विद्यालयों में अब अनिवार्य हैं आईसीटी के साधन-चन्द्रशेखर प्रसाद साहु - Teachers of Bihar

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Friday 27 November 2020

विद्यालयों में अब अनिवार्य हैं आईसीटी के साधन-चन्द्रशेखर प्रसाद साहु

विद्यालयों में अब अनिवार्य हैं आईसीटी के साधन

          गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की संप्राप्ति के लिए शिक्षण में सूचना एवं संचार के साधनों का उपयोग अब  आवश्यक हो गया है। बच्चों को सहज एवं सरल तरीके से अधिगम के लिए इन तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी है। इन साधनों से जहाँ अधिगम रोचक एवं आनंददायक होता है वहीं इससे शिक्षकों को सिखाने व समझाने का एक सशक्त माध्यम भी उपलब्ध होता है। कई अवसर ऐसे होते हैं जहाँ शिक्षक इन साधनों का इस्तेमाल कर बच्चों को सुगमता से तथ्यों का बोध कराते हैं।
          एक जमाना वह था जब हम स्लेट पर पेंसिल से लिखते थे और अभ्यास करते थे। धीरे-धीरे लिखने के साधन पेंसिल, कलम और कॉपी हो गए। लेकिन अब हमारे घरों में टी.वी है, एल.ई.डी. है, स्मार्टफोन है, कंप्यूटर है, लैपटॉप है। सूचना एवं संचार के तकनीकों ने हमारी जीवनशैली में तेजी से बदलाव लाया है। अब हम इन साधनों के इस्तेमाल से तत्क्षण सूचना, खबर एवं जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। फोटो, वीडियो, स्लाइड के माध्यम से हम जानकारियों को शीघ्रता से एक समय में कई लोगों या समूहों से साझा कर लेते हैं। अब बच्चे घर-परिवार में ही सूचना एवं संचार के साधनों से परिचित होते हैं। वह टी.वी, एल.ई.डी., स्मार्ट फोन से लगाव रखते हैं। इनके जरिए उनमें सीखने की जिज्ञासा होती है, वह रोचक तरीके से इन साधनों का इस्तेमाल करते हैं और फोटो एवं  वीडियो रुचिपूर्वक देखते हैं। इसके माध्यम से वह गीत, कविता, कहानी आदि सुनते हैं एवं चित्रों को गौर से देखते हैं। वह बचपन से ही घर-परिवार में इन साधनों को ऑपरेट करना जानने लगते हैं। इन साधनों की उपलब्धता जब वे विद्यालय में पाएँगे तो विद्यालय उन्हें घर-परिवार जैसा ही महसूस होगा। वे इन  साधनों के इस्तेमाल से रूचि पूर्वक एवं आनंददायक तरीके से सीखेंगे। तब उन्हें विद्यालय में पढ़ाया या सिखाया जाने वाला विषय वस्तु रटंत या उबाऊ नहीं लगेगा बल्कि सरल एवं रोचक लगेगा। 
          इस प्रकार सूचना एवं संचार के युग में इन साधनों की उपलब्धता प्रारंभिक विद्यालयों के लिए अनिवार्य हो गया है। तकनीक से समृद्ध परिवेश  तथा  शिक्षा के बदलते स्वरूप एवं संरचना में बच्चों के लिए सूचना एवं संचार के साधन नितांत आवश्यक हो गए हैं क्योंकि बच्चे अब तेजी से सीखने लगे हैं, अधिकाधिक प्रश्न पूछने लगे हैं। सूचना एवं संचार के साधनों से घर-परिवार एवं परिवेश के समृद्ध होने के कारण उनका पूर्व ज्ञान एवं अनुभव भी समृद्ध हुआ है, उनकी जिज्ञासाएँ विकसित हुई  हैं, उनकी संभावनाएँ शिक्षा के लिहाज से बढ़ी हैं, वह तेजी से बहुत कुछ जानना एवं सीखना चाहते हैं, ऐसी दशा में उनके अधिगम के लिए सूचना एवं संचार के साधनों का इस्तेमाल उनके समुचित शैक्षिक विकास के लिए आवश्यक है। इस संदर्भ में बच्चों की आवश्यकता एवं उनके शैक्षिक विकास के परिवर्तित परिवेश में सरकारी स्कूलों के लिए  टी.वी, एल.ई.डी, लैपटॉप, पावर प्वाइंट,  प्रोजेक्टर आवश्यक एवं उपयोगी साधन हो गए हैं। इन साधनों की अनुपलब्धता बच्चों के बेहतर शैक्षिक एवं मानसिक विकास के लिए प्रतिकूल स्थिति है। सूचना एवं संचार के साधनों के इस्तेमाल से बच्चों में जहाँ शैक्षिक विकास होता है  वहीं उनका मानसिक विकास भी होता है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का परिचालन एवं क्रियान्वयन से वह तकनीकी पक्षों से लगाव रखते हैं, वे तकनीकी साधनों से जुड़कर अपनी जानकारी को समृद्ध करते हैं, इससे उनमें  बाल्यावस्था से ही विज्ञान एवं विज्ञान के उपकरणों के निर्माण एवं इसकी संरचना को लेकर जिज्ञासा उत्पन्न होती है। यह बच्चों को विज्ञान, तकनीक एवं अनुसंधान से जोड़कर उन्हें ज्ञान-विज्ञान के उन्नत शिखर तक पहुँचने का अवसर प्रदान करता है।शिक्षण प्रक्रिया में आईसीटी का प्रयोग बच्चों के लिए तो बेहतर है ही, शिक्षकों के लिए भी आवश्यक है। इसके माध्यम से शिक्षक अपने अध्यापन कौशलों का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे वह स्टडी मैटेरियल को आकर्षक एवं रुचिकर बनाने के साथ-साथ इसका स्वरूप और प्रतिरूप भी बच्चों के योग्य सरल एवं बोधगम्य बना सकते हैं। वह विषय-वस्तु में अपने अध्यापन कौशल के बदौलत जोड़-तोड़ कर समृद्ध व सुग्राह्य बना सकते हैं।
          शिक्षक आईसीटी के साधनों के जरिए विषय वस्तु/ पाठ्य वस्तुओं का संग्रह भी कर सकते हैं ताकि  इसका उपयोग भविष्य में बार-बार किया जा सके। वह विषय-वस्तु का निर्माण भी बच्चों की आयु, रुचि एवं परिवेश के मुताबिक कर सकते हैं जिससे अधिगम रोचक एवं सुगम हो सकता है। आई.सी.टी के इस्तेमाल से विषय-वस्तु की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है। शिक्षक अधिगम प्रतिफल के आधार पर विषय-वस्तु के तथ्यों में सुधार कर उसे और आसान एवं उपयोगी बना सकते हैं। आई.सी.टी से शिक्षकों को एक लाभ यह भी है कि वह अपने नवाचार, गतिविधि एवं प्रोजेक्ट को दूसरे शिक्षकों एवं समूह में साझा कर सकते हैं। इससे उपयोगी शैक्षिक क्रियाकलाप तत्क्षण ही सबके लिए उपयोग हेतु सुलभ हो जाता है।
          आज स्थिति यह है कि बिहार के प्रारंभिक विद्यालयों में आई.सी.टी के साधनों की उपलब्धता बहुत ही न्यून है। कुछ ही विद्यालय ऐसे हैं जहाँ व्यक्तिगत लैपटॉप, मोबाइल आदि के जरिए बच्चों को अधिगम कराया जाता है। आज जबकि प्रारंभिक शिक्षा में आई.सी.टी का इस्तेमाल आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य हो गया है, ऐसे में सरकारी विद्यालयों का आईसीटी के साधनों से विहीन होना निश्चय ही चिंता का विषय है। सरकारी विद्यालयों एवं उनमें कार्यरत शिक्षकों में गुणवत्तापूर्ण अधिगम की संप्राप्ति की दृष्टि से अपार संभावनाएँ हैं। शिक्षक अध्यापन-कौशल एवं सकारात्मक दृष्टिकोण से युक्त हैं। उनमें विद्यालय एवं विद्यार्थियों को लेकर एक व्यापक विजन है। आवश्यकता है विद्यालयों को संसाधनों से समृद्ध करना। हालांकि कई ऐसे शिक्षक हैं जो अपने व्यक्तिगत एवं समुदाय के प्रयास से विद्यालय को समृद्ध बनाने में जुटे हैं, बिहार के कई विद्यालयों में इसके सकारात्मक नतीजे देखे जा सकते हैं फिर भी सरकारी योजनाओं के बदौलत ही बिहार के सभी विद्यालयों को आई.सी.टी के साधनों से सफलतापूर्वक समृद्ध किया जा सकता है। इस ओर एक व्यापक सरकारी योजना के क्रियान्वयन  की जरूरत है। विद्यालय को संसाधनों से समृद्ध करना आवश्यक  सरकार की जिम्मेवारियों में सर्वोपरि है। यह कदम शिक्षा हित में है। शिक्षायी सोंच को सफलीभूत करने के लिए यह एक अच्छी पहल है।


चन्द्रशेखर प्रसाद साहु
प्रधानाध्यापक
कन्या मध्य विद्यालय कुटुंबा, औरंगाबाद, बिहार

नोट-उपरोक्त विचार लेखक के स्वयं के हैं।

3 comments:

  1. ICT is indispensable part of pedagogical process and you have beautifully described it.
    How can a teacher make easy learning process by using ICT, you have explained it very impressively ?
    Aurangabad district proud of you.

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