर अमल करना भी अनुशासन के दायरे में आता है। इसके बिना कोई भी घर या संस्था व्यवस्थित तौर पर नहीं चल सकता ।

       परिस्थितियाँ अनुकूल हों या प्रतिकूल सेना में अनुशासन का सर्वाधिक महत्त्व है। यहाँ इसकी सर्वाधिक महत्ता है। बड़े अफसर के हर आदेश का पालन अक्षरशः करना पड़ता है। अगर इसमें कोई अंतर दिखता है तो उस सैनिक को कठोर दंड मिलते हैं या उसे बर्खास्त भी कर दिए जाते हैं।

     विद्यालय में अनुशासन की कितनी महत्ता है इसे प्रत्येक शिक्षक और छात्र अच्छी तरह से जानते हैं।इसके बिना विद्यालय की सारी अवधारणाएँ स्वतः ध्वस्त हो जाती हैं। 

    अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि घर, बाहर और स्कूल में यानी सब जगह अनुशासन का परिपालन पूरे मन के साथ किया जाए। इसके प्रभाव से उन्हें जीवन में बहुत-सी बाधाओं का निराकरण अपने आप हो जाया करेगा, जो उन्हें एक अच्छा और सुयोग्य नागरिक बनने से कोई नहीं रोक सकेगा।


अमरनाथ त्रिवेदी 

पूर्व प्रधानाध्यापक 

उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा 

प्रखंड-बंदरा, जिला- मुज़फ्फरपुर

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