दीवार पत्रिका-सीमा कुमारी - Teachers of Bihar

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Tuesday, 14 July 2020

दीवार पत्रिका-सीमा कुमारी

दीवार पत्रिका 
शिक्षा में नवाचार और अभिनव प्रयोग : सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष
दीवार पत्रिका बच्चों के द्वारा निकाली गई हस्त पत्रिका है। इसका प्रकाशन साप्ताहिक, मासिक, द्विमासिक, त्रैमासिक भी हो सकता है। इसके प्रकाशन के लिए बच्चों की एक संपादक मंडली गठित की जाती है। इस टीम के द्वारा संपादन और प्रकाशन का काम किया जाता है। बच्चे संवाददाता, कला निर्देशक, कवि, लेखक और पत्रकारिता की भूमिका खुद ही निभाते हैं। इस पत्रिका की साज सज्जा के बाद इसे दीवारों पर टाँग दिया जाता है अथवा ग्रास बोर्ड पर पिन के जरिए खोंस दी जाती है। इसलिए हम इसे दीवार पत्रिका कहते हैं।
विद्यालय का संचालन व उनकी गतिविधियों का लेखा- जोखा होता है एक विद्यालय की दीवार पत्रिका। बच्चों के द्वारा अवलोकन और अन्वेषण से विकसित दीवार पत्रिका से उस विद्यालय की अलग पहचान बनती है। विद्यालय के पुस्तकालय को सुचारू रुप से चलाने व उनकी सक्रियता में महती भूमिका निभाती है
दीवार पत्रिका में प्रकाशित साहित्य और अन्य प्रेरक सामग्रियों के प्रकाशन से बच्चों में भाषा, साहित्य, सामान्य ज्ञान एवं अन्य शैक्षणिक विषयों के प्रति रुचि बढ़ती है और उनके ज्ञान में वृद्धि होती है। बच्चे नियमित रुप से अपने विषय से संबंधित किताबों का अवलोकन पुस्तकालय के माध्यम से करने लगते हैं।
शिक्षकों की दीवार पत्रिका में दिलचस्पी लेने से वे अपने पाठ्यक्रम को और भी सरल और सुगम तरीके से बच्चों के सामने रखने लगते हैं यथा जो बच्चे गृहकार्य से कन्नी काटते हैं अगर उस सामग्री को दीवार पत्रिका में प्रकाशित होने की कहें तो वे काफी रचनात्मक तरीके से उसे पेश करते हैं और इस गृहकार्य में उन्हें बहुत आनंद आता है। 
एक दीवार पत्रिका में नियमित रुप से कहानियाँ, कविताएँ, चुटकुले, प्रेरक प्रसंग, ज्ञान-विज्ञान, चित्रकला, विद्यालय की गतिविधियों की रिपोर्टिंग के साथ-साथ, टोले-मुहल्ले की महत्वपूर्ण गतिविधियों का विवरण, महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ साक्षात्कार आदि जरूर होना चाहिए ।
दीवार पत्रिका की बहुमुखी जरूरतें और लाभ को देखते  हुए इसे अधिक से अधिक विद्यालयों में लागू किया जाना चाहिए ताकि सरकारी विद्यालय के बच्चों में अभी से ही पत्रकारिता व जनसंचार के माध्यमों की समझ विकसित हो सके। उनमें साहित्यिक व कलात्मक अभिरुचि का विकास हो सके। बच्चों में रचनात्मक प्रतिभा को उभारने एवं उनके सर्वतोमुखी विकास के लिए दीवार पत्रिका की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है । अमूमन सरकारी विद्यालयों के बच्चे न तो किताब सही से पढ़ पाते हैं और न ही अपने विचारों को लिखकर‌ व्यक्त कर पाते हैं तो ऐसे में यह दीवार पत्रिका उन्हें सीखने में मददगार साबित हो सकती है।
सीमा कुमारी
रा.म. वि. बीहट
बरौनी बेगूसराय

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