बाल अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति और उसका निदान - Teachers of Bihar

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Tuesday, 31 December 2024

बाल अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति और उसका निदान



बच्चों को भगवान का उपहार माना जाता है और वे सबसे बड़ी व्यक्तिगत और राष्ट्रीय संपत्ति है। व्यक्ति, माता - पिता, अभिभावक और समग्र रूप से समाज के रूप में हमारा कर्तव्य है कि बच्चों को स्वास्थ्य सामाजिक - सांस्कृतिक वातावरण में बड़ा होने का अवसर दिया जाए ताकि वे जिम्मेदार नागरिक, शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सतर्क और नैतिक रूप से स्वस्थ बन सकें। विभिन्न कारणों से कुछ बच्चे स्थापित सामाजिक और कानूनी नियमों का पालन नहीं करते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर आपराधिक व्यवहार में शामिल हो जाते हैं जिसे बाल अपराध या किशोर अपराध के रूप में जाना जाता है। 

हाल के वर्षों में, बाल अपराध में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो एक चिंताजनक मुद्दा है। बाल अपराध का तात्पर्य गैरकानूनी गतिविधियों में नाबालिगों की भागीदारी से है, जिसके अक्सर न केवल युवा (आने वाली पीढ़ी) वर्ग के लिए वरन पूरे समाज के लिए विनाशकारी परिणाम होते हैं।


बाल अपराध के कारण- कोई भी बालक जन्मजात अपराधी नहीं होता। परिस्थितियाँ उसे ऐसा बनाती हैं। घर के अंदर और बाहर सामाजिक - सांस्कृतिक वातावरण, किसी के जीवन और समग्र व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


दुनियाभर में होने वाले बाल अपराधों से जुड़े कुछ सामान्य कारण हैं- गरीबी, मादक द्रव्यों का सेवन , असामाजिक सहकर्मी समूह, दुर्व्यवहार करने वाले माता-पिता , एकल परिवार, पारिवारिक हिंसा, बाल यौन-शोषण और सोशल मीडिया की भूमिका। 


बाल अपराध के मुख्य कारण इस प्रकार संदर्भित हैं-


1. शिक्षा का अभाव और गरीबी :- भारत में बाल अपराध के प्राथमिक कारणों में से एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच की कमी और व्यापक गरीबी है। आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों को उचित शिक्षा या मार्गदर्शन नहीं मिलता है, जिसके कारण वे आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं।


2. माता-पिता की अपर्याप्त देखभाल और उपेक्षा- एक अन्य कारक अपर्याप्त माता -पिता की देखभाल और उपेक्षा है, जो माता-पिता गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं वे अपने बच्चों की आवश्यक ध्यान और देखभाल प्रदान करने में सक्षम नही हो सकते हैं।


3. साथियों के दवाब का प्रभाव :- साथियों का दवाब भी बालकों के व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।गलत संगत के चलते वे बाल अपराध की ओर उन्मुख होते चले जाते हैं।

4. नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन तक आसान पहुँच :- हमारे देश भारत में नशीली दवाओं की आसान उपलब्धता और मादक द्रव्यों का सेवन एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। कई बालक एवं किशोर नशीली दवाओं की लत का शिकार हो जाते हैं, जिससे आपराधिक गतिविधियों की संभावना बढ़ जाती है।


5. मीडिया और हिंसक सामग्री का प्रभाव:- मीडिया के प्रभाव और हिंसक सामग्री के प्रदर्शन को कम करके नहीं आंका जा सकता। फिल्मों , टेलीविजन शो और ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफार्म (फेसबुक , इंस्टाग्राम , एक्स आदि ) पर हिंसा का अत्यधिक चित्रण बालमन को असंवेदनशील बना सकता है। अतः बचना जरूरी है। 


निदान :- बच्चों में उनके आपराधिक व्यवहार को रोकने के लिए सामाजिक - शैक्षिक सहायता प्रदान करना आवश्यक है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सहायता प्रणालियों तक पहुँच में सुधार से बाल अपराध को कड़ी हद तक कम किया जा सकता है। 

बच्चों को उनके जरूरत के अनुसार सारी सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए। 





आशीष अम्बर 

पता - ग्राम +पो- रामनीरामपुर छतवन 

भाया - रैयाम

जिला - दरभंगा

बिहार




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