Monday, 20 April 2020
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बच्चे, शिक्षक और लॉकडाउन-कमलेश कुमार
बच्चे ,शिक्षक और लॉकडाउन
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इस लॉकडाउन में घर पर रह कर,
कोरोना को हमें हराना है।
लेकिन राष्ट्र निर्माण के खातिर,
अपना कर्तव्य निभाना है।
प्यारे साथियों नमस्कार!
कितना अच्छा लग रहा है परिवार के साथ। बेटा- बेटी, माँ-पिताजी और पत्नी जब एक साथ बैठकर बातचीत कर रहे हैं, ठहाका लगा रहे हैं तो ऐसा लग रहा है कि यह समय ठहर जाए। मैं तो अपनी जिंदगी में ऐसा सुनहरा पल कभी जिया ही नहीं था। इस उम्र में माता- पिता का प्यार, बच्चों का झगड़ा, पत्नी से प्यार भरा नोकझोंक और इन सब के बीच अक्सर न देखे जाने वाला चैनल दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत कितना आनंद दे रहा है, मत पूछिए। परिवार के साथ खुशियाँ बाँटने, हँसने, गाने, माता-पिता की सेवा करने, स्वाध्याय करने, इत्यादि में मेरे लॉकडाउन के दिन में जैसे पंख लग गए हैं।
साथियों यह स्वर्णिम, अविस्मरणीय और मनोरंजक लम्हें बड़ी तेजी से बीत रहे थे कि इसी में "टीचर्स ऑफ बिहार" का "स्कूल ऑन मोबाइल" कार्यक्रम ने आकर चार चाँद लगा दिया। इस कार्यक्रम ने मुझे फेसबुक पर ऑनलाइन वर्ग-VI, विषय- हिंदी का वर्ग संचालन करने का अवसर दिया। मैं तो आनंदित, प्रफुल्लित और धन्य हो गया लेकिन इसके विपरीत हमारे कुछ मित्र जिनसे दूरभाष पर बात हुई, वेलोग लाॅकडाउन को कोस रहे हैं, उन्हें बड़ा बेकार लग रहा है। उनसे मेरा निवेदन है कि क्यों न इस लाॅकडाउन को हम एक अवसर के रूप में लें और कुछ ऐसा करें जो मेरे निर्माण के साथ-साथ देश के निर्माण में भी सहयोगी साबित हो। तो आईए हम क्या कर सकते हैं इस पर विचार करते हैं।
बच्चे जो अध्ययनरत हैं वे अध्ययन करें। उनके अध्ययन के लिए कई तरह के "एप्प" से पढ़ाई प्रारंभ कर दी गई है। जैसे उन्नयन एप्प, दीक्षा एप्प इत्यादि। टीचर्स ऑफ बिहार के द्वारा प्रारंभ किया गया स्कूल ऑन मोबाइल कार्यक्रम के तहत वर्ग VI, VII एवं VIII के बच्चे प्रतिदिन सभी विषयों की पढ़ाई फेसबुक पर लाइव पढ़ सकते हैं। यह प्रोग्राम प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे से प्रारंभ होता है। इस प्रकार बच्चों के लिए घर बैठे सीखने का व्यापक अवसर है। बच्चों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इसमें हम शिक्षक और अभिभावक उनका सहयोग एवं मार्गदर्शन करें।
इस लॉकडाउन में हमारे शिक्षक साथी स्वाध्याय कर अपने ज्ञान को समृद्ध कर सकते हैं। आगामी पूरे शैक्षणिक सत्र के लिए अपने अध्यापन विषय की कार्ययोजना बना सकते हैं। इस बीच वे सोच लें कि कौन सा पाठ कैसे पढ़ाना है। किस अवधारणा को क्लियर करने के लिए उन्हें कैसे और कौन सा टी एल एम उपयोग करना है तथा गृह कार्य के रूप में उन्हें क्या देना है। प्रधानाध्यापक अपने विद्यालय के उत्थान के लिए योजना भी बना सकते हैं एवं पूरे सत्र में कब कौन सी गतिविधियाँ आयोजित करनी है की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।
साथियों यह आखरी नहीं है। आप अनुभवी, विद्वान और कर्मठ व्यक्तित्व के स्वामी हैं। आप निश्चित तौर पर राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ और अच्छा कर सकते हैं। ये मेरी चंद पंक्तियाँ आपको कुछ करने के लिए प्रेरित भर करने के लिए है ।
सादर अभिवादन के साथ
कमलेश कुमार
सहायक शिक्षक
मध्य विद्यालय केवढ़ी
प्रखंड-कुदरा, कैमूर
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वाह।अतिसुन्दर
ReplyDeleteसकारात्मक सोच वाले व्यक्ति प्रत्येक चुनौती में अवसर तलाश लेते हैं जबकि नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को हर अवसर एक चुनौती नजर आता है। कोरोनाक्राइसिस के कारण हुए लाकडाउन को भी हमें एक अवसर के रूप में देखना चाहिए तथा एक शिक्षक के रूप में स्वयं को अपग्रेड करने के लिए इस समय का सदुपयोग करना चाहिए। अच्छे आलेख हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं....
ReplyDeleteसकारात्मक सोच के साथ आपने सुन्दर आलेख लिखा है। इस हेतु बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर मित्र!
ReplyDeleteविजय सिंह
आपका आलेख छात्र एवं शिक्षक दोनों के संदर्भ में सारगर्भित हैl निर्णय स्वयं करना है इस समय का सदुपयोग कैसे करें l
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
सारगर्भित आलेख के लिए आभार सर
ReplyDeleteअत्यंत सकारात्मक और जीवंत लेख सर। ईश्वर ने हमें खुद को और अपने परिवेश को समझने का सुनहरा मौका दिया है और हमें सकारात्मक रहते हुए उसका पूरा सदुपयोग करना चाहिए।
ReplyDeleteसर जी आप के विचार अति सराहनीय व अनुकरणीय है।
ReplyDeleteअनुकरणीय ।
ReplyDeleteकुछ अल्फाज की तरतीब से बनती है शायरी
ReplyDeleteकुछ चेहरे भी पूरी गजल हुआ करते हैं ।
आपका आलेख दिल को छू गया ।.
भी पूरी गजल हुआ करते हैं ।
बहुत सुंदर आलेख। छात्रों, शिक्षकों एवम् अभिभावकों को समान रूप से समय का सदुपयोग करने हेतु प्रेरणा प्रदान करती है। उपयुक्त विषय वस्तु के साथ ही सहज शब्दों का चयन एवम् धारा प्रवाह वाक्य संरचना इसे शिल्प कला की दृष्टि से उत्तम बनाते हैं। कमलेश जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
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