बिहार दिवस: स्थापना एवं क्रमिक इतिहास,अतीत से वर्तमान तक - Teachers of Bihar

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Wednesday, 19 March 2025

बिहार दिवस: स्थापना एवं क्रमिक इतिहास,अतीत से वर्तमान तक

बिहार दिवस हर वर्ष २२मार्च को मनाया जाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है जब २२मार्च १९१२को बिहार को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था। बिहार के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक विकास की यात्रा अत्यंत रोचक रही है। विभिन्न कालखंडों में यह क्षेत्र अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों का हिस्सा रहा और समय-समय पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ।

बिहार की स्थापना एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1. बिहार का नामकरण:

बिहार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “विहार” से हुई है, जिसका अर्थ होता है बौद्ध और जैन मठों का स्थान। प्राचीन काल में यह क्षेत्र ज्ञान, संस्कृति और धर्म का केंद्र रहा, जहाँ बौद्ध एवं जैन धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में रहते थे।


2. बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा (१७६५ - १९१२):

ब्रिटिश शासन के दौरान १७६५में जब ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई, तब बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी में मिला दिया गया। लगभग डेढ़ शताब्दी तक यह बंगाल का हिस्सा बना रहा। लेकिन प्रशासनिक सुविधा और भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसे अलग राज्य बनाने की माँग उठी।


3. बिहार का बंगाल से अलग होना (२२ मार्च १९१२):

लॉर्ड हार्डिंग (तत्कालीन वायसराय) के आदेश से २२ मार्च १९१२को बिहार और उड़ीसा को मिलाकर एक अलग प्रांत बनाया गया। यह बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। उस समय पटना को बिहार की राजधानी घोषित किया गया।


4. बिहार से उड़ीसा का अलग होना (१ अप्रैल १९३६):

१९३६ में उड़ीसा को बिहार से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत बना दिया गया। यह पुनर्गठन भाषा के आधार पर किया गया था, क्योंकि उड़ीसा की प्रमुख भाषा ओड़िया थी।


5. बिहार से झारखंड का अलग होना (१५ नवंबर २०००):

झारखंड राज्य आदिवासी बहुल क्षेत्र था, जिसकी संस्कृति, भौगोलिक संरचना और प्रशासनिक आवश्यकताएँ बिहार से भिन्न थीं। लंबे संघर्ष के बाद १६नवंबर २००० को झारखंड को बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया। यह दिन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के रूप में भी जाना जाता है।


बिहार दिवस का महत्व : बिहार दिवस केवल एक स्थापना दिवस नहीं, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक गौरव और विकास यात्रा का प्रतीक है। इस दिन राज्यभर में विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें बिहार की संस्कृति, कला, साहित्य, विज्ञान और विकास कार्यों को प्रस्तुत किया जाता है।


बिहार दिवस की प्रमुख विशेषताएँ:


1. राजकीय अवकाश: इस दिन बिहार सरकार द्वारा राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है।

2. संस्कृति एवं कला महोत्सव: नृत्य, संगीत, नाटक और प्रदर्शनी के माध्यम से बिहार की समृद्ध संस्कृति को दर्शाया जाता है।

3. सम्मान समारोह: इस अवसर पर बिहार के विकास में योगदान देने वाले विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है।

4. शैक्षिक और तकनीकी विकास पर ध्यान: शिक्षा एवं कौशल विकास से जुड़े कई कार्यक्रम इस अवसर पर शुरू किए जाते हैं।

5. थीम आधारित आयोजन: प्रत्येक वर्ष बिहार दिवस किसी विशेष विषय (थीम) पर आधारित होता है। जैसे, २०२५ की थीम "उन्नत बिहार, विकसित बिहार" रखी गई है।


निष्कर्ष : बिहार की स्थापना और इसका पुनर्गठन राज्य के ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक विकास को दर्शाता है। यह केवल एक भूगोलिक बदलाव नहीं था, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया। बिहार दिवस राज्य के गौरवशाली अतीत, वर्तमान की उपलब्धियों और उज्ज्वल भविष्य की संभावनाओं को उजागर करने का पर्व है। यह हमें अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर बिहार को समृद्ध, शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करने की प्रेरणा देता है।

आईए हम सब मिलकर अपने इस बिहार राज्य को विकसित बनाने में जी जान से लग जाएं और इसकी प्राचीन से लेकर अब तक की विरासत, कला,संस्कृति, इतिहास, भूगोल, विज्ञान,गणित,खेल, राजनीति और अभिनय कला की गरिमा को बरकरार रखते हुए इसकी पहचान को कायम रख सकें। जय बिहार,जय बिहार,जय बिहार,जय जय जय जय जय बिहार।



आलेखन: सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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