भूमिका:-
प्रकृति की गोद में विविध प्रकार के वन्य जीव बसे हैं, जो पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन आधुनिक युग में शिकार, वनों की कटाई और पर्यावरणीय असंतुलन के कारण कई वन्य जीव विलुप्त होने की कगार पर हैं। इस खतरे को पहचानते हुए, संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने 3 मार्च को "विश्व वन्य जीव दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया, जिससे लोगों में जीव-जंतुओं के प्रति जागरूकता बढ़े और उनके संरक्षण की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएँ।
वन्य जीवों का महत्त्व-
वन्य जीव केवल जैव विविधता के हिस्से नहीं हैं, बल्कि वे हमारे पर्यावरण और जीवनचक्र में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं—
- पर्यावरण संतुलन: जंगलों में शाकाहारी और मांसाहारी जीवों के बीच संतुलन बना रहता है, जिससे प्रकृति का चक्र सुचारु रूप से चलता है।
- परागण और बीज प्रसार: मधुमक्खियाँ, तितलियाँ और पक्षी फूलों का परागण कर फसलों और वनों की वृद्धि में मदद करते हैं।
- स्वच्छता बनाए रखना: गिद्ध, लकड़बग्घे और अन्य मांसाहारी जीव मृत जीवों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं।
- आर्थिक और सांस्कृतिक महत्त्व: पर्यटन, औषधि और पारंपरिक मान्यताओं में वन्य जीवों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
वन्य जीवों पर संकट-
वर्तमान समय में वन्य जीवों को कई प्रकार के खतरे हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं—
- वनों की कटाई: बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।
- अवैध शिकार और व्यापार: बाघ, गैंडा, हाथी जैसे जीवों की खाल, दाँत और सींग के लिए अवैध शिकार किया जाता है।
- प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: रासायनिक कचरा, प्लास्टिक प्रदूषण और बढ़ते तापमान से जल और स्थलचरों का जीवन संकट में है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष- जंगलों की कटाई के कारण वन्य जीव आबादी वाले क्षेत्रों में आने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे मानव और जीव दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है।
वन्य जीव संरक्षण के उपाय-
वन्य जीवों को बचाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे—
- संरक्षित वन और अभयारण्य: अधिक से अधिक वन्य जीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना होनी चाहिए।
- कड़े कानूनों का पालन: अवैध शिकार और वन्य जीव व्यापार को रोकने के लिए कठोर दंड और सख्त नियमों की आवश्यकता है।
- जन जागरूकता- स्कूलों, कॉलेजों और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को वन्य जीवों की महत्ता समझानी चाहिए।
- पुनर्वनीकरण (Reforestation): कटे हुए जंगलों को फिर से विकसित कर वन्य जीवों को सुरक्षित आवास देना चाहिए।
- सतत पर्यटन (Eco-tourism): पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे संरक्षण के लिए आर्थिक सहायता मिले।
निष्कर्ष- "वन्य जीवों का अस्तित्व ही हमारी प्रकृति की समृद्धि का प्रमाण है।" यदि हमने समय रहते इनकी रक्षा के लिए कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों को ये अद्भुत जीव केवल किताबों में ही देखने को मिलेंगे। इस विश्व वन्य जीव दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करेंगे और वन्य जीवों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाएँगे।
"जीव बचाएँ, प्रकृति बचाएँ, संतुलन बनाएँ!"
सुरेश कुमार गौरव,
'प्रधानाध्यापक'
उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)
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