लाॅकडाउन का पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्व-विमल कुमार विनोद - Teachers of Bihar

Recent

Sunday, 5 April 2020

लाॅकडाउन का पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्व-विमल कुमार विनोद


लाॅकडाउन का पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्व
*************************************

          वर्तमान समय में जब संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस के चपेट में आ गया है, ऐसी परिस्थति में कोरोना वायरस से मुक्ति का एक प्रमुख उपाय लॉकडाउन यानि पूरी तरह से लोगों के आवागमन को अवरुद्ध कर दिया जाना तथा सभी लोगों को अपने-अपने घरों की चहारदीवारी के अंदर यानि लक्ष्मण रेखा के अंदर रहना है।
          चुँकि लाॅकडाउन के समय आवागमन पूरी तरह से अवरूद्ध हो जाता है, जिसका पर्यावरणीय दृष्टिकोण से काफी महत्व दिखाई पड़ता है। इसके कारण पर्यावरण में प्रदूषण का फैलाव कम हो जाता है साथ ही पेट्रो केमिकल्स गाड़ियों के कम चलने से कार्बन डाईऑक्साइड तथा कार्बन मोनोक्साइड जैसी जहरीली गैसों और धूल कणों के फैलाव में भी कमी आती है जो जलवायु परिवर्तन को रोकने में बहुत सफल हो जाता है एवं जीव-जंतुओं के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। इस संबंध में कुछ पर्यावरण के जानकारों की राय इस प्रकार है-- सबसे पहले प्रकृति अपने मूल अवधारणा के समीप चली जा रही है। शायद इससे हम कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव पर जीत हासिल कर लेंगे। सबसे बड़ी बात यह होगी कि इससे पर्यावरण का तापमान संतुलित हो जाएगा एवं जलवायु परिवर्तन थमेगा। आर्थिक व्यवस्था में सुधार होगी। 
          दूसरी स्थिति यह है कि वातावरण शुद्ध होगा, प्रदूषण समाप्त होगी। वातावरण 90% प्रदूषण तक मुक्त हो जाएगा। ऐसा देखा जा रह है कि पशु-पक्षियों को मारकर खाने में कमी आई है साथ हीं वैश्विक ताप में भी कमी आई है। पक्षियों की चहचहाट बढ़ी है। पशु-पक्षी तथा जानवर भयमुक्त होकर जंगल में भ्रमण करते होंगे। पेड़-पौधों का भी विकास होगा एवं मनुष्य सहित अन्य जीव-जंतु प्रदूषण के खतरों से मुक्त होंगे। लोगों को श्वांस लेने की समस्या से निजात मिलेगी। जीव-जंतुओं का शिकार बंद हो जाएगा। ईंधन की भी बचत होगी। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो लाॅकडाउन भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व के लिये लाभदायक होगा क्योंकि इसका सकारात्मक प्रभाव प्रदूषण के फैलाव को रोकने में नजर आ रहा है। एक सवाल पैदा होता है कि लाॅकडाउन किए जाने से विकास की रफ्तार थमने लगेगी? ऐसा होना तो सहज है लेकिन कोई बात नहीं। कुछ दिन बाद सबकुछ ठीक हो जाएँगा। इस लाॅकडाउन के बाद भी दिल्ली जैसे मेट्रोपोलिटन नगर जहाँ की जनसंख्या काफी घनी है तथा जहाँ लगातार प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है में सरकार को कम-से-कम प्रत्येक पन्द्रह दिनों के अन्तराल में एक दिन पूर्ण लाॅकडाउन घोषित करना चाहिए ताकि वहाँ के पर्यावरण के प्रदूषण को कम किया जा सके।
          इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लाॅकडाउन विश्व पर्यावरण के लिये एक प्रकार से वरदान हीं सिद्ध हो रहा है। इसे कोरोना वायरस के संक्रमण को समाप्त होने के बाद भी बीच-बीच में लागू किया जाना चाहिए ताकि बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सके।


श्री विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक 
राज्य संपोषित उच्च विद्यालय 
पंजवारा, बांका

6 comments:

  1. अतिसुंदर
    विजय सिंह

    ReplyDelete
  2. पर्यावरण हितैषी जीवन शैली आज के समाज की पहली जरूरत है। अच्छे लेख के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं....

    ReplyDelete
  3. जो होता है अच्छा होता है, फिर भी दुनिया क्यों रोता है?
    जानकर भी अनजान ये दुनियाँ, न जाने क्यों होता है?

    ReplyDelete
  4. वर्तमान समयानुकूल व पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर रचना है।

    ReplyDelete
  5. आपका बहुत आभार सर...
    हमारा ज्ञान बढ़ाने के लिए.

    ReplyDelete
  6. बहुत अच्छा 👌👌👌

    ReplyDelete