Saturday, 11 July 2020
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विश्व जनसंख्या दिवस-नसीम अख्तर
जनसंख्या से तात्पर्य एक सीमित क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या से है। जब किसी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या आवश्यकता से अधिक हो जाए, युवाओं के लिए आमदनी के साधन कम अर्थात नौकरी के लिए भटकना पड़े या किसी परिवार को अपने दो वक्त की रोटी के लिए अत्यधिक परिश्रम करना पड़े तो ऐसा कहा जा सकता है कि निश्चित ही वहाँ की जनसंख्या आवश्यकता से अधिक होने लगी है। इसे हीं जनसंख्या विस्फोट या जनसंख्या में वृद्धि होना कहते हैैं।जनसंख्या विस्फोट पर मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी का एक अंश मुझे याद आ रहा है- "बेकारी का यह हाल है कि भरपेट किसी को रोटियाँ नहीं मिलती, बच्चों को दूध स्वप्न में भी नहीं मिलता और ये अंधे हैं कि बच्चे पर बच्चे पैदा करते जा रहे हैं"।
जनसंख्या वृद्धि आज पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बनकर खड़ी हो गई है। इस चुनौती से विश्व को संभलना है। अधिक जनसंख्या अधिक संसाधन माँगती है और अधिक संसाधन एक विकसित देश तो आसानी से अपनी जनता को देती है परंतु विकासशील देशों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उसके बाद भी उनकी सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती। इन बातों को ध्यान में रखकर पूरे विश्व के मानव बिरादरी को बड़ी गलती को सुलझाने एवं जनसंख्या संबंधी मुद्दों की गंभीरता और महत्व पर ध्यान दिलाने तथा जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1989 (विश्व की जनसंख्या 5 अरब) में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की शासकीय परिषद द्वारा किया गया था। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के समाधान और इस ओर जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई क्रिया-कलाप और कार्यक्रम किए जाते हैं जिसमें सेमिनार चर्चा, शैक्षिक प्रतियोगिता, शैक्षिक सूचना सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, गीत, खेल गतिविधि, भाषण, कविता, नारे, गोलमेज की चर्चा, समाचार पत्र वितरण आदि प्रमुख हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की जनसंख्या 7.6 बिलियन है तथा जिसके वर्ष 2030 में 8.6 बिलियन पहुँचने की उम्मीद है। प्रतिवर्ष विश्व की जनसंख्या में लगभग 83 मिलियन लोग और जुड़ जाते हैं। विश्व के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश चीन और भारत हैं जो वैश्विक जनसंख्या में क्रमशः 19% और 18% योगदान देते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2024 के आस-पास भारत जनसंख्या के मामले में चीन से भी आगे निकल जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि विश्व की आधी से ज्यादा जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में रहती है और उनमें भी ज्यादातर गरीबी की हालत में गुजर बसर करती है। मानव विकास में यह असमानता, भेदभाव ही विश्व के कई हिस्सों में अस्थिरता, नक्सलवादी जैसी समस्याओं और कई बार हिंसा का कारण बनती है। उनकी इस बात को विश्व में हर दिन बढ़ती जनसंख्या और इससे जुड़े दुष्परिणामों से जोड़कर देखा जा सकता है।
अधिक जनसंख्या के कारण प्रकृति/कुदरत के संसाधनों यथा- खाने के लिए अनाज एवम पीने के लिए पानी के भंडार कम होते जा रहे हैं और बेरोजगारी की विकराल समस्या उत्पन हो गई है। यह बढ़ती जनसंख्या विकास की रफ्तार को कम करने के साथ-साथ कई अन्य समस्याओं की वज़ह बनती है। ऐसे में पूरे विश्व की जनसंख्या में लगातार वृद्धि के परिणामों की गंभीरता को समझना और उसके अनुरूप जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में भागीदारी निभाना जरुरी है। वह दिन दूर नहीं जब गणित के आँकड़े कम पड़ जाएँगे क्योंकि धरती पर इतनी भूमि बचेगी हीं नहीं कि मानव रह सकें। विश्व के सभी देशों की सरकार को इस विशेष अवसर पर सबकी सहमति से जनसंख्या नियंत्रण पर कानून का निर्धारण कर देना चाहिए।
नसीम अख्तर
बी बी राम +2 विद्यालय नगरा, सारण
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बहुत बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लेख।अति सुंदर
ReplyDeleteSuperb script ������
ReplyDeleteBahoot sundar lekh
ReplyDeleteआप ऐसे ही अपना प्रकाश फैलाते रहिये।बहूत ही सुंदर।लेख।
ReplyDeleteप्रदीप पांडेय
बहुत ही सुंदर लेख है
ReplyDeleteAppreciative
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