Tuesday, 15 February 2022
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निष्ठा का बल-मो. जाहिद हुसैन
निष्ठा का बल
हेड सर ने टीम भावना के साथ स्वच्छ वातावरण एवं स्वस्थ कार्य संस्कृति की स्थापना कर दी है। अकादमिक उन्नयन भी साफ दीख रहा है। वे सभी बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए गांव में अभिभावकों से मिलते-जुलते रहते हैं। पाक्षिक पैरंट्स-टीचर्स की मीटिंग फिक्स कर दी है जिसमें शैक्षिक उन्नति हेतु खुलकर विचार-विमर्श होता है। सभी बच्चे यूनीफॉर्म में आने लगे हैं। बाल संसद और मीना मंच इतना सक्रिय है कि विद्यालय कार्य योजना में शिक्षकों का भार कम गया है। बच्चों में नेतृत्व की भावना प्रबल है एवं स्वानुशासन आत्मसात हो गई है। छिजित बच्चों को जागरूक करने की जिम्मेदारी चिल्ड्रन कैबिनेट ने ले रखी है। एस. एस.ए से मिली पुरानी दर की राशि को चुनौती के रूप में स्वीकार कर हेड सर ने दिन-रात एक करके भवन को ठोस आकार दे दिया है। साज-सज्जा, दीवार चित्रण एवं लेखन तथा सौंदर्यीकरण कम्पोजिट ग्रांट से करवा दिए गए हैं। दीवारों पर लिखे अनमोल बोल-वचन, बाल लुभावन चित्र, अक्षर चित्र, कथा चित्र, प्रेरक प्रसंग, संविधान की प्रस्तावना, मूल अधिकार एवं कर्तव्य तथा महात्मा गांधी के अनमोल कथन आदि विद्यालय को गरिमा प्रदान कर रहे हैं। छोटे बच्चों के लिए मनोहर एवं आनंददायी कक्ष देखते ही बनता है। कक्ष के बाह्य भित्ती पर बने आकर्षक ट्रेन एवं नवाचारी शैक्षणिक गतिविधि को देखते ही तोत्तोचान के 'तोमोए गाकुएन' की छवि और सिलविया ईस्टन वॉर्नर के 'अध्यापक' की छवि मानस पटल आ जाती है।
मेरी इच्छा हुई कि दिनभर रहकर सारी गतिविधियों को देखूं। लाजवाब चेतना-सत्र ह्रदय में उतर-सा गया है। बच्चों ने स्टार की आकृति बनाकर प्रार्थना की और प्रेरणा गीत के बाद अखबार वाचन, बापू की कहानी, सामान्य ज्ञान के करीब दस प्रश्न एवं एक डॉक्टर साहब का व्याख्यान, बच्चों की स्वरचित कविताएं एवं कहानी का वाचन आदि एक प्रभावी अधिगम की बानगी लगी। बच्चों में उत्साह एवं चेहरे पर आत्मविश्वास दिखता है। डॉक्टर साहब बच्चों को स्वास्थ्य लाभ हेतु टिप्स दे रहे हैं। वे बच्चों के द्वारा उठाए गए प्रश्नों का जवाब भी दे रहे हैं। यह टीम टीचिंग का एक अच्छा उदाहरण है, जिसके लिए सप्ताह में एक दिन विविध क्षेत्र के विशेषज्ञों यथा-इंजीनियर, टेक्नोक्रैट, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट, योग गुरु, पत्रकार, वकील, समाजसेवी, सफल इंसान, अपने क्षेत्र में सफल विद्यालय के पूर्व छात्र, प्रेरक, शिक्षाविद एवं शिक्षा प्रेमी तथा कलाकार आदि को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया जाता है। ऐसी-ऐसी नवाचारी गतिविधियों से बच्चे उपयोगी ज्ञान से समृद्ध हो जाते हैं। चेतना-सत्र के बाद करीब दस-पंद्रह मिनट में सभी बच्चे पानी पीने, मूत्र विसर्जन एवं शौच क्रिया आदि से निवृत्त होकर क्लास में चले गए। दूसरी घंटी बजते ही प्रांगण बच्चों से खाली हो गया।
कार्यालय में चाय-पानी से हमारी खातिर भी हुई। उसके बाद अनायास ही मैं बरामदे में टहलते हुए एक वर्ग-कक्ष में जा पहुँचा जहां बच्चों ने खड़े होकर मेरा अभिवादन किया। वर्ग में उपस्थित शिक्षक ने मुझे कुर्सी ऑफर की लेकिन मैंने बच्चों के साथ एक बेंच पर यह कहते हुए बैठ गया," सर, मैं भी कुछ सीखना चाहता हूं। दरअसल मैं गणित की शिक्षण तकनीक में 'अक्ल से पैदल' हूं। सर मुस्कुराए और बच्चे हँस पड़े। सर का अध्यापन-कौशल बिल्कुल बाल केंद्रित, आनंददायी एवं नवाचारी दीखा। वे औसत की अवधारणा सहजता से देने लगे। उन्होंने 5 बच्चों को बुलाया और अपने हाथ में लिए कंकड़ को पांचों बच्चों को दे दिया। पहले बच्चे को 2, दूसरे को 5, तीसरे को 7, चौथे को 8 तथा पांचवें बच्चे को 3 फिर बच्चों से उन्होंने कहा," मान लीजिए कि ये कंकड़ नहीं, मिठाईयां हैं; जिसे मैंने आपके साथियों को दे दिया है। अब बच्चों बताओ," क्या यह इंसाफ है। "बच्चों ने एक स्वर में कहा, "नहीं "। सभी साथियों को बराबर-बराबर मिठाईयां दी जानी चाहिए। सर ने एक बच्चे को बुलाया और सभी मिठाइयों को अपने साथियों में बराबर- बराबर हिस्से में बांट देने को कहा। बच्चे ने पांचों साथियों को एक पंक्ति में खड़ा किया। पहले एक-एक मिठाई सब को दी फिर दूसरी बार भी एक-एक मिठाई दी। इसी तरह से पूरी मिठाई जब खत्म हो गई तो सर ने पांचों बच्चों से पूछा," आप लोगों के हाथ में कितनी-कितनी मिठाइयां हैं।" उत्तर: 5, तो समझिए यही औसत है। श्यामपट्ट पर इस प्रकार लिखा जाएगा-
2+5+7+8+3
= ‐---‐----------------
5
25
= ‐----------
5
अत: औसत = 5 है।
चौथी घंटी बज गई। सर के साथ निकलने लगे कि एक शिक्षिका का प्रवेश हुआ। उन्होंने मुझे विनती की, "महानुभाव, मेरा क्लास भी तो देख लीजिए, आप से कुछ मार्गदर्शन मिल जाएगा। "नहीं--नहीं, ऐसी कोई बात नहीं। दरअसल मैं आप से ही कुछ सीखूंगा। मैडम ने फोनिक ड्रिल से बच्चों को इस क़दर पठन कौशल में पारंगत कर दिया है कि वे फटाफट अंग्रेजी पढ़ रहे है। उन्होंने एक पॉकेट बोर्ड लटका रखा है। अब वे कार्ड बोर्ड के द्वारा Sentence Formation का पैटर्न दे रहे हैं। वे बारी-बारी से बच्चों को बुलाते। टेबल पर पड़े लेटर कार्ड को पॉकेट बोर्ड में डालकर सेंटेंस बनाने के लिए कहते। बच्चे आनंद-आनंद में इसे रचते। भूल-चूक होने पर बच्चे ही एक-दूसरे को करेक्ट कर देते। फिर मैडम मार्गदर्शन करते एवं ग्रामर समझाते कि किस सब्जेक्ट के साथ कौन-सा Auxiliary Verb लगता है। किस Person के Principal Verb में s या es लगता है और किस में नहीं। उदाहरणार्थ: I am a student. He is a carpenter. The boys are playing. She sings a song. Priya studies in the liberary etc.
मुझे स्मरण है कि करीब ढाई-तीन साल पहले मूल्यांकन प्रक्रिया के अनुश्रवण हेतु पांच सदस्यीय जिला समिति बनी थी जिसमें मैं भी एक सदस्य था। मुझे नालंदा जिला के तकरीबन 25-30 विद्यालय को देखने का मौका मिला था। उस दौरान चंडी प्रखंड के मध्य विद्यालय उत्तरा में भी जाने का मौका मिला जहां मैं और साथ में रहे एक ए. पी. ओ साहब ने प्रधानाचार्य-सह-व्यवस्थापक सविता सर के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया का जायजा लिया था। जीर्ण-शीर्ण विद्यालय को दिखाते हुए सविता सर के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गयीं थीं। हालांकि कायापलट की चाह में उनकी आँखें चमक भी रही थीं। उनमें आत्मविश्वास था कि आधारभूत संरचना से अकादमिक स्थिति तक सुधार करके ही रहूंगा। खैर इतना जल्दी बदलाव तो उनके बूते की बात थी नहीं। सो विभागीय पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों से वे भवन-निर्माण हेतु अनुनय-विनय करते रहे। उधेड़बुन में करीब एक साल निकल गए, तब जाकर भवन की राशि का जुगाड़ हो सका। उसके बाद मैं उनका विद्यालय पुनः आज पहुंचा हूॅं। उन्होंने अथक टीम वर्क कर शिक्षा के स्वर्ग की अनुभूति जो कराया है, देख कर मुझे बहुत खुशी हो रही है। एक एच. एम के रूप में सविता सर का प्रबंधन कौशल एवं अनुशासन तथा प्रशासन अद्भुत एवं प्रभावशाली है। समय से आना, समय से जाना। बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और तनिक थकान नहीं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का साक्षात दर्शन है।
मो. जाहिद हुसैन
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलह बिगहा
चंडी (नालंदा)
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शंदेशपरक
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