आज पूरा विश्व विज्ञान के नए-नए कारनामों से चकाचौंध है।
आज हमारी पहुँच चाँद और अन्य ग्रहों पर भी हुई है, जहाँ पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। जीवन के अनगिनत अध्यायों को जोड़ता हुआ यह प्रबल रूप से निरंतर प्रगति के पथ पर असीम ऊँचाई की ओर अग्रसर है। पहले जहां संदेश भेजने में महीनो लग जाते थे, आज विज्ञान के कारण घर बैठे ही हम विश्व के किसी कोने में रह रहे किसी व्यक्ति से बात कर सकते हैं और उससे फेस टू फेस बात भी कर सकते हैं। पहले जहाँ विदेशों में जाने में समय वर्षों लगते थे, आज नए यातायात के संसाधनों द्वारा कुछ घंटे में ही अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं।
जीवन से जुड़े विविध आयामों पर जब नज़र डालते हैं, तब हमें
विज्ञान के अनेकानेक आशातीत लाभों की यथार्थता का पता चलता है। हमारे जगने से लेकर सोने तक
की क्रियाओं उप क्रियाओं में विज्ञान ने हमें सबलता प्रदान की है। जिस कार्य में घंटों लगते थे, आज कुछ मिनटों में ही संपन्न हो जाते हैं, जिससे हमारे पास जो समय बचता है उसे हम दूसरे कार्यों में लगाते है। आज यातायात क्रांति की ही देन है कि साइकिल की जगह दुपहिया वाहन ने ले लिया है। इससे हम तीव्र गति से गंतव्य स्थान तक यात्रा कर सकते हैं परंतु जीवन के प्रत्येक कार्य में सावधानी को नहीं भूलना चाहिए नहीं तो वरदान हमारे लिए अभिशाप भी बन सकता है। विज्ञान संबंधी कार्य करने के पहले उसके संबंध में पूर्ण जानकारी का होना अत्यावश्यक है नही तो अर्थ से अनर्थ होते देर नहीं लगती। यातायात के संबंध में जब दृष्टिपात करते हैं तब हमें ज्ञात होता है कि विज्ञान ने इस संदर्भ में कितनी विशिष्टता हासिल की है।
दूर संचार तथा दूर दृश्य मामले में भी विज्ञान ने सतत रूप से उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।
रक्षा क्षेत्रों में भी एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र विज्ञान ने हमें प्रदान की है, इसे किसी भी तरह से कमतर कर नहीं आंका जा सकता।
आज प्राकृतिक उपग्रहों के उपयोग से कई विलक्षण परिणाम हमारे समक्ष हैं। आज कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी समय से पूर्व मिल जाती है, जिससे जान-माल की क्षति बहुत कम होती है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो विज्ञान ने हमें जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्रों में हमें अग्रसर किया है परंतु हमारा विवेक या अविवेक हमें विज्ञान के वरदान या अभिशाप के रूप में दृष्टिगोचर कराता है।
हमारे प्यारे बच्चों से भी यह अपील है कि बिना समझे सोचे ऐसा कुछ न करे जिससे विज्ञान हमारे लिए वरदान की जगह अभिशाप सिद्ध हो।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, ज़िला- मुज़फ्फरपुर
No comments:
Post a Comment