राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी- अनुप्रिया - Teachers of Bihar

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Tuesday 24 January 2023

राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी- अनुप्रिया

बालिकाएं किसी भी समाज के कल्याण, विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। एक बालिका जो स्वस्थ वातावरण में बढ़ी होती है, वहीं एक काबिल स्त्री बनती है, जो परिवार, समाज और देश को स्वस्थ रखने की दिशा में अपना योगदान देती हैं। आज लड़कियां लगभग हर क्षेत्र में कार्यरत हैं और अपनी स्थिति को मजबूत कर रही हैं लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब बच्चियों को गर्भ में ही मार दिया जाता था। इस कारण लिंग असमानता की समस्या बढ़ी। जन्म के बाद उनका बाल विवाह कर दिया जाता था, जिसकी वजह से वह अपना बचपन खो देती थी। शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास से वंचित रह जाती थी और साथ ही कम उम्र में गर्भवती होने से किशोरी और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता था। इन सभी का असर देश के विकास पर भी होता है। बालिकाओं के खिलाफ होने वाली इन्हीं कुरीतियों के अंत और किशोरियों को समाज के प्रथम पायदान पर लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष जनवरी माह में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते हैं। सरकार और यूनिसेफ मिलकर बालिकाओं के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके और बालिकाओं के रहने लायक सुरक्षित समाज बन सके।  साथ ही किशोरियों के लिए यूनिसेफ की योजनाओं के बारे में भी जानें। प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते हैं। राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने की शुरुआत 2009 में हुई थी, जब पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने देश में बालिका दिवस मनाया था। बालिका दिवस को 24 जनवरी को ही मनाने के पीछे खास वजह है। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वजह से ही 24 जनवरी को बालिका दिवस मनाया जाने लगा। 1966 में जब इंदिरा गांधी पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनीं तो उनका शपथ ग्रहण समारोह 24 जनवरी को ही हुआ था। यह दिन भारत के इतिहास में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अहम है। इस दिन को यादगार बनाने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाने का फैसला लिया गया। हर वर्ष राष्ट्रीय बालिका दिवस की एक खास थीम होती है। विश्व में भी  बालिकाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने व किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर के लिए मार्ग बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूक करना है। यूनिसेफ बच्चों, किशोरियों और गर्भवती स्त्रियों के लिए कार्य करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। भारत में किशोरियों की स्थिति को मजबूत करने और उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की किलकारी योजना में यूनिसेफ का भी सहयोग रहा। इस योजना के तहत कई किशोरियों को अपने सपने पूरे करने और करियर बनाने का मौका मिला। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी यूनिसेफ कार्य कर रहा, साथ ही बाल विवाह जैसी कुरीति को खत्म करने की दिशा में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यूनिसेफ, किशोर लड़कियों, महिलाओं, भागीदारों और अधिवक्ताओं के साथ, एक ऐसी दुनिया की फिर से कल्पना करता है जहां प्राकृतिक मासिक धर्म के कारण कोई लड़की या महिला पीछे नहीं रहती है, और किशोर और किशोरियों की उम्र से पहले शादी करने से उनके भविष्य पर संकट आ सकता है। यूनिसेफ भारत में बाल विवाह को खत्म करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है और राज्य सरकार व सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य कर रहा  है। बिहार सरकार किलकारी योजना को वित्तीय सहायता देती है। इस योजना के अंतर्गत किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाना है। यूनिसेफ किशोरियों को ट्रेनिंग देता है और भविष्य के लिए तैयार करता है।बिहार मे भी किलकारी , सरकार के साथ मिलकर बेटियों के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। विश्व में बालिकाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने व किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर के लिए मार्ग बनाने के उद्देश्य से प्रत्यके वर्ष 11 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस हर वर्ष एक नए थीम के साथ मनाया जाता है। भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहां पर लड़कियों के जन्म होने पर लोग नाखुशी जताते हैं और कई लोग तो जन्म के पहले ही लड़कियों को मार देते हैं I ऐसी विचारधारा को समाप्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई है I ताकि लोगों के अंदर जागृति लाई जा सके कि लड़कियां लड़कों से किसी मुकाबले में कम नहीं है I इसके लिए देश भर में कई प्रकार के बालिका संबंधित योजना का संचालन भी किया गया है उनमें से सबसे प्रमुख योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ है।



अनुप्रिया

मध्य विद्यालय करबलाधत्ता

फारबिसगंज

अररिया

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