बालक जैसे-जैसेबड़ा होता जाता है, उसके बाद वह शिक्षा प्राप्त करने के लिये विद्यालय में प्रवेश करता है,जहाँ पर एक ओर तो परिवार के द्वारा तेज गति से विकास कराने के चक्कर में "बस्ते का बोझ"उसके पीठ पर लादकर,सुबह पांच बजे जबर्दस्ती बिस्तर से जगाकर पढ़ने के विद्यालय भेज कर उसके जीवन की कठिन परीक्षा लेना प्रारंभ कर देते हैं।नौनिहालों को जब घर में माता-पिता जी के साथ सीखने की जरूरत है तो वैसे समय में उसके जीवन में दबाब डालकर उसकी परीक्षा प्रारंभ कर दी जाती है।
विद्यालय में लगातार कक्षा वार परीक्षा लेना प्रारंभ कर दिया जाता है, जिसको हर हाल में बच्चों को देना ही पड़ता है,नहीं तो उसके जीवन को अगली कक्षा में प्रवेश असंभव हो जाता है। इसी परीक्षा के दौर की सरकारी तौर पर जीवन में रोजी-रोजगार प्राप्त करने के लिये माध्यमिक,उच्चतर माध्यमिक,स्नातक,स्नातकोत्तर, तकनीकी परीक्षा देना पड़ जाता है।
इस प्रकार की परीक्षा में उत्तीर्णता प्राप्त करने के लिये बच्चे को प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ता है,जहाँ उसके दिलो- दिमाग में मानसिक तनाव हावी होने लगता है,जो कि उन बालक-बालिका के सोचने-समझने की शक्ति को विनष्ट करने में अहम भूमिका निभाने लगते हैं।
इस परीक्षा के दौर में"बिहार विद्यालय परीक्षा समिति,पटना" जिसने बच्चों के हित को ध्यान में रखकर,उसके दिमाग से कम अंक प्राप्त करने के भय को दूर करते हुये,अन्य परीक्षा समिति की तुलना में बेहतरीन प्रयोग करते हुये ससमय परीक्षा लेना, मूल्यांकन करना तथा परीक्षाफल प्रकाशित करने जैसी बातों को ध्यान में रखकर आज से उच्चतर माध्यमिक परीक्षा प्रारंभ की है।
इसके कुछ ही दिन बाद माध्यमिक परीक्षा भी होगी। जीवन के हर कदम पर देने वाली परीक्षा,प्रतिभागियों,परीक्षार्थी को कुछ देती है,उससे कुछ लेती नहीं है। लोगों को जीवन में प्रत्येक परीक्षा को देने के लिये दिलो-दिमाग को शांत करके प्रश्नों को पढ़कर उसका सही-सही उत्तर अपनी भाषा में देने का प्रयास करना चाहिए। अधिक जानने तथा याद करने के चक्कर में परीक्षार्थी, परीक्षा पूर्व की रात्रि में रात-रात भर जगकर पढ़ते रहते हैं ,जो कि बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर कर देती है तथा मानसिक रूप से तनाव डाल देती है, इसलिये परीक्षा के पूर्व रात्रि में परीक्षार्थी को गहरी नींद सोने का प्रयास करना चाहिए,क्योंकि"स्मृति को दृढ़"होने के लिये "आराम" की आवश्यकता होती है।
इस प्रकार आप सभी परीक्षार्थी को जीवन में तनाव मुक्त रहते हुये,सोच विचार कर सटीक जबाब को देने का प्रयास करना चाहिए।परीक्षार्थी को कभी भी जान-बूझकर "परीक्षक को उलझाने"वाली बातों को अनाधिकृत रूप से नहीं लिखना चाहिए। आने वाली परीक्षाओं में आप बेहतर अंक लाकर,जीवन में लगातार तरक्की करते रहें,इसकी बहुत-बहुत बधाई के साथ आने वाले कल की शुभकामनायें।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"शिक्षाविद,भलसुंधिया,गोड्डा
(झारखंड)।
No comments:
Post a Comment