महापर्व छठ - Teachers of Bihar

Recent

Wednesday, 29 October 2025

महापर्व छठ

......गिरीन्द्र मोहन झा

बिहार का महापर्व छठ चार दिवसीय पर्व हो कीता है। इस पर्व का पौराणिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक महत्व है। इससे शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसमें सूर्यदेव और षष्ठी माता(छठी मैया) की पूजा होती है। 

...... पौराणिक कथा के अनुसार, षष्ठी माता की उत्पत्ति मूल प्रकृति के छठे अंश से हुआ है, इसलिए इनका नाम षष्ठी माता है। इनका भी देवसेना भी है, जो शिव-पुत्र कार्तिकेय की पत्नी हैं। भगवान कार्तिकेय को देवसेनाध्यक्ष भी कहा जाता है। षष्ठी माता को श्री दुर्गासप्तशती में विष्णुमाया के रूप में प्रणाम किया गया है।- या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता । नमस्तस्यै.......नमो नम: ।। इन्हें पुत्रदा कहा गया है। स्वायम्भुव मनु के पुत्र प्रियव्रत ने पुत्र-प्राप्ति की कामना से षष्ठी माता की आराधना की थी, जिससे उन्हें पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई। फिर छठ का पर्व मनाया जाने लगा । षष्ठी माता को सूर्यदेव की बहन कहा गया है। रामायण से महाभारत काल तक छठ की पूजा, अभी निरंतर महापर्व छठ लोग पूर्ण श्रद्धा, उत्साह और ऊर्जा के साथ मनाते हैं और शारीरिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं ।

......इस व्रत-पूजन का सामाजिक महत्व भी है। समाज के सभी वर्णों और वर्गों के लोगों का इस पूजन में योगदान रहता है। लोग डाला लेकर छठ-घाट तक जाते हैं, बहुत लोग दंड प्रणाम करते हुए छठ घाट तक प

हुंचते हैं। सभी लोग उत्साह, श्रद्धा और ऊर्जा के साथ इस व्रत को मनाते हैं।

......इस व्रत का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। प्रात:-सायं सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य प्रकाश और ऊर्जा का महान स्रोत है। इन्हें आरोग्य का देवता भी कहा जाता है। सूर्यदेव से कैल्सिफेरोल(विटामिन डी), ऊर्जा, प्रकाश आदि की प्राप्ति होती है। अर्घ्य देने से कई तरह के लाभ होते हैं।

......महापर्व छठ लोगों को सुख-सौभाग्य-संतति-सौमंगल्य प्रदान करता है।


No comments:

Post a Comment