Tuesday, 14 April 2020
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बाबा साहेब अम्बेडकर: एक अविस्मरणीय याद-देव कांत मिश्र
बाबा साहेब अम्बेडकर: एक अविस्मरणीय याद
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यह किन्हें पता था कि 14 अप्रैल को हमारे देश के चमन में एक ऐसा प्रसून खिलेगा जो भारत के पावन आँगन को अपनी महक से सुवासित करेगा। सच में, वह कोई और नहीं, आधुनिक भारत के अग्रणी निर्माता, स्वप्न द्रष्टा, चिंतनशील, संविधान के पुरोधा व एक अनमोल रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर। यूँ तो इस नश्वर संसार में जन्म लेना उन्हीं का सार्थक होता है जो अपने पीछे कृतित्व एवं व्यक्तित्व का समृद्ध अवदान छोड़ जाता है। इनका जन्म 14 अप्रैल 1891ई. में मध्यप्रदेश के 'महू' नामक स्थान में दलित परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी एवं माता का नाम भीमाबाई थी। पाँच वर्ष की उम्र में जब इनकी माँ स्वर्ग सिधार गई तब इनकी चाची ने इनका पालन-पोषण किया। प्यार से इन्हें वह 'भीमा' कहकर बुलाती थी। बाल्यकाल में इनकी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई थी। बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेद-भाव देखने वाले अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई शुरू की। उस समय हमारे समाज में कम उम्र में शादी होने की प्रथा थी। फलत: 1905 ई. में इनकी शादी रमाबाई से हुई। विवाहोपरांत अपने पिता के साथ ये मुंबई आ गए। तत्पश्चात अपना नामांकन एलफिंस्टन स्कूल में कराया जहांँ छुआ-छूत नामक कुप्रथा नहीं थी। वर्ष 1907 ई. में इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। एलफिंस्टन कॉलेज में पढ़ाई करते हुए सन 1913 ईस्वी में इन्होंने बी.ए. की परीक्षा पास की। पुनः एम. ए. की पढ़ाई हेतु वे अमेरिका चले गए। इस कार्य में उन्हें बड़ौदा के महाराज सयाजीराव गायकवाड़ से काफी सहायता मिली। कोलंबिया विश्वविद्यालय में उन्होंने दाखिला ली। वहांँ उन्हें सबका प्यार एवं समानता का व्यवहार मिला। वर्ष 1921 ईस्वी में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इन्हें एम.ए. की डिग्री मिली। धीरे-धीरे उनके व्यक्तित्व व विद्वता की धाक बढ़ती एवं जमती गई लेकिन उन्होंने कुछ अलग ही अपने देश के लिए स्वप्न देखा था, अपने देश से छुआ-छूत की समस्या से मुक्ति पाने की। इन्होंने वापस भारत लौटने पर सामाजिक भेदभाव एवं अत्याचार के विरुद्ध अपनी आवाज उठाने के लिए बहिष्कृत भारत, मूकनायक जनता नाम के पाक्षिक एवं साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किए। 1927 में वे मुंबई विधानसभा के सदस्य बनाए गए। 1947 ईस्वी में जब हमारा देश आजाद हुआ तो वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री बने। वे एक महान विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक तथा राजनीतिज्ञ थे। भारतीय संविधान का प्रारूप इनकी अध्यक्षता में ही तैयार हुआ। अपनी लगन, मेहनत से इन्होंने हमारे देश को एक अच्छा संविधान दिया। उनके योगदान को हमारा देश कदापि नहीं भूल सकता है। इसलिए इन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है। उन्होंने दलितों का उत्थान किया, इनकी सेवा की, इन्हें घृणा एवं उपेक्षा के दलदल से बाहर निकाला। देखते ही देखते हुए दलित समाज में वे देवता तुल्य हो गए। 1955 ई. में इनका झुकाव बौद्ध धर्म की ओर हुआ क्योंकि बौद्ध धर्म समानता पर आधारित था। इसमें ऊंँच-नीच, छुआ-छूत के भेदभाव का विरोध था। यही कारण है कि इन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। बौद्ध धर्म पर आधारित उनकी एक किताब थी जिसका नाम था- बुद्ध एंड हिज धम्म। सचमुच में, कोई भी देश या समाज तभी विकसित माना जाता है जब वहाँ एकता समानता और बंधुत्व की भावना होती है। भेदभाव से तो घृणा का जन्म होता है जबकि स्नेह प्रेम से स्वच्छ समाज की स्थापना होती है। इस आलोक में आने वाली पीढ़ियांँ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के महान कार्यों को स्मरण कर सदैव गौरव का अनुभव करती रहेंगी। तो आएँ! हमसब उनके जीवन व उनके द्वारा दिखाई गई राह से प्रेरणा ग्रहण करें।
देव कांत मिश्र
मध्य विद्यालय धवलपुरा
सुल्तानगंज, भागलपुर
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सूपर से भी ऊपर
ReplyDeleteविजय सिंह
अच्छी जानकारी... तथ्यपरक एवं उपयोगी आलेख हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं...
ReplyDeleteअति सुंदर!
ReplyDeleteजय भीम
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteCongrats for your priceless efforts Deo Jee. Few more point's about the Baba Sahebs are.
ReplyDelete>> Sabita ambedkar was his 2nd wife and she was a Dr. and social activists.
>> “Educate, Agitate, Organise” are the slogans declared by Dr. Ambedkar for his people to achieve the social justice.
Congrats again for your commitment towards the society's.
Thanks.
वाह भाई वाह..... जबर10
ReplyDeleteThis is only for update the people of society.
ReplyDeletePrem Behari Narain Raizada-
The original Constitution writer.
The original constitution of India was handwritten by Prem Behari Narain Raizada. Though we all know that B.R. Ambedkar was the architect of the constitution not the writter, little is known about the man who penned the constitution in his own impeccable calligraphy.
मेरी समझ से यह परे है कि प्रेम बिहारी नरैन रैजादा संविधान को लिखने वाले हो सकते हैं। परन्तु यह नई बात मेरे जेहन को हमेशा कुरेद रहा है। इतिहासकारों के लिए यह अन्वेषण की चीज है।
Deleteमेरी समझ से यह परे है कि प्रेम बिहारी नरैन रैजादा संविधान को लिखने वाले हो सकते हैं। परन्तु यह नई बात मेरे जेहन को हमेशा कुरेद रहा है। इतिहासकारों के लिए यह अन्वेषण की चीज है।
DeleteWell done sir.
ReplyDeleteYou always inspire us.
ReplyDeleteYou always inspire us.
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