काला है, परंतु शून्य नहीं, हर रेखा में कोई कहानी, कोई सीख छिपी कहीं। कक्षा के ब्लैकबोर्ड पर जब मैं चॉक चलाती हूँ, तो सिर्फ पंक्तियाँ नहीं, पीढ़ियाँ गढ़ जाती हूँ।
मुझे कहते हैं शिक्षिका, नाम है पुष्पा प्रसाद, और शिक्षा मेरे जीवन की सबसे पवित्र साधना है। जब मैं उस काले पट पर उजाले को उकेरती हूँ, तो छात्रों की आँखों में आशा की किरणें बिखेरती हूँ।
तो कभी यही रंग भविष्य सँवार जाता है। जो केवल अंधकार को पहचानते हैं, वो इस रंग में छिपे ज्ञान को नहीं जान पाते हैं।
मेरी उँगलियाँ जब अक्षरों में अर्थ रचती हैं, तो वे बच्चों की तक़दीर की दिशा बदल देती हैं। इस कालेपन में जो प्रकाश उगता है, वो न सिर्फ शब्दों में, बल्कि आत्मा में बसता है।
"राजकीय सम्मान 2024" मेरे लिए केवल पुरस्कार नहीं, बल्कि उन अनगिनत मुस्कानों का प्रतिफल है, जो मैंने अपने विद्यार्थियों के चेहरों पर देखी। उनके उज्ज्वल भविष्य की एक छोटी सी नींव, जिसे मैंने इस काले रंग पर सहेज कर रखी।
तो मत कहो इसे सिर्फ अंधकार का प्रतीक, यह तो शिक्षा का सबसे ऊर्जावान संगीत। जहाँ स्याह दिखे सन्नाटा या मौन, वहीं से निकलता है उजाले का कोमल स्वर-टन.... टन
पुष्पा प्रसाद
राजकीय कन्या मध्य विद्यालय कुचायकोट, गोपालगंज
No comments:
Post a Comment