गणित और खगोल शास्त्र की परिधि में आर्यभट्ट- सुरेश कुमार गौरव - Teachers of Bihar

Recent

Saturday 13 April 2024

गणित और खगोल शास्त्र की परिधि में आर्यभट्ट- सुरेश कुमार गौरव


१४ अप्रैल को बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की जयंती के साथ हिंदी पंचांग के अनुसार यह भी माना जाता है कि इसी दिन पटना,बिहार भारत) के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म हुआ था। इनका जन्म पटना प्राचीन नाम कुसुमपुर में हुआ था‌। उनके द्वारा रचित *आर्यभट्टीय* में उनकी उम्र का प्रमाण भी ज्ञात हुआ था। उनके एक लेख में वर्णित था कि काली युग में ३६०० साल थे जब वह २३वर्ष के थे जिसके आधार पर  उनकी आयु की गणना की गई।


बचपन से ही हम गणित की पुस्तक में π को पढ़ते आये है। इसे गुप्त काल में आर्यभट्ट ने कड़ी मेहनत से हल किया था। मालूम हो कि उस समय आज के समय मौजूद हाइटेक उपकरण नहीं हुआ करते थे। वही Algebra यानी बीजगणित को कभी भी आर्यभट्ट  जोड़ कर प्रसारित नहीं किया गया।


इनकी उपलब्धि को भी जान और परखकर २०१६ में यूनेस्को ने अप्रैल को आर्यभट्ट जयंती के अवसर पर तांबे की प्रतिमा का अनावरण किया था।


यूनेस्को की जनरल *इऋना बोकॉवा* ने अप्रैल माह में “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ज़ीरो” के अवसर पर फ्रांस की राजधानी पेरिस में आर्यभट्ट के सम्मान में मूर्ति का अनावरण किया था।


यूनेस्को पेरिस स्थित आर्यभट्ट की प्रतिमा के समक्ष खड़े उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू की तस्वीर भी उनकी विशेषता को प्रकट करती है।


इन्हीं आर्यभट्ट के सम्मान में भारत की पहली स्वदेशी सैटेलाईट आर्यभट्ट भी अप्रैल माह में १९७५ में USSR की मदद से छोड़ी गई थी। 


भारत ने अपनी पहली स्वदेशी निर्मित सैटेलाईट आर्यभट्ट को स्पेस में छोड़ा था जिसे १९ अप्रैल को USSR की मदद से अपनी मंजिल तक पहुंचाया गया था। कुछ ISRO वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ तकनीकी कारणों के चलते इसे १४ की बजाय १९ अप्रैल को दागा गया था।


आर्यभट्ट ने उस काल में इसका सही अनुमान लगाया था कि चांद व अन्य ग्रह सूरज की रोशनी की वजह से रात में चमकते है वही तारों के मोशन को भी आर्यभट्ट ने सटीक रूप से समझाया था।


आर्यभट्ट का वह श्लोक जिसमे उन्होने पाइ की सटीक गणना की थी।

चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्। अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥


इसका अर्थ होता है - १००में चार जोड़ें, ८ से गुणा करें और फिर ६२००० जोड़ें। इस नियम से २०००० परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है। (100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416


इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात (2πr/2r) यानी 3.1416 है, जो पांच महत्वपूर्ण आंकड़ों तक बिलकुल सटीक है।

इन उपलब्धियों के अलावे त्रिकोणमिति, ज्यामिति,अंकगणित और बीजगणित में उनकी उपलब्धियों को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता।  उनकी १४ अप्रैल को मनाया जाता है। जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन है।


_सुरेश_कुमार_गौरव,शिक्षक,पटना (बिहार) की कलम से

No comments:

Post a Comment