मानव मूल्य:चालीस हजार या जरूरत-- अरविंद कुमार - Teachers of Bihar

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Wednesday 1 April 2020

मानव मूल्य:चालीस हजार या जरूरत-- अरविंद कुमार

मानव मूल्य:चालीस हजार या जरूरत
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          महेश दत्त एक सेवानिवृत्त अध्यापक हैं। सुबह दह बजे एकदम स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे। शाम के सात बजे तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखाई देने लगे जो एक कोरोना पॉजिटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं। परिवार के सदस्यों के चेहरे पर खौफ साफ दिखाई पड़ रहा था। उनकी चारपाई घर के पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गई जिसमें उनके पालतू कुत्ते का बसेरा था। महेश दत्त ने कुछ साल पहले एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा सड़क से उठाकर लाया था और इसे बच्चे की तरह पालकर शेरू नाम रखा था।
          इस कमरे में अब महेश दत्त की चारपाई और उनका प्यारा शेरू था। दोनों बेटी-बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चे को भी पास न जाने का निर्देश दिया गया। सरकार द्वारा जारी किए गए नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गई। खबर मोहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया। साड़ी के पल्लू से मुँह ढके, हाथ में छड़ी लिए पड़ोस की एक बूढ़ी अम्मा आई और उनकी पत्नी से बोली- अरे कोई इसके पास दूर से खाना भी सरका दो। अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देने जाए कौन? बहु ने खाना अपने सास को पकड़ दिया पर उनके हाथ थाली पकड़ते हीं काँपने लगे। इसे देखकर वह पड़ोषिन बूढी अम्मा बोली" अरी तू तो पत्नी है मुँह बाँध कर जा और खाना सरका दे। काँपते होठों से महेश दत्त ने भूख नहीं है कहकर टाल गए। इसी बीच एम्बुलेंस भी आ गई और उन्हें लेकर स्पताल चला गया। महेश जी अपने घर को चुप-चाप निहारते रहे। सभी दरवाजे पर एकटक निहारते रह गए पर कोई उनके साथ नहीं गए। महेश दत्त की आँख डब-डबा गई। उनका शेरु भी इसे देख रो पड़ा। वह भी गाड़ी के पीछे चल दिया। अस्पताल में दत्त जी कोरोना मुक्त पाए गए लेकिन घर में अपनी स्थिति देख वे अपने शेरु के साथ कहीं और चले गए। घर वालों को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अखबार में चालीस हजार के इनाम की बात कह एक इश्तहार निकाला जो महेश दत्त जी के पेंशन के बराबर था।


अरविंद कुमार
गौतम मध्य विद्यालय न्यू डिलियाँ  
डेहरी रोहतास

8 comments:

  1. समसामयिक!
    विजय सिंह

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  2. चालीस हजार रुपये

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  3. बहुत ही मर्मस्पर्शी,सराहनीय व वर्तमान समयानुकूल रचना।

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  4. गजब का चित्रण ।

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  5. स्वार्थी समाज का आईना

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  6. अच्छी रचना बधाई

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  7. Korona:Riston ki pahchan karane me saksham to hai hi ,manav ka aukat v Bata Raha hai.ab bhi wakt hai ,udan bharen lekin dharti ma ka khyal rakhen.

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  8. SR apki lekh se as past hai ki duniye me log sirf aur sirf jarurat mand hai.bahut bahut dhanybad.

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