रंगों का उत्सव, प्रेम का संदेश - सुरेश कुमार गौरव - Teachers of Bihar

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Friday, 14 March 2025

रंगों का उत्सव, प्रेम का संदेश - सुरेश कुमार गौरव


भूमिका: भारत विविधताओं से भरा देश है, जहाँ हर त्योहार अपनी अलग पहचान रखता है। इन्हीं में से एक है होली, जो न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि स्नेह, सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत, सामाजिक समरसता और प्रेम के रंगों में भीगने का अवसर प्रदान करता है।


होली का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व: 


होली का इतिहास सत्य की विजय और अधर्म के नाश की कहानी कहता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, हिरण्यकशिपु के अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा की और होलिका का अंत हुआ। इसीलिए, होलिका दहन के रूप में यह पर्व बुराई के विनाश का संदेश देता है।


इसके अलावा, ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है। भगवान श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम भरी होली आज भी मथुरा और वृंदावन में धूमधाम से मनाई जाती है।


होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:


होली का त्योहार समाज में भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देता है। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं, ऊँच-नीच, जात-पात और छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं रहता। लोग गले मिलते हैं, रंग लगाते हैं और पुराने गिले-शिकवे भुलाकर रिश्तों में नई ताजगी भरते हैं।


लोकगीत, नृत्य और परंपराएँ:


होली के अवसर पर फाग और होली के लोकगीत गाए जाते हैं। ढोलक, मंजीरा और चंग की थाप पर होरी गाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।


पकवानों की मिठास:

होली का आनंद तब और बढ़ जाता है जब गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, ठंडाई जैसे पारंपरिक व्यंजन घरों में बनाए जाते हैं।


वर्तमान परिप्रेक्ष्य में होली का स्वरूप:


आज के दौर में होली मनाने के तरीके में बदलाव आया है, लेकिन इसका सार वही है—प्रेम, सौहार्द और आनंद। हालांकि, आधुनिकता के साथ कुछ नई चुनौतियाँ भी आई हैं—

१. पानी की बर्बादी को रोकने के लिए सूखी और प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की पहल की जा रही है।

२. समाज में बिना जबरदस्ती और सौहार्दपूर्ण तरीके से होली मनाने पर जोर दिया जा रहा है।


होली से मिलने वाली शिक्षाएँ:


  • बुराई पर अच्छाई की जीत – होलिका दहन हमें सिखाता है कि अन्याय, अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है।
  •  भाईचारा और सौहार्द – यह त्योहार हमें आपसी प्रेम, सहयोग और समरसता बढ़ाने की प्रेरणा देता है।
  •  पुरानी रंजिशों को भुलाकर नए रिश्ते जोड़ना – होली गिले-शिकवे मिटाने और एक-दूसरे को सम्मान देने का पर्व है।


उपसंहार: होली सिर्फ रंगों का पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, प्रेम, आनंद और भाईचारे का उत्सव है। यह हमें सिखाती है कि हम सब एक रंग में रंगे हुए हैं—मानवता के रंग में। यदि हम इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाएँ, तो समाज में शांति, प्रेम और सद्भाव बना रहेगा। आप सभी के लिए होली की रंगो भरी और आपसी प्रेम सौहार्द बनी रहे इसकी शुभकामनाएं हैं।



सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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