हम हैं टीचर्स ऑफ बिहार ( स्थापना दिवस विशेष ) - राकेश कुमार - Teachers of Bihar

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Sunday, 13 February 2022

हम हैं टीचर्स ऑफ बिहार ( स्थापना दिवस विशेष ) - राकेश कुमार

 हम अक्सर कोई कार्य करने से पहले सोचते हैं कि सफलता मिलेगी या नहीं लेकिन कहते हैं न की सबसे बड़ी सफलता है हमारे मन में एक ख्वाब का आना, एक कल्पना का सृजन होना जो मूर्त रुप ले सके । कलाम साहब का प्रसिद्ध प्रेरक विचार - सपने वे नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं बल्कि सपने वे हैं जो हमें सोने नहीं देती। इस विचार को आत्मसात कर टीचर्स ऑफ बिहार की संकल्पना की गई जो बिहार की शिक्षण व्यवस्था के लिए कहें तो मिल का पत्थर साबित हुआ। मैं यहां पर पर इस तथ्य का जिक्र इसलिए कर रहा हूँ कि शिक्षण कार्य या शिक्षण व्यवस्था सदियों से चली आ रही थी यहां पर प्रश्न था कि बिहार की शैक्षिक व्यवस्था को समय के अनुरूप ढालना, नई तकनीक में ढालना एक ऐसा प्लेटफार्म जहां शिक्षक सिर्फ अपने विद्यालय तक सीमित न रहें, बच्चों को एक व्यापक समझ विकसित करने का अवसर मिले । इन सबको पूरा किया टीचर्स ऑफ बिहार का मंच एक ऐसा मंच जहाँ टीचर्स और बच्चे अपने नवचार को एवं मन में आये अपनी शैक्षिक कला को खुलकर प्रदर्शित कर रहे हैं । मैंने महसूस किया है कि शिक्षक के साथ - साथ बच्चे भी कोई भी शैक्षिक गतिविधियों को टीचर्स ऑफ बिहार के फ़ेसबुक ग्रुप पर डालने को उत्सुक रहते हैं । आज से कुछ वर्ष पूर्व बहुत सारी शैक्षणिक कार्यक्रम से जानकारी के आभाव में वंचित रह जाते थे , लेकिन आज ये कहते हुये मुझे गर्व होता है कि आज ऐसा नहीं है सरकार के द्वारा शुरू की जाने वाली कार्यक्रम को शैक्षिक क्रांति का रुप दे देते हैं हम टीचर्स ऑफ बिहार। आज समस्त शिक्षक जगत कोई भी नया कार्यक्रम आता है तो उससे संबंधित TOB ज्ञान का इंतजार करते हैं। मुझे सुखद अनुभूति होती है ये कहते हुए की कुछ समय पूर्व जब ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम निष्ठा की शुरुआत हुई तो हमारे विद्यालय के शिक्षक जो अब कुछ समय बाद सेवानिवृत्त होने वाले है एक नई मोबाइल खरीदा और उसमें निष्ठा से सम्बंधित TOB ज्ञान देख रहे थें। आज टीचर्स ऑफ बिहार सभी शिक्षकों को तकनीकी रूप से सशक्त बना रहा है । आज इस मंच का हीं कमाल है कि आज सभी विद्यालय एक दूसरे से प्रेरित हो रहे हैं एवं एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धी मूल्य का निर्वहन कर रहे हैं । इस मंच द्वारा समय - समय पर सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर  समाज में ये संदेश दे रहा है कि हम शिक्षक सामाजिक क्रांति के अग्रदूत हैं  मैं इस तथ्य को इसलिए रेखांकित कर रहा हूँ कि वर्ष 2020 में पूरी दुनिया कोरोना से प्रभावित हो गई थी बच्चों की शैक्षिक व्यवस्था ठप हो गई थी लेकिन ये बात टीचर्स ऑफ बिहार को मंजूर नहीं था तब इस मंच नें एक ऐसे कार्यक्रम की शुरुआत की जिसका नाम था SOM अर्थात School on Mobile जिसके बाद पूरा बिहार बोल उठा वाह टीचर्स ऑफ बिहार और इस कार्यक्रम नें पूरे देश में बिहार की एक अलग पहचान बनाई। आज इन तीन वर्षों में टीचर्स ऑफ बिहार नें उन ऊँचाइयों को छुआ है जिसे शायद कुछ शब्दों में छूना सम्भव नहीं है। इस मंच के माध्यम से बिहार के समस्त शिक्षकों ने ये संदेश दिया कि आप सोचो नहीं बल्कि करना शुरू कर दो । मुझे गर्व है कि मैं भी टीचर्स ऑफ बिहार से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे गर्व होती है जब मुझसे कोई पूछता है कि आप टीचर्स ऑफ बिहार हैं तब मैं  गर्वपूर्वक कहता हूँ कि हां हम टीचर्स ऑफ बिहार हैं !

टीचर्स ऑफ बिहार की स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई !



राकेश कुमार

मध्य विद्यालय बलुआ

मनेर ( पटना )

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