Tuesday, 28 July 2020
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पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप और छात्र-शफक फातमा
पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप और छात्र
पाठ्य सहगामी का अर्थ होता है- पाठ्य या पाठ्यक्रम के साथ चलने वाला या पाठ्यक्रम का अनुसरण करने वाला। अर्थात वैसे क्रियाकलाप या गतिविधि जो पाठ्यक्रम के साथ-साथ चलते हों अथवा सम्पन्न किये जाते हों, उन्हें ही विस्तृत रूप में "पाठ्य- सहगामी क्रियाकलाप" (curriculum concomitant activities) कहा जाता
शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को केवल पाठ्यपुस्तक तक सीमित न रखकर उनके जिज्ञासा को विस्तृत क्षेत्र प्रदान करने के उद्देश्य से ही पाठ्य-सहगामी क्रियाकलाप की अवधारणा को विकसित किया गया है। बच्चों के मन-मस्तिष्क में जो शिक्षा एक 'बोझ' का रूप धारण कर लेती है उसे पाठ्य-सहगामी क्रियाकलाप द्वारा ही दूर या कम किया जा सकता है। छात्रों में आए दिन तनाव या अवसाद की जो समस्या उत्पन्न हो रही है उससे भी निबटने में ऐसी गतिविधि कारगर सिद्ध हो रही हैं।
वर्तमान समय में यह भी देखने को मिलता है कि छात्र एक ही तरह की शिक्षा से ऊब जाते हैं। वे कक्षा में नई-नई गतिविधि करने के लिए हमेशा ततपर रहते हैं। ऐसे में पाठ्य आधारित क्रिया उनके जिज्ञासा को शांत करता है। यह बच्चों में उनकी छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकालने में मदद भी करता है। जैसे कुछ छात्र पठन-पाठन में कम रुचि रखते हों जबकि अन्य क्रियाओं को वो बहुत चाव से सीखते हैं तो ऐसे में वो भी अपना प्रदर्शन कर सकते हैं। पेंटिंग, शिल्प और कला, खेल, क्विज, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, ओरिगेमी, गायन, वादन, सजावट, रंगोली, योग, बागवानी, क्रिकेट, कबड्डी, सामूहिक प्रार्थना इत्यादि कुछ ऐसे ही क्रियाएँ हैं जिन्हें Indoor और Outdoor में विभाजित किया जाता है। इस प्रकार पाठ्य-सहगामी क्रियाओं की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। यह छात्रों के बौद्धिक, नैतिक, शारीरिक, भावनात्मक विकास में सहायता करता है जो कि उनके सर्वांगीण विकास का सूचक होता है। इसे पाठ्यक्रम का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यह मुख्य पाठ्यक्रम के पूरक के रूप में कार्य करता है। छात्रों के व्यक्तित्व के विकास करने एवं साथ ही कक्षा शिक्षा को मजबूत करने में इसकी बड़ी भूमिका है। इस प्रकार की गतिविधि से न केवल छात्रों का भविष्य उज्ज्वल होता है बल्कि उनमें बौद्धिक, सामाजिक, नैतिक, भावनात्मक और सौंदर्य विकास भी समुचित रूप से विकसित होता है। अतः छात्रों के समुचित विकास के लिए ही पाठ्य-सहगामी क्रियाकलापों का बढ़-चढ़ कर प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहा है। वर्तमान समय में यह क्रिया तो छात्रों के चहुँमुखी विकास में लाभकारी सिद्ध हो रहा है। विद्यालय भवन में छात्रों की उपस्थिति को पर्याप्त रूप से बनाए रखने में भी पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। छात्रों को बीच में ही विद्यालय छोड़ने ( Drop-out) की जो समस्या थी उसे भी बहुत हद तक समाप्त किया जा सका है।
पाठ्य-सहगामी गतिविधियों का लाभ प्रत्यक्ष रूप से छात्रों को ही होता है। इससे न केवल छात्र शैक्षिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करते हैं बल्कि अन्य खूबियों को भी जान पाते हैं जो कि उनके पेशेवर जीवन के लिए भी कुछ अच्छा करने में मदद करती है। छात्र और शिक्षक दोनों के लिए शिक्षण और सीखने के अनुभव को रोमांचक बनाते हैं। छात्रों के लिए रटने की प्राचीन विधि के स्थान पर 'करके सीखने' ( Learning by doing) के आधुनिक विधि पर केंद्रित होता है। बच्चे सामूहिक कार्यों के मूल्यों को सीखते हैं क्योंकि वे एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। इस प्रकार उनमें सामाजिक कौशल का विकास होता है।
कोई भी शैक्षणिक गतिविधि में शिक्षक एवं छात्र का संबंध मधुर होना ज़रूरी होता है। शिक्षक को एक अच्छा योजनाकार (Plan-maker) माना जाता है ताकि वो विभिन्न गतिविधियों को व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न करा सकें। साथ ही शिक्षक एक कुशल आयोजक (Organizer) के रुप में भी जाने जाते हैं। पाठ्य-सहगामी क्रियाओं को सफल बनाने के लिए छात्रों को एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो पूर्ण रूप से निर्देशक, रिकॉर्डर, प्रबंधक, मूल्यांकनकर्ता, निर्णय-निर्माता, सलाहकार, प्रेरक का गुण रखता हो। एक कुशल शिक्षक के भीतर ये सारी विशेषताएँ मुख्य रूप से विद्यमान होती हैं।
शफ़क़ फातमा
प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर
रफीगंज औरंगाबाद
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बहुत बढ़िया आलेख....
ReplyDeleteबहुत ही बढियां और सिन्दर लेख
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteसुन्दर आलेख ।पाठ्य सहगामी गतिविधि होने से बच्चे की समझ ज्यादा मजबूत होती है और साथ -साथ आनंददायी भी ।
ReplyDeleteबहुत -बहुत मुबारकबाद ।
आप सभी का दिल से शुक्रिया।
ReplyDeleteबेहतरीन फातमा जी, उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण ज्ञानवर्धक आलेख। शुक्रिया। रफीगंज प्रखंड में भी योग्य शिक्षकों की कमी नहीं है यह ज्ञात हुआ।
ReplyDeleteबेहतरीन फातमा जी, उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण ज्ञानवर्धक आलेख। शुक्रिया। रफीगंज प्रखंड में भी योग्य शिक्षकों की कमी नहीं है यह ज्ञात हुआ।
ReplyDeleteJankari Achi lgi
ReplyDeleteबहुत अच्छा।
ReplyDeleteशिक्षक के लिए उपयोगी आलेख।
आभार💐
बहुत अच्छा।
ReplyDeleteयह आलेख एक शिक्षक के लिए आज के परिवेश में अति उपयोगी एवम् महत्वपूर्ण है।
MAm Kya AP udesy bhi detale me bta sakti h
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