मैं कलम से लिखता हूं याकि - Teachers of Bihar

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Thursday 17 March 2022

मैं कलम से लिखता हूं याकि

 मैं कलम से लिखता हूं याकि--- 


कोई कहता है," मैं कलम से लिखता हूं।" कोई कहता है," मैं दिमाग से लिखता हूं।" कोई कहता है," मैं इसे अपने दिल से लिखता हूं।" कोई कहता है," मैं मन से लिखता हूं।" ये सभी बातें क्या इंगित करती हैं? मतलब कि इंसान अपना अनुभव से लिखता है और अनुभव हैं- तीनों शैक्षिक एवं शैक्षणिक टैक्सोनॉमी:- ज्ञानात्मक क्षेत्र, भावात्मक क्षेत्र और कार्यात्मक क्षेत्र। कलम लिखने में सहायक है। यह एक लेखन सामग्री है, जिसका उपयोग हम लिखने में अपनी उंगलियों के द्वारा करते हैं। उंगलियां क्या है? अंग हैं। अंगों को निर्देशित कौन करता है? तंत्रिका तंत्र अर्थात मस्तिष्क। लेकिन हम जो कुछ भी लिखते हैं, वे हृदय से उत्पन्न भाव हैं। मतलब कि तीनों पक्ष एक साथ कार्य करते हैं, जिसमें जो, जितना सबल पक्ष होता है, वह उद्घाटित होते हैं और आलेख बन जाते हैं। रचनाकार यथा- कवि, लेखक, पत्रकार, वैज्ञानिक आदि के दिलो-दिमाग में जो भाव-विचार होता है, वही उद्गार होता है। अभिव्यक्ति में भी यही होता है। इसमें नवरस भी होते हैं। नवरस यानी शृंगार, करुण, हास्य, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत। अभिव्यक्ति मुखर हो सकती है या फिर देह भाषा से।  पूर्व राष्ट्रपति एवं महान विचारक एपीजे अब्दुल कलाम का कथन है, "सीखना रचनात्मकता देता है। रचनात्मकता सोच की ओर ले जाती है। सोच ज्ञान प्रदान करती है। ज्ञान आप को महान बनाता है।"

    जब भी बच्चों के मूल्यांकन हेतु ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता है, तो उनके ज्ञान, बोध, अनुप्रयोग और कौशल ही कसौटी होते हैं, जिनके द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास वाला व्यक्तित्व ढूंढने का प्रयास किया जाता है और ये तीनों चीजें निरंतर विकसित होने वाली चीजें हैं। उपलब्धि परीक्षण के उपरांत पुनः मूल्यांकन किया जाता है। यह एक शिक्षण शास्त्रीय प्रक्रिया है, जो शिक्षार्थियों की उन्नति हेतु चलती रहनी चाहिए, क्योंकि मस्तिष्क (Head) भाव (Heart) और कौशल (Skill) का विकास ही सर्वांगीण विकास होता है। महात्मा गांधी की शिक्षा की परिभाषा पूर्णरूपेण इसे व्याख्यायित करती है," शिक्षा से मेरा अभिप्राय है- बच्चा और मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा में पाए जाने वाले सर्वोत्तम गुणों का सर्वांगीण विकास।"  स्पेंसर के अनुसार," शिक्षा पूर्ण जीवन है।"  जन्म से मृत्युपर्यंत अनुभव प्राप्त करने की प्रक्रिया शिक्षा है। बच्चे ज्ञान का सृजन स्वयं करें या सुगमकर्ता के द्वारा सीखने-सिखाने के वातावरण निर्माण के फलस्वरुप। जॉन डीवी की परिभाषा भी इस बात की पुष्टि करती है," शिक्षा वातावरण को नियंत्रित करने वाली वह शक्ति है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी निहित संभावनाओं की पूर्ति कर सकें।" अब दिमाग पर जोर डालें कि हम लिखते किस चीज से हैं? यह शुद्ध रूप से विज्ञान एवं मनोविज्ञान का विषय है।

                 

                       मो. जाहिद हुसैन     


                        प्रधानाध्यापक 

                  उत्क्रमित मध्य विद्यालय 

              मलह बिगहा,चंडी (नालंदा)

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